समाज की पहली जरूरत है स्वास्थ, हमारे साथी उसमें दे रहे निस्वार्थ सेवा
जनस्वास्थ रक्षकों का जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित
रतलाम9 जनवरी (इ खबरटुडे)। देश, प्रदेश और समाज की पहली नींव स्वास्थ होता है। किसी बच्चे को न्युमोनिया या गंभीर बीमारी है तो स्कूल कितना आलीशान है, सड़क कितनी अच्छी है या घर में कितने फर्निचर है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रदेश सरकार इतनी महापंचायत बुला चुकी है,लेकिन स्वास्थ जैसी महत्वपूर्ण महापंचायत नहीं हुई है। अगर मई तक हमारी समस्या सुनकर हल नहीं किया गया तो हम सरकार के विरुद्ध उग्र आंदोलन करेंगे।
यह बात सोमवार को जन स्वास्थ रक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश पाण्डे और प्रदेश महामंत्री पूर्णानंद त्रिपाठी ने रतलाम प्रवास के दौरान मीडिया से चर्चा में कही। जनस्वास्थ रक्षक जिला संगठन की बैठक कालिका माता परिसर में आयोजित हुई जिसमें जिलेभर से आए दर्जनों जनस्वास्थ रक्षकों ने अपनी स्सायाऐं प्रदेश पदाधिकारियों के सामने रखी।
आधी रात सेवा दे रहे हैं हमारे साथी
श्री पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश में 52260 जनस्वास्थ रक्षकों को शासन ने ही ट्रेनिंग देकर दूरस्था गांवों में सेवा देने के लिए तैयार किया था। आधी रात में भी जब किसी ग्रामीणों को कोई समस्या होती है तो जनस्वास्थ रक्षक ही उन्हें तत्काल प्राथमिक उपचार और जीवनरक्षक सेवा देता है। सैकड़ों ग्रामीणों को उनके गांवों में ही ये कर्मचारी बिना सरकार से एक भी रुपए लिए हर रोज अपनी सेवा दे रहे हैं। परंतु रतलाम में कुछ निजी एजेंसियां शासन से मान्य होने के बावजूद झोलाछाप और फर्जी बताकर भय का माहौल बना रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मुहीम चलाने के साथ मुख्यमंत्री से मांग की जाएगी कि आवश्यक हो तो और प्रशिक्षण दिया जाए तथा आरोग्य केंद्रों में पदस्थ किया जाए।
10 रुपए में 52 हजार लोगों को रोजगार
श्री पाण्डेय ने बताया कि उनका संगठन मुख्यमंत्री से भेंट कर उन्हें स्कीम बताना चाहता है जिससे मात्र 10 रुपए लेकर 52 हजार लोगों को रोजगार और लाखों लोगों को स्वास्थ सेवा दी जा सकती है। उन्होंने शासन ने प्रदेश में 54 हजार आरोग्य केंद्रों की स्थापना की, जिनमें फिलहाल सिर्फ एएनएम और सहायिकाऐं हैं। यहां जनस्वास्थ रक्षकों को पदस्थ कर प्रति मरीज 10 रुपए लिए जाऐ। यदि 20 मरीज प्रतिदिन भी यहां आते हैं जिन्हें अपने गांव में ही सही उपचार मिलता है तो एक केंद्र में ही प्रतिसाल कम से कम 72 हजार रुपए कमाई मिलेगी। इसी राशि में से जनस्वास्थ रक्षक को प्रतिमाह 5 हजार रुपए दिए जाए तो 60 हजार रुपए साल ही होगा। बाकी बची राशि शासन से मेंटेनेंस के लिए उपोयग कर सकती है।
दायरे में रहकर करें उपचार
इस दौरान पाण्डेय और त्रिपाठी ने संगठन सदस्यों को भी हिदायत दी कि जनस्वास्थ रक्षकों को जितना प्रशिक्षण दिया गया है वह उतना ही उपचार दें। गंभीर मरीज को प्राथमिक उपचार देकर मुख्यालय रैफर करें और स्वंय दायरे के बाहर जाकर कोई काम न करें। जिला अध्यक्ष ओपी जोशी ने कहा कि संगठन के कर्मचारी दायरे में रहकर काम करते हैं और कोई परेशानी होती है तो संगठन उनके साथ रहेगा और जरूरत पडऩे पर अपनी मांगों के लिए जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री के सामने तक आंदोलन किया जाएगा। लेकिन यदि कोई साथी दायरे के बाहर अनुचित काम करता पाया जाएगा तो संगठन उसका साथ नहीं दे सकता। कार्यक्रम में जिलेभर से आए जनस्वास्थ रक्षकों के साथ ही पदाधिकारियों भी मौजूद थे।