November 24, 2024

शास्त्री नगर निर्माणाधीन भवन तोड़ने के मामले में हाई कोर्ट का नोटिस

कलेक्टर, निगमायुक्त एवं कार्यपालन यंत्री को किया तलब,

न्यू रोड स्थित दुकानो व अन्य को नोटिस देकर भूली नगर निगम

रतलाम,07 फ़रवरी(इ खबरटुडे)। स्थानीय शास्त्री नगर योजना क्रमांक 20 पर निर्माणाधीन जिला न्यायालय में वादग्रस्त भवन को एम ओ एस ( मिनिमम मार्जिनल स्पेस ) को आधार बना कर तोड़ने के मामले में रतलाम कलेक्टर चन्द्र शेखर बोरकर के साथ नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झरिया व प्रभारी कार्यपालन यंत्री सुरेन्द्र सिंह राजावत को याचिकाकर्ता रमेश मिश्र की याचिका क्रमांक 717 / 16 के संदर्भ में उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया गया है, जिसकी सुनवाई 30.03. 2016 नियत की गई है. मामले में अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता को निगम द्वारा जारी के रु 3.35 के हर्जे खर्चे के नोटिस पर स्थगन आदेश भी जारी किया है।

उल्लेखनीय है की शहर भर में एमओएस विपरीत निर्माण की भरमार है स्टेशन रोड , न्यू रोड समेत बाज़ार के इलाको में बेहतरीब निर्माण है। बीते वर्ष नगर निगम द्वारा न्यू रोड इलाके में सैकड़ो दुकानो को एमओएस विपरीत निर्माण हेतु नोटिस दिए थे, गौरतलब है की शहर की महापौर का निवास स्थान भी इसी रोड पर है जो प्रथम दृष्टया एम ओ एस अनुरूप नहीं नज़र आता है. न्यू रोड पर ही सर्वानंद नामक ग्रोसरी शोरूम को निगम द्वारा पहले धारा ३०२-३०७ के तहत एम ओ एस के विपरीत निर्माण हटाने व बाद में धारा 436 के द्वारा 6 घंटे में निर्माण हटाने का नोटिस देकर लाल निशान भी लगे गए थे, मामला जिला न्यायालय में वादग्रस्त हुआ व् ठन्डे बस्ते में चला गया। इसी प्रकार निगम द्वारा अजंता टाल्कीस रोड पर रोटरी हॉल को भी नोटिस देकर अवैध निर्माण हटाने हेतु निर्देशित किया था अन्यथा 04 . 01 . 2016 की शाम 5 बजे बाद निगम गैंग द्वारा अवैध निर्माण हटाने व हर्जे खर्चे वसूलने की बात कही थी यह कार्यवाही भी ठन्डे बस्ते में है.

वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आनंद नगरकर व श्री प्रदीप रावल ने बताया की याचिकाकर्ता द्वारा कलेक्टर एवं निगमायुक्त द्वारा षड़यंत्र कर उक्त भवन को क्षतिग्रस्त करने व याचिकाकर्ता से संबंधित दैनिक समाचार पत्रो पर कार्यवाही कर भारतीय संविधान की धारा 300 अ, अनुच्छेद 14 व 226 के विरुद्ध कार्यवाही करने का वाद उच्च न्यायालय में दायर किया गया है, साथ ही आई पी सी की धारा 166 : लोकसेवक द्वारा अधिकारों का दुरूपयोग के अंतर्गत भी सम्बंधित अधिकारिओ के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है की निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार ( फर्जी मस्टर रोल, फर्जी रजिस्ट्री घोटाला, एक करोड़ की पंप खरीदी घोटाला, हाई मास्ट घोटाला, जनसम्पर्क घोटाला आदि ) से सम्बंधित समाचार स्थानीय समाचार पत्रो के साथ याचिकाकर्ता से सम्बंधित समाचार पत्रो में भी प्रमुख रूप से प्रकाशित हुए थे जिससे निगमायुक्त झरिया ने द्वेष भावना से ग्रस्त होकर उक्त कार्यवाही की है. गौरतलब तथ्य है की याचिकाकर्ता द्वारा निगम रतलाम द्वारा शहर में हाई मास्ट लगाने में की गई आर्थिक गड़बड़िया एवं एक ही कार्य के लिए तीन तीन नस्तियों के संधारण सम्बंधित शिकायत आर्थिक अपराध शाखा को की थी जिसपर प्रकरण क्रमांक १००/२०१५ दर्ज होकर प्रचलित है. जिससे रुष्ट होकर राजनैतिक प्रक्षय के साथ यह कार्यवाही निगम आयुक्त द्वारा की गई है।

कलेक्टर रतलाम द्वारा भी निगम संसाधन अन्य कार्यो में लगवाने एवं निगम के कार्यो में दखल देने एवं इस सम्बन्ध में पार्षदो व निगम अध्यक्ष की नाराजगी आधारित समाचार भी समाचार पत्रो में बीते समय प्रकाशित हुए है, बहरहाल हाई मास्ट मामले में जांच एवं शहर में हावी अफसरशाही के कारण सम्बंधित अधिकारी फंसते नजर आ रहे है।

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