April 29, 2024

सामाजिक सदभाव का प्रतीक है ,गुरु के पंज प्यारे -अभ्यंकर

रतलाम 08 फरवरी(इ खबर टुडे)।13 अप्रेल 1699 को बैसाखी के अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पथ की सर्जना की थी एक बड़े पंडाल सजी हुई सगत में से गुरूजी ने एक के बाद एक पांच सिरो की मांग की थी अलग अलग जातियो तथा भौगोलिक क्षेत्रो से सबंधित पांच सिख गुरूजी को भेट करने के लिए आगे आये थे। गुरूजी ने उनको खडे बाटे का अमृत छकाकर खालसा पथ की स्थापना कर एक जाजम पर बैठाया जहाँ पर वे संतो की ओर गुरुओ की वाणी  की सगत करते थे एवं एक साथ बैठकर एक पगत में लगर चखते थे ।

इस प्रकार गोबिंद सिंहजी ने समाजिक समरसता का अदितीय उदाहरण पेश किया। यह विचार  राष्ट्रीय स्वयसेवक सघ के प्रांत प्रचारक पराग अभ्यंकर ने स्वर्गीय भवरलालजी भाटी स्मृति व्यख्यान माला समिति द्वारा गुरू गोबिंद सिंह जी के 350वे प्रकाश पर्व के आयोजित व्यख्यान में कहा

हमे गुरु गोबिंद सिंहजी के मार्ग पर चलने की आवश्कता है- स.गुरनाम सिंह डग

पराग अभयंकर ने बताया कि गुरूजी ने ऐसा खालसा तैयार किया जो देश भक्ति और सेवा करने के साथ साथ देश धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने में भी सक्षम था। स्वर्गीय भवरलालजी भाठी स्म्रति व्यख्यान माला समिति द्वारा गुरू गोबिंद सिंह जी के 350 वे प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुरु सिघ सभा रतलाम के अध्यक्ष स.देवेन्द्र सिंह बग्गा थे। अध्यक्षता कर रहे स.गुरनाम सिंह डग ने कहा कि आज हमे गुरु गोबिंद सिंहजी के मार्ग पर चलने की आवश्कता है एवं इस बात पर दुःख प्रकट किया कि गुरु गोबिंद सिंहजी के उच्च आदर्शो का हमारे शिक्षा के पाठ्क्रम में कोई उळेख नही मिलता इस हेतु प्रयास किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में बड़ी सख्या में नगर के गणमान्य नागरिको ने भाग लिया।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds