November 18, 2024

सीएम और सीएस के निर्देश भी रतलाम में बेअसर,राजस्व न्यायालयों में बरसों से लटकें है हजारों मामले

रतलाम,1 सितम्बर (इ खबरटुडे)। प्रदेश के सीएम और सीएस के साफ और निर्देशों का रतलाम जिले पर कोई खास असर नजर नहीं आ रहा है। तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारियों के राजस्व न्यायालयों में बरसों से हजारों मामले लटके हुए हैं। सीएम और सीएस के निर्देशों के बाद अफसरों ने प्रकरणों के त्वरित निराकरण का दिखावा करना तो शुरु कर दिया,लेकिन इसके चक्कर में आम लोगों की समस्याएं बढती जा रही है। जिले का प्रशासनिक नेतृत्व शासन की मंशा को पूरा करने में सफल नहीं हो पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि राजस्व अधिकारियों के न्यायालयों में अविवादित नामान्तरण और बंटवारे जैसे सामान्य प्रक्रियागत मामलों को बरसों तक लम्बित रखा जाता था। प्रकरणों के अनावश्यक विलम्ब के कारण पक्षकारों को मजबूर होकर भ्रष्टाचार की शरण लेना पडती थी। राजस्व न्यायालयों की स्थिति यह थी कि रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से खरीदी गई कृषि भूमि के नामान्तरण तक के लिए हजारों रुपए की भेंटपूजा चढाने के बाद ही आदेश होते थे। इस स्थिति को सुधारने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने राजस्व अधिकारियों को कडे निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के कडे रवैये के बाद प्रदेश के मुख्यसचिव बीपी त्रिवेदी ने पिछले दिनों इन्दौर के तीन एसडीएम और दो तहसीलदारों को सस्पैण्ड कर दिया।
प्रदेश में इतना सब कुछ हो रहा है लेकिन रतलाम जिले की स्थिति में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है। कुछ सालों पहले तक रतलाम में शहर और ग्रामीण के लिए अलग अलग एसडीएम होते थे,लेकिन विगत कुछ समय से शहर और ग्रामीण दोनों अनुभागों के लिए एक ही एसडीएम तैनात है। इसका पहला नतीजा तो यही है कि राजस्व प्रकरणों के निराकरण की गति आधी हो गई है।
राजस्व न्यायालयों में पैरवी करने वाले अभिभाषकों का कहना है कि शासन के निर्देशों के बाद अधिकारियों ने त्वरित काम करने का दिखावा तो शुरु कर दिया है,लेकिन त्वरित निराकरण के चक्कर में पक्षकारों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। अनेक प्रकरणों को अदम पैरवी में खत्म किया जा रहा है। कई मामलों में,जिन में लम्बी तारीखें दे दी गई थी,वकीलों को बुलाकर नजदीक की तारीखें दी जा रही है। प्रकरणों को जल्दी निपटाने के नाम पर उटपटांग निर्णय लिखे जा रहे है। बंटवारे जैसे प्रक्रियागत मामलों को छोटी सी तकनीकी गलती या तथ्यहीन आपत्ति को आधार बनाकर खारिज कर दिया जाता है,जिससे कि उनके निराकृत प्रकरणों की संख्या बढ सके।
अभिभाषकों का कहना है कि प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के पीछे मंशा यह थी कि नागरिकों को लाभ मिले। लेकिन अधिकारियों के रवैये के कारण इसका उलटा असर हो रहा है। रेकार्ड पर तो प्रकरणों के निराकरण की संख्या बढ रही है,लेकिन नागरिकों की परेशानियां भी बढ रही है। नामान्तरण और बंटवारे जैसे मामले बेवजह निरस्त कर दिए जाने से जनता में आक्रोश बढने लगा है।
जिले की नवागत कलेक्टर श्रीमती तन्वी सुन्द्रियाल जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर पकड बनाने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्होने रतलाम में आते ही जनता से सीधे जुडने के लिए अपना मोबाइल नम्बर अखबारों के माध्यम से जनता तक पंहुचा दिया,जिससे कि कोई भी व्यक्ति सीधे उनसे बात कर सके। लेकिन उनका जनता में बांटा गया मोबाइल नम्बर अब कलेक्टर कार्यालय के लैण्डलाइन पर डायवर्ट कर दिया गया है। अब मोबाइल पर आम लोग उनसे सीधा सम्पर्क नहींंकर सकते।
जिले के राजस्व न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के निर्देशों पर अमल के सम्बन्ध में क्या कार्यवाही हुई है,यह जानने के लिए जब इ खबरटुडे ने कलेक्टर श्रीमती सुन्द्रियाल के मोबाइल नम्बर पर फोन लगाया,तो यह फोन उनके कार्यालय के लैण्ड लाइन नम्बर पर डायवर्ट हो गया,जहां वे उपलब्ध नहीं थी।

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