May 10, 2024

संत श्री नर्मदानंद बाप जी की राष्ट्र धर्म विजय यात्रा का गंगोत्री से शुभारंभ,मां गंगा को चुनरी चढाकर यात्रा पर निकले बापजी

गंगोत्री,29 सितंबर (इ खबरटुडे)। राष्ट्रोत्थान का लक्ष्य लेकर द्वादश ज्योतिर्लिंग की राष्ट्र धर्म विजय यात्रा के लिए निकले संत श्री नर्मदानंद बाप जी ने नवरात्री के प्रथम दिन मां गंगा को चुनरी चढाकर गंगोत्री से अपनी राष्ट्र धर्म विजय यात्रा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर यात्रा प्रभारी प्रदीप पांडेय के साथ साथ बडी संख्या में संतजन व भक्त समुदाय उपस्थित था।
संत श्री नर्मदानंद बाप जी ने रविवार सुबह गंगोत्री में गंगा मैया को चुनरी चढाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। यात्रा पर रवाना होने के पूर्व बाप जी ने कन्या पूजन कर वृक्षारोपण भी किया और गंगोत्री के पवित्र जल के बारह कलश भर कर अपनी राष्ट्र धर्म विजय यात्रा का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर संत श्री 1008 नर्मदानंद जी महाराज के साथ संत श्री राघवानंद जी महाराज, संत श्री प्रज्ञानंदजी महाराज, यात्रा प्रभारी प्रदीप पांडेय, गंगोत्री नगर पंचायत अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, मुकेश चौधरी, श्री पांच मंदिर समिति गंगोत्री के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल, सहसचिव राजेश सेमवाल,महात्मा श्री महेश चेतन जी महाराज एवं अन्य भक्तगण, गंगोत्री के पुजारी गण एवं अहमदाबाद सूरत शाजापुर धार उज्जैन रतलाम एवं अन्य स्थानों के भक्तगण नागरिक उपस्थित थे l
बाप जी के सहायक आनंद चेतन ने बताया कि यह यात्रा 309 किलोमीटर की पदयात्रा कर 14 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन श्री केदारनाथ धाम पहुंचेगी जहा बाबा का प्रथम अभिषेक किया जाएगा l इस यात्रा में 12 ज्योतिर्लिंगो के कलश, स्फटिक शिवलिंग एवं त्रिशूल साथ चलेंगे l द्वादश ज्योतिर्लिंग में श्री केदारनाथ धाम से प्रारंभ होकर श्री काशी विश्वनाथ, श्री बैजनाथ धाम, श्री रामेश्वरम, श्रीशैलम, श्री भीमाशंकर, श्री घुश्मेश्वर, श्री त्रंबकेश्वर, श्री सोमनाथ, श्री नागेश्वर से श्री महाकालेश्वर होते हुए श्री ओमकारेश्वर धाम खंडवा मध्यप्रदेश में जाकर यात्रा पूर्ण होगी । पूज्य गुरुदेव देश के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग पर होमात्मक महारुद्र यज्ञ तथा दो बार नर्मदा परिक्रमा कर चुके है । राष्ट्रधर्म विजय यात्रा के दौरान प्रत्येक रात्रि विश्राम स्थल के पड़ाव पर सत्संग व संगोश्ठी के माध्यम से राष्ट्रधर्म सर्वोपरी एवं सांस्कृतिक भारत की अवधारणा को जन जन में पुष्ट करना यात्रा का प्रथमतया उद्देश्य है ।
यात्रा का द्धितीय उद्देश्य प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण हेतु घर घर गोपालन, गों सुरक्षा के माध्यम से बदलते परिवेश में घर घर प्राकृतिक कृषि अपनाने हेतु उपस्थित जनसमुदाय को संकल्प दिलवाना है ।
यात्रा का तीसरा उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रतिदिन निर्धारित समय व स्थान में पौधारोपण करके इस यात्रा को आगे के क्रम में बढ़ाते जाना है ।

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