सिंहस्थ में पिछली बार से 10 गुना अधिक बल्ली, 3 गुना बांस उपलब्ध
वन विभाग के साथ साधु-संतों ने धर्म ध्वजा के लिये चयनित किये नीलगिरी के वृक्ष कटवाए
उज्जैन,18फरवरी(इ खबरटुडे)।सिंहस्थ-2004 की अपेक्षा सिंहस्थ-2016 में 10 गुना से अधिक बल्ली और 3 गुना अधिक बांस सिंहस्थ क्षेत्र में साधु-संतों के लिये उपलब्ध कराये गये हैं।
इन पर अनुदान भी देने की व्यवस्था की गई है। धर्म ध्वजा के लिये पंजीकृत अखाड़े के साधु-संतों को वन क्षेत्र में भ्रमण करवाते हुए उनके द्वारा चयनित की गई नीलगिरी के वृक्षों को कटवाकर धर्म ध्वजा तैयार की गई है।
सिंहस्थ-2004 में जहां जलाऊ लकड़ी 29 हजार 756 क्ंिवटल प्रदाय की गई थी। बांस 27 हजार 220 नग प्रदाय किये गये थे और बल्ली 2 हजार 224 प्रदाय की गई थी। इसकी अपेक्षा सिंहस्थ 2016 के लिये आने वाले श्रद्धालुओं को आंकलन के मान से जलाऊ लकड़ी का निर्धारित लक्ष्य 75 हजार क्ंिवटल रखा गया है। 50 हजार नग बल्ली और 75 हजार नग बांस की व्यवस्था की गई है। इसके विपरीत सिंहस्थ-1992 में जलाऊ लकड़ी 14 हजार 362 क्ंिवटल, बांस 14 हजार 768 नग, बल्ली 3 हजार 589 नग प्रदाय किये गये थे।
नि:शुल्क धर्मध्वजा के लिये व्यवस्था
पंजीकृत समस्त अखाड़ों में सिंहस्थ के दौरान धर्मध्वजा फहराने का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। 52 हाथ (65 फीट) ऊंची धर्मध्वजा तैयार करने के लिये वन मंडल उज्जैन एवं देवास के क्षेत्रों से वन वर्धन की दृष्टि से उपलब्ध परिपक्व आयु के नीलगिरी के वृक्षों की कटाई करवाकर लंबे विशालकाय तनों को क्रेन की सहायता से बड़े ट्रालों से परिवहन करवाया गया है। मिस्त्री की सहायता से जोड़ एवं फिनीशिंग कार्य करवाकर धर्म ध्वजा तैयार करवाई जा रही है। इतनी विशाल एवं ऊंची धर्मध्वजाओं को खड़ी करने के लिये क्रेन की मदद लेना पड़ेगी। आकाश में फहराती विशाल धर्मध्वजाएं सभी को आकर्षित करेंगी।
रेस्क्यू दल सभी जगह कर रहा संपर्क
वर्तमान में वन विभाग का एक रेस्क्यू दल वन क्षेत्रपाल ए.के. खेतडिय़ा की अगुवाई में काम कर रहा है। एक वाहन और 8 कर्मी इनके दल में शामिल हैं। रेस्क्यू दल बंदर और सांप का ही रेस्क्यू कर रहा है। श्री खेतडिय़ा के मुताबिक सिंहस्थ क्षेत्र से कुछ पड़ाव स्थलों पर सांप निकलने पर उन्हें पकडक़र अन्यत्र छोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही सिंहस्थ क्षेत्र के सेक्टर और झोन कार्यालयों में सतत संपर्क करते हुए किसी भी प्रकार के वन्य जीव को लेकर किये जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन के लिये जानकारी दी जा रही है।