सोशल मीडीया पर विधायक विरोधी अभियान
दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता को श्रध्दांजली नहीं देने से उछला मुद्दा
रतलाम,29 जून(इ खबरटुडे)। दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता स्व.गोपाल सोनी को शहर विधायक चैतन्य काश्यप द्वारा श्रध्दांजली नहीं दिए जाने का मामला जोर पकडता जा रहा है। वाट्स एप्प और फेसबुक जैसे सोशल मीडीया पर शहर विधायक के विरोध में अभियान सा चल पडा है। लोग विधायक की इस मानसिकता को अक्षम्य अपराध मान रहे है। उनकी नकारात्मक छबि का खामियाजा पार्टी को उपचुनाव में भुगतना पड सकता है।
उल्लेखनीय है कि रविवार को भाजपा की श्रध्दांजली सभा में वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी ने स्व. गोपाल सोनी का जिक्र करते हुए उन्हे श्रध्दांजली दी थी और भाजपा के अन्य नेताओं से कहा था कि राजनीतिक मतभेद के बावजूद मृतात्मा को श्रध्दांजली देना हमारी परंपरा है। इसके बावजूद शहर विधायक चैतन्य काश्यप ने अपने सम्बोधन से यह स्पष्ट संकेत दिए कि वे स्व.गोपाल सोनी को श्रध्दांजली नहीं देना चाहते। वे सिर्फ सांसद दिलीपसिंह भूरिया को श्रध्दांजली दे रहे हैं। भाजपा के कई अन्य नेताओं ने भी यही किया।
शहर विधायक की इस मानसिकता की जानकारी खबरों के माध्यम से जैसे ही सामने आई,शहर के आम लोगों में भी शहर विधायक के विरोध में लहर सी चल पडी है।
भारतीय संस्कृति में तो शत्रु की मृत्यु के बाद उसे भी श्रध्दासुमन अर्पित किए जाने की परंपरा है। राजनीति के क्षेत्र में तो लोग अपने विरोधियों के दुख दर्द में संवेदना व्यक्त करके अपनी सज्जनता प्रदर्शित करते ही है। स्व. दिलीपसिंह भूरिया का ही उदाहरण देखें तो उनके अंतिम संस्कार में उनके परंपरागत राजनीतिक प्रतिद्वंदी कांतिलाल भूरिया स्वयं पंहुचे और उन्होने स्व.दिलीपसिंह भूरिया की शवयात्रा को कन्धा भी दिया और श्रध्दासुमन भी अर्पित किए। लेकिन शहर विधायक चैतन्य काश्यप ने तो अपनी ही पार्टी के एक महत्वपूर्ण कार्यकर्ता की मौत पर महज इसलिए श्रध्दांजली देने से इंकार कर दिया,कि मृतक राजनीतिक तौर पर उनके गुट का न होकर प्रतिद्वंदी गुट से सम्बन्ध रखता था। भाजपा के सूत्र बताते है कि जिस दिन स्व. गोपाल सोनी की मौत हुई थी,उस दिन भी पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने शहर विधायक को फोन लगाकर इस घटना की सूचना दी थी और यह अपेक्षा जताई थी,कि विधायक महोदय स्व.सोनी के अंतिम संस्कार में शामिल होवे। लेकिन श्री काश्यप ने उक्त पदाधिकारी को साफ तौर पर मना कर दिया। उनका कहना था कि मृत कार्यकर्ता से उनका कोई लेना देना नहीं था,वह तो दूसरे गुट का व्यक्ति था।
व्हाट्स एप और फेस बुक पर इन तथ्यों को लेकर शहर विधायक के खिलाफ कई तरह के कमेन्ट लिखे जा रहे हैं। मारवाडी स्वर्णकार समाज के एक सदस्य ने लिखा है कि शहर विधायक ने उनके समाज के एक सम्मानित सदस्य और भाजपा के नेता का अपमान किया है। इसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कई कमेन्ट्स में शहर विधायक की जमकर खिल्ली उडाई जा रही है। बहरहाल सोशल मीडीया पर शहर विधायक के खिलाफ जारी अभियान को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी छबि पूरी तरह नकारात्मक हो चुकी है. उनकी नकारात्मक छबि का खामियाजा पार्टी को उपचुनाव में भुगतना पड सकता है।