सिंहस्थ के विकास कार्यों ने उज्जैन को बनाया और सुन्दर
उज्जैन ,29 जनवरी (इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार )।उज्जैन में इस वर्ष अप्रैल-मई में होने वाले सिंहस्थ से जुड़े निर्माण काम तेजी से किये जा रहे हैं। इससे उज्जैन शहर खूबसूरत शहर के रूप में विकसित हो रहा है। उज्जैन में सिंहस्थ 2004 के मुकाबले सिंहस्थ 2016 के लिये 10 गुना अधिक बजट दिया गया है।
उपलब्ध करवाये गये बजट से अब तक 80 प्रतिशत काम पूरे किये जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर स्थायी प्रकृति के हैं, जिनका फायदा उज्जैनवासियों को सिंहस्थ के बाद भी मिलता रहेगा।
उज्जैन में 362 करोड़ की 100 सड़कें
स्थायी प्रकृति के काम में क्षिप्रा नदी पर बनने वाला पुल, सुन्दर घाटों का निर्माण, रेलवे ओवर ब्रिज, फ्लाय ओवर्स, इनर रिंग रोड, सुन्दर घाट, आकर्षक चौराहे, 450 बिस्तर का आधुनिक अस्पताल, इन्टरप्रिटेशन सेन्टर प्रमुख है। सुन्दर शहर की झलक खास तौर से रात में दिखाई पड़ती है जब स्ट्रीट लाट, डिवाइडर्स पर वृक्षारोपण पर हाईमास्ट जलती है। सिंहस्थ के लिए उज्जैन में 362 करोड़ लागत की 100 सड़कें बनाई गई हैं। सभी प्रमुख सड़कों की कनेक्टिविटी इनर रोड से कर दी गई है।
खान नदी की सफाई के लिये इंदौर जिले को 20 करोड़ का बजट दिया गया
क्षिप्रा नदी का किनारा श्रद्धालुओं के स्नान के लिये सज-सँवर रहा है। ऊँचाई से क्षिप्रा नदी के घाट काफी सुन्दर दिखाई दे रहे हैं। इस बार 5 किलोमीटर लम्बाई के नये घाट बनाये गये हैं। श्रद्धालुओं के स्नान के लिये क्षिप्रा तट के दोनों किनारों पर 8.34 किलोमीटर लम्बाई में घाट उपलब्ध रहेंगे। सिंहस्थ के दौरान नदी में शुद्ध जल से स्नान हो सके, इसके लिये राज्य सरकार ने खान नदी डायवर्शन योजना पर काम किया है। खान नदी की सफाई के लिये इंदौर जिले को 20 करोड़ का बजट दिया गया है। इससे क्षिप्रा नदी का पानी हमेशा शुद्ध बना रहेगा। क्षिप्रा नदी में जन-भागीदारी से शुद्धिकरण अभियान चलाकर पॉलीथीन और कचरे की सफाई की गई।
6 करोड लागत के दो जल शोधन संयंत्र भी तैयार हो गये
सम्राट विक्रमादित्य के टीले का निर्माण, 84 महादेव और अन्य मंदिरों को सुन्दर बनाने के कामों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उज्जैन में 6 करोड लागत के दो जल शोधन संयंत्र भी तैयार हो गये हैं। इनसे 7.75 मिलियन गेलन पानी का शोधन होगा। आगर रोड पर 93 करोड़ से 6 मंजिला आधुनिक अस्पताल तैयार किया जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से 450 बिस्तर का अस्पताल स्थायी प्रकृति का महत्वपूर्ण काम है। स्थानीय कलाकारों द्वारा पुलों एवं घाटों पर की गई मालवी चित्रकला ने सौन्दर्य को नये आयाम दिये हैं।