स्पेक्ट्रम नीलामी की समयसीमा पर संशय
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नई दिल्ली,2 मई(इ खबरटुडे)। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय समयसीमा के भीतर स्पेक्ट्रम की नीलामी हो पाएगी या नहीं, इसे लेकर संदेह बढ़ता जा रहा है। इस मामले पर विचार करने के लिए मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह [ईजीओएम] की बैठक में लंबी बहस हुई। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को लेकर यह पहली बैठक थी।
बैठक के बाद दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर ने बताया कि ईजीओएम ने नीलामी प्रक्रिया को पूरा करने वालों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। दूरसंचार विभाग [डॉट] ने वर्ष 2010 में 3जी और ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस [बीडब्ल्यूए] स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी करने वाले पूर्व डॉट अधिकारी को फिर से 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए नियुक्त किया है। वर्ष 2010 के दौरान हुई पिछली नीलामी से सरकारी खजाने में 1.06 लाख करोड़ रुपये आए थे। दीपक फिलहाल वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव हैं।
2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए एक पूरी समिति गठित होगी। इसमें रक्षा, वाणिज्य, औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग, कानून और वित्ता मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल होंगे। पिछले हफ्ते 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण [ट्राई] ने अपनी सिफारिशें सौंपी थीं। नियामक की तरफ से एक प्रस्तुतीकरण दिया गया था, जिसमें सिफारिशों के पीछे की वजहें गिनाई गईं थीं। यह बताया गया था कि अगर नीलामी की प्रक्रिया को तत्काल शुरू किया जाए तो 31 अगस्त, 2012 तक इसे पूरा किया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि 31 अगस्त तक प्रक्रिया पूरी होगी या नहीं, यह पूरी तरह से इस पर निर्भर करेगा कि ट्राई और डॉट विभिन्न मुद्दों का कितनी जल्दी निपटारा कर लेते हैं। दूरसंचार आयोग ने ट्राई से उसकी सिफारिशों के बारे में कई स्पष्टीकरण मांगे हैं। नियामक को इस पर 14 मई, 2012 तक जबाव देना है। अगर दूरसंचार आयोग इससे सहमत हो गया तो ये सभी मुद्दे फिर से ईजीओएम की बैठक में जाएंगे। वहां स्पेक्ट्रम की रिजंर्व कीमत, इसकी उपलब्धता आदि पर अंतिम फैसला होगा। अगर मई के अंत तक नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो उसे निर्धारित अवधि में पूरा किया जा सकता है।
ट्राई की सिफारिशों का कड़ा विरोध करने वाली टेलीकॉम कंपनियां बुधवार को दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के सामने अपना पक्ष रखेंगी। इनका कहना है कि नियामक की सिफारिशों को लागू करने से उन पर भारी वित्ताीय बोझ पड़ेगा।
प्रणब से मिले वोडाफोन अधिकारी
नई दिल्ली। सरकार की तरफ से हाल में उठाए गए कुछ नीतिगत फैसलों से परेशान वोडाफोन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। कंपनी की तरफ से आयकर कानून में पिछली तारीख से बदलाव करने के सरकार के प्रस्ताव पर अपना रुख रखा गया। इस प्रस्ताव के तहत सरकार वोडाफोन पर 11,000 करोड़ रुपये का कर बोझ डाल सकती है। इस कर को लेकर कंपनी आयकर विभाग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला जीत चुकी है। कहा जा रहा है कि वोडाफोन के हच-एस्सार में हचिसन की हिस्सेदारी के अधिग्रहण सौदे को कर कानून के दायरे में लाने के लिए ही बदलाव किया गया है। बैठक के बाद वोडाफोन सीईओ विटोरियो कोलाओ ने बताया कि उन्होंने अपना पक्ष सरकार के सामने रख दिया है।