समाज में बेटियों के प्रति मानसिकता बदली है
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा स्वागतम् लक्ष्मी योजना का शुभारंभ
भोपाल 24 जनवरी(इ खबरटुडे)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि समाज में बेटियों के प्रति मानसिकता बदल रही है। बेटियों के बिना सृष्टि चल नहीं सकती समाज अब इसे स्वीकार कर रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ स्वागतम् लक्ष्मी योजना के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि देश और प्रदेश के विकास में बेटियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभायें। राज्य सरकार महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक सशक्तिकरण के लिये काम कर रही है। हमने बेटियों के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये कई योजनाएँ शुरू की हैं। हमारी संस्कृति में हजारों वर्षों से महिलाओं के सम्मान की परम्परा रही है। महिलाओं ने सृष्टि की सुरक्षा का दायित्व निभाया है। लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान जैसी योजनाओं ने समाज की मानसिकता बदली है। स्वागतम् लक्ष्मी योजना इसी दिशा में अभिनव पहल है। इस योजना के माध्यम से बेटियों के सम्मान की भावना हर स्तर तक पहुँचाये।
कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिये स्वागतम् लक्ष्मी योजना महत्वपूर्ण पहल है। प्रदेश में वर्ष 2006 में हुई महिला पंचायत के बाद महिलाओं के लिये कई योजनाएँ बनाई गई हैं। आज प्रदेश में 16 लाख लाड़ली लक्ष्मी हैं। महिला-पुरूष अनुपात में भी सुधार हुआ है। महिलाओं के प्रति समाज में सकारात्मक बदलाव आया है। कार्यक्रम को महिला एवं बाल विकास के प्रमुख सचिव श्री बी.आर. नायडू ने भी संबोधित किया। महिला सशक्तिकरण आयुक्त श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने स्वागतम् लक्ष्मी योजना की जानकारी दी। कार्यक्रम को सुश्री पूजा मालवीय ने भी संबोधित किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम में स्वागतम् लक्ष्मी योजना पर केन्द्रित फिल्म, गीत, ब्रोशर तथा लाड़ली लक्ष्मी योजना के आईवीआरएस का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में स्वागतम् लक्ष्मी योजना पर केन्द्रित फिल्म तथा गीत का प्रस्तुतिकरण भी किया गया। कार्यक्रम में जवाहर बाल भवन के बाल कलाकारों ने वंदे-मातरम्, नृत्य नाटिका तथा मध्यप्रदेश गान की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती ऊषा चतुर्वेदी, एकीकृत बाल विकास सेवा की आयुक्त श्रीमती नीलम शमी राव और बड़ी संख्या में महिलाएँ तथा बालिकाएँ उपस्थित थीं।