May 15, 2024

हार-जीत का असर नेताओं के कैरियर पर

भाजपा नेताओं के कटेंगे पर,तो कांग्रेस नेताओं का बढेगा कद

रतलाम,24 नवंबर (इ खबरटुडे)। झाबुआ की करारी हार के बाद आसमान में उड रहे कई भाजपा नेताओं के पर कटना तय है। चुनाव के प्रतिकूल नतीजे जहां अनेक भाजपा नेताओं के कैरियर पर प्रतिकूल असर डालेंगे,वहीं कांतिलाल भूरिया और उनके चुनाव अभियान में कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे कई नेताओं को कांग्रेस में अधिक महत्व मिलेगा।
रतलाम-झाबुआ सीट के नतीजों ने भाजपा नेताओं के तमाम दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। हार के बाद निश्चित तौर पर भाजपा के नेता हार की ठीकरा फोडने के लिए उचित सिरों की तलाश में जुटते नजर आएंगे। लेकिन चुनाव अभियान में जो नेता अपने आपकों सबसे महत्वपूर्ण साबित करने पर तुले हुए थे,उनके लिए अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोडना कठिन साबित होगा।
परिणामों का विधानसभावार विश्लेषण किया जाए,तो संसदीय क्षेत्र की आठ में रतलाम जिले की तीन विस सीटों का परिणाम ही सर्वाधिक दु:खदायी माना जाएगा। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को रतलाम शहर और ग्रामीण सीटों ने ही निर्णायक विजयी बढत दिलाई थी। इस बार भी रतलाम की तीन सीटों ने ही भाजपा को हार दिलाने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रतलाम शहर में कम मतदान प्रतिशत ने यह तय कर दिया था कि भाजपा के इस पुराने गढ में भाजपा को अपेक्षा से कम बढत मिल सकेगी। विगत लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ने शहर से 55 हजार मतों की बढत हासिल की थी,वहीं इस चुनाव में भाजपा को लगभग पैंतीस हजार मतों का नुकसान हुआ है। मतदान का कम प्रतिशत सीधे सीधे भाजपा के खिलाफ साबित हुआ है। इसकी तुलना में कांग्रेस ने रतलाम शहर में अपनी स्थिति में काफी सुधार किया है और कांग्रेस को मिलने वाले मतों का प्रतिशत काफी बढा है।
इसी तरह रतलाम ग्रामीण में भी भाजपा को मुंह की खानी पडी है। पिछले लोकसभा चुनाव में रतलाम ग्रामीण सीट पर लगभग तेईस हजार की बढत हासिल करने वाली भाजपा को इस बार कांग्रेस से करीब पांच हजार मतों की हार सहना पडी है। इस तरह कांग्रेस ने करीब अ_ाईस हजार मतों का इजाफा किया है। सैलाना विधानसभा सीट तो भाजपा के लिए सर्वाधिक सदमे वाली रही है। इस सीट पर वैसे तो पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने हार का मुह देखा था,लेकिन इस बार तो कांग्रेस ने भाजपा को करीब 34 हजार मतों से पटखनी दी है।
पराजय के कारणों की तलाश बेहद आसान काम है। रतलाम जिले की इन तीनों सीटों पर भाजपा की पराजय का कारण स्थानीय विधायकों के प्रति लोगों की नाराजगी को माना जा रहा है। रतलाम शहर,ग्रामीण और सैलाना तीनों ही स्थानों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने बहुत तेजी से अपनी लोकप्रियता गंवाई है। इन नेताओं ने न सिर्फ लोकप्रियता गंवाई,बल्कि अपने व्यवहार से नाराजगी भी बढाई है।
लोकसभा चुनाव में दोनो ही पार्टियों के पास मुद्दों के नाम पर कुछ भी नहीं था। भाजपा के नीति निर्धारक,दिवंगत सांसद दिलीप सिंह भूरिया के नाम पर सहानूभूति लहर चलाने की उम्मीद कर रहे थे। दूसरी ओर कांग्रेस के नेता एकजुट होकर अस्तित्व का संघर्ष कर रहे थे। कांग्रेस को भाजपा विधायकों के प्रति लोगों में नाराजगी का भरपूर लाभ मिला।
भाजपा ने चुनाव अभियान में प्रदेश भर के वरिष्ठ नेताओं को झोंका था। इतना ही नहीं प्रदेश भर से कार्यकर्ताओं की फौज भी पूरे संसदीय क्षेत्र में तैनात कर दी गई थी। यह सबकुछ भाजपा के खिलाफ साबित हुआ। इन नतीजों से यह साबित हुआ है कि बाहरी कार्यकर्ता चुनाव नहीं जीतवा सकते। बाहरी कार्यकर्ताओं और नेताओं के आने से स्थानीय कार्यकर्ता प्रचार अभियान से दूर हो गए। वरिष्ठ नेताओं का रतलाम में डेरा डाल कर पडे रहना भी किसी काम नहीं आया।
नतीजों ने यह तय कर दिया है कि भाजपा के कई नेताओं के पर अब कटने वाले है। सर्वाधिक असर शहर विधायक पर पडेगा। तीनों विधानसभा सीटों के चुनाव प्रभारी वे ही थे। प्रचार अभियान में भी उन्ही का चेहरा सबसे ज्यादा प्रदर्शित किया गया था। किसी समय मंत्री पद की आस लगाए बैठे शहर विधायक का यह सपना तो अब क्या पूरा हो पाएगा। इसके उलट प्रदेश में उनकी हैसियत भी काफी कमजोर हो जाएगी। रतलाम ग्रामीण और सैलाना के विधायकों की हैसियत भी अब घटने वाली है। इसी तरह भाजपा संगठन में बडे पदों पर बैठे नेताओं के पद भी अब खतरे में पडे नजर आने लगे है। संगठन चुनावों की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में पार्टी अब नए चेहरों की तलाश करेगी।
दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं के लिए भी इन नतीजों के दूरगामी असर होंगे। प्रदेश और केन्द्र में भाजपा सरकार होने के बावजूद उपचुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने वाले कांतिलाल भूरिया का महत्व अब राष्ट्रीय स्तर पर बढ जाएगा। वे प्रदेश के सबसे ताकतवर नेता के रुप में उभरेंगे और अगले विधानसभा चुनाव में उनका महत्व काफी बढेगा। यही नहीं चुनाव अभियान में उनके साथ जुटे अन्य नेताओं की हैसियत भी बढेगी। युवा विधायक जीतू पटवारी को संगठन में महत्वपूर्ण हैसियत मिलेगी।

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