सौ दिन की कार्य-योजना में एक भी बिगड़ा हेण्डपम्प न मिले
आवारा पशुओं के लिये भी नीति बनाये पशुपालन विभाग – सुश्री कुसुम महदेले
भोपाल,2 जनवरी(इ खबरटुडे)। पशुपालन, उद्यानिकी, खाद्य प्र-संस्करण, मछुआ कल्याण-मत्स्य विकास, कुटीर और ग्रामोद्योग, विधि एवं विधायी कार्य, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने आज अपने विभागों की 100 दिन की कार्य-योजना के संबंध में अधिकारियों से चर्चा की। पीएचई विभाग की कार्य-योजना की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि इन 100 दिन के दौरान सभी हेण्डपम्प सुधरे होने चाहिये। किसी गाँव से यह शिकायत नहीं मिलना चाहिये कि वहाँ कोई हेण्डपम्प खराब है। जो नल-जल योजनाएँ अपूर्ण हैं, उन्हें पूर्ण किया जाये तथा जो बिगड़ी हों, उन्हें सुधारा जाये।
उद्यानिकी की कार्य-योजना की समीक्षा में सुश्री महदेले ने कहा कि कमरक, करौंदा, खिरनी, रसभरी जैसे फलों की विलुप्त होती जा रही प्रजातियों को बचाने के लिये स्पष्ट नीति बनाकर उस पर अमल किया जाये। कमजोर और पिछड़े क्षेत्रों के लिये समान रूप से उद्यानिकी योजनाएँ बनें। जबलपुर, सागर, रीवा और शहडोल संभाग को भी उद्यानिकी की दृष्टि से विकसित किया जाये। इन क्षेत्र में उद्यानिकी गलियारे भी बने। अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में फल उद्यानिकी योजनाएँ चलाई जायें ताकि इस वर्ग लोगों को पौष्टिक आहार मिल सके।
सुश्री कुसुम महदेले ने कहा कि फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले आवारा पशुओं के लिये एकीकृत योजना अथवा नीति बनाई जाये। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे पशुओं की संख्या ज्यादा होती है जो खेती को नुकसान पहुँचाते हैं। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सकों के पद रिक्त न रहें। गौ-शालाओं पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाये। दुग्ध महासंघ अपनी गतिविधियों का विस्तार बुंदेलखंड को ध्यान में रखते हुए करे। प्रदेश के सभी क्षेत्र में उन्नत नस्ल के गौ-वंश हो, ताकि दुग्ध उत्पादन में और वृद्धि हो सके। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिये दुग्ध विकास सहकारी समितियों की संख्या भी बढ़ाई जाये।
सुश्री महदेले ने मछली और मत्स्य-बीज उत्पादन के कार्य को गाँव-गाँव तक ले जाने तथा उससे किसानों को जोड़ने को भी कहा, ताकि उनकी माली हालत में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि हर जिले में मछुआरों के लिये ट्रेनिंग सेन्टर स्थापित होना चाहिये। मछुआरों को वैज्ञानिक पद्धति से भी प्रशिक्षण मिलना चाहिये। सुश्री महदेले ने कहा कि कुटीर एवं ग्रामोद्योग की योजनाएँ पूरे प्रदेश को ध्यान में रखकर क्रियान्वित की जायें। परम्परागत शिल्प को बढ़ावा देने के लिये भी योजनाएँ तैयार हो। पूरे प्रदेश में कुटीर उद्योग का जाल फैलाया जाये। विधि एवं विधायी कार्य विभाग की कार्य-योजना के संबंध में उन्होंने कहा कि जहाँ संभावना हों वहाँ व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2-3 के न्यायालय प्रारंभ किये जायें। अधूरे न्यायालय भवनों का निर्माण भी शीघ्र पूरा करवाया जाये।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुपालन प्रभांशु कमल, प्रमुख सचिव उद्यानिकी श्रीमती कंचन जैन, प्रमुख सचिव कुटीर एवं ग्रामोद्योग श्रीमती शिखा दुबे, प्रमुख सचिव विधि के.डी. खान, प्रबंध संचालक दुग्ध महासंघ श्रीमती सुधा चौधरी, आयुक्त उद्यानिकी अनुराग श्रीवास्तव सहित पीएचई के ईएनसी भी उपस्थित थे।