April 18, 2024

हमारे देश को गौरवशाली स्थान दिलाने वाली विभूतियों में कालिदास का स्थान सर्वोपरि है – केन्द्रीय मंत्री गेहलोत

उज्जैन में 58 वां अखिल भारतीय कालिदास समारोह प्रारंभ हुआ

उज्जैन 22 नवम्बर (इ खबरटुडे)। विश्व में हमारे देश को गौरवशाली स्थान दिलाने में हमारे महाकवियों एवं महापुरूषों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उज्जैन के महाकवि कालिदास का इन विभूतियों में सर्वोपरि स्थान है। वे ऐसे कवि थे जिनकी रचनाओं की गूंज विदेशों तक पहुंची तथा सारे विश्व में उन्हें ख्याति मिली। उनकी रचनाएं सदैव प्रासंगिक हैं, जो हमें प्रेम और सामाजिक समरसता की दिशा में हमेशा प्रेरणा देती रही हैं।
यह उद्गार केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत ने आज रविवार को उज्जैन में 58वें अखिल भारतीय कालिदास समरोह के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किए। 29 नवम्बर तक चलने वाले इस अखिल भारतीय समारोह के शुभारंभ अवसर पर बनारस से आए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्वान प्रोफेसर विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इसके साथ ही प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन, संस्कृति राज्यमंत्री अजय पटवा, जिला पंचायत अध्यक्ष महेश परमार, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, विधायकगण डॉ. मोहन यादव, अनिल फिरोजिया के अलावा श्रीपाद जोशी, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. एस. पाण्डेय, कालिदास अकादमी के निदेशक पी.के. झा, प्रदेश के संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत आदि उपस्थित थे।
अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा महाकवि कालिदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया गया। इस समारोह में कई सारस्वत आयोजन के साथ-साथ विख्यात कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति आगामी 29 नवंबर तक निरंतर दी जाएगी। आयोजन मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, कालिदास संस्कृत अकादमी और मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा किया जा रहा है।
केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत ने अपने उद्बोधन में कहा कि उज्जैन के इस ख्यातिलब्ध अखिल भारतीय समारोह में देश की सुविख्यात हस्तियां शिरकत करती आ रही हैं। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू से लेकर कई उद्भट विद्वानों ने इस समारोह में शिरकत की है। महाकवि कालिदास का जिक्र करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कालिदास देश के उन विद्वानों में से, जिनकी रचनाओं ने साहित्य में शीर्ष स्थान अर्जित किया। शाकुंतलम् और मेघदूतम जैसी रचनाओं का विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। कालिदास की रचनाओं ने सदैव समरसता व शांति का मार्ग प्रशस्त किया है, जो आज के भौतिकवादी युग में और भी प्रासंगिक हैं। कालिदास पर अभी और उच्च स्तर के अनुसंधानों की आवश्यकता है। हमें कालिदास समारोह जैसे आयोजनों को उच्चता के प्रतिमानों पर स्थापित करना है।
केंद्रीय मंत्री ने भारत शासन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के सांस्कृतिक प्रतिमानों को दुनियाभर में प्रतिष्ठा दिलाने के प्रयासों का ज़िक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयास से आज योग को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है। मध्यप्रदेश शासन भी इस दिशा में उत्कृष्ट प्रयास कर रहा है। श्रीराम के वनगमन पथ को लेकर सराहनीय कार्य राज्य शासन द्वारा किया गया है।
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाकवि कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में शामिल होने के साथ एक उद्भट् नाटककार हैं। उन्होंने अभिज्ञान शाकुंतलम् रघुवंश जैसी अद्वितीय रचनाएं हमें दी हैं। वे देश के शीर्षस्थ कवियों में शामिल है। मंत्री ने आगामी सिंहस्थ आयोजन के संदर्भ में किए जाने वाले सांस्कृतिक प्रयासों की भी जानकारी दी। वाराणसी से आए आचार्य विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र ने अपने सारस्वत उद्बोधन में कवि कालिदास की रचनाओं और उज्जैन के ऐतिहासिक महत्व का वर्णन करते हुए इस आयोजन को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने संस्कृत भाषा में दिए गये अपने उद्बोधन में कालिदास की रचनाओं में उभरकर आए श्रंगार, कला और प्रेम का ज़िक्र किया। उन्होंने कवि की रचनाओं को आज भी प्रासंगिक निरूपित किया। उन्होंने कहा कि कालिदास हमारे राष्ट्र के प्रतिनिधि कवि है।
प्रदेश के संस्कृति राज्यमंत्री अजय पटवा ने कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश देश का इकलोता राज्य है, जहाँ सर्वाधिक सांस्कृतिक एवं कला संबंधी आयोजन किए जाते हैं। मध्यप्रदेश द्वारा देश में सर्वाधिक पुरस्कार कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में स्थापित किए गए है। उन्होंने ऐसे आयोजनों में अधिकाधिक जनसहभागिता की आवश्यकता बताई। इसके पूर्व विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.एस. पाण्डेय ने अपने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय द्वारा कालिदास समारोह में प्रारंभ से लेकर अब तक की जा रही सहभागिता एवं योगदान की जानकारी दी। संगीत महाविद्यालय उज्जैन के दल द्वारा नांदीपाठ एवं कीर्तिगान प्रस्तुत किया गया।

ख्यात रंगकर्मी मोहन महर्षि राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से विभूषित

अखिल भारतीय कालिदास समारोह के शुभारंभ अवसर पर नई दिल्ली के ख्यात रंगकर्मी मोहन महर्षि को मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित वर्ष 2013-14 के राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से अतिथियों द्वारा विभूषित किया गया। उन्होंने कहा कि वे इस सम्मान को लेते हुए गौरव का अनुभव कर रहे हैं। संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने सम्मान के अवसर पर अपने वाचन में मोहन महर्षि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की जानकारी दी। नागपुर के विख्यात रंगकर्मी महेश एलकुंचवार को वर्ष 2014-15 के राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से 23 नवंबर को विभूषित किया जाएगा।

कालिदास समारोह के दौरान कई शोध संगोष्ठियाँ आयोजित होंगी

अखिल भारतीय कालिदास समारोह के दौरान 23 नवंबर से 29 नवंबर तक कालिदास अकादमी में कई शोध संगोष्ठियाँ और परिसंवाद आयोजित किये जाऐंगे इनमें विद्वान वक्ता विभिन्न विषयों पर अपना व्याख्यान देंगे। 23 नवंबर को अभिरंग नाट्यगृह में प्रात: 10 बजे से “काव्यशास्त्रिय संप्रदाय और कालिदास” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित होगी। इसके अलावा आगामी दिनों में कालिदास के समाज चिंतन, ध्वनि सिद्धांत कालिदास के साहित्य में आधुनिक शास्त्र चर्चा, प्रेम स्पन्दन आदि विषयों पर व्याख्यानमालायें आयोजित होंगी।

विख्यात कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

अखिल भारतीय कालिदास समारोह में देश के कई विख्यात कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति देंगें। इनमें गीता चंद्रन नई दिल्ली भरत नाट्यम, सुगातो भादुड़ी कोलकाता, मेन्डोलिन, राजेन्द्र प्रसन्ना नई दिल्ली शहनाई, फारूख लतीफ खाँ भोपाल सारंगी वादन, चेतन जोशी नईदिल्ली बाँसूरी वादन के साथ साथ उज्जैन की प्रतिभाओं द्वारा भी आपनी प्रस्तुतियाँ दी जाएगी।

हाथकरघा एवं हस्तशिल्प मेला

अतिथियों द्वारा कालिदास अकादमी प्रांगण में ही 22 नवंबर से 1 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले हाथकरघा एवं हस्तशिल्प मेले का शुभारंभ भी किया गया। मेले में देश के विभिन्न प्रांतों के कलाकारों द्वारा अपनी कलाकृतियाँ विक्रय के लिए लाई गई है।

सिंहस्थ पर आधारित प्रदर्शनी

अतिथियों द्वारा मेले में जनसपंर्क कार्यालय उज्जैन द्वारा सिंहस्थ 2016 पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। प्रदर्शनी में सिंहस्थ संबंधी जानकारी एवं परंपराओं को पोस्टर्स के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र है।

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