November 23, 2024

”सुमन” जीवित कविता के प्रतीक कवि थे

रतलाम 25 फरवरी(इ खबरटुडे)।हिन्दी साहित्य के इतिहास के यदि व्याख्या की जाय तो भारतेन्द्रु हरीशचंद्र, माखनलाल चतुर्वेदी, महादेवी शर्मा और सूर्यवंशी त्रिपाठी, निराला के बाद डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन ही ऐसे महान कवि हुए जिनकी रचनाएॅ कालजयी सिध्द हुई है।

तात्कालिन परिवेश और व्यवस्था के प्रति उनकी विचारधारा उनकी कविताओं में परिलक्षित होती थी। कविता में रचे गये शब्द जीवतंता के प्रमाण होते थे। उनका लिखा गया एक-एक शब्द हिन्दी साहित्य और समाज के लिये एतिहासिक दस्तावेज के समान हैं जो हमें बहुत कुछ सीखने के प्रेरणा प्रदान करते है।
  उक्त उद्गार पर्यावरण डाइजेस्ट, युवाम, शिक्षक सांस्कृतिक संगठन और अनुभूति संस्था द्वारा युवाम सभाग्रह में
आयोजित ”सुमन स्मरण” व्याख्यान में प्रसिध्द साहित्यकार डॉ.सरोज कुमार ने व्यक्त किये। अपने सुमन जी के व्यक्तित्व और उनकी कविताओं की व्याख्या करते हुए उन्हें अद्भूत चुम्बकीय क्षमता वाला व्यक्ति बताया। जो भी उनके सम्पर्क में आता था वह उनके प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिलाधीश बी. चन्द्रशेखर ने कहा कि साहित्य से मेरा अधिक नाता नहीं हैं, लेकिन आज सरोजकुमार जी व डॉ. सुमन के बारे में जानकर मुझे काफी प्रेरणा प्राप्त हुई हैं जो मेरी आंतरिक गतिशीलता के लिये पर्याप्त हैं, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला,डॉ. खुशालसिंह पुरोहित, पारस सकलेचा ने भी सुमनजी के व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त किये। आरम्भ में अतिथियों ने सुमन के चित्र पर माल्यापर्ण कर दीप प्रज्जवलन किया। स्वागत दिनेश शर्मा, श्याम भाटी,नीलू अग्रवाल, रमेश रावत, कृष्णचंद्र ठाकुर, रमेश उपाध्याय, राधेश्याम तोगड़े कविता सक्सेना, रक्षा के कुमार, अनिल जोशी, मिथिलेश मिश्रा, ब्रजेन्द्र पुरोहित आदि ने किया।
सरोज कुमार व जिलाधीश को साल, श्रीफल एवं अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन दिनेश शर्मा व आभार धर्मेन्द्र मण्डवारिया ने माना। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. जय कुमार जलज, डॉ. मोहन परमार, ओ.पी.मिश्रा, विष्णु बैरागी, श्रेणीक बाफना, सुरेन्द्र छाजेड़, प्रतिभा चांदनीवाला, डॉ. श्वेता तिवारी, अनन्त अंसार, प्रकाश जैन आदि उपस्थित थे।

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