व्यंग्य अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम – कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर
प्रेस दिवस परिप्रेक्ष्य में आयोजित मीडिया संगोष्ठी की सराहना
रतलाम 9 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। व्यंग्य अभिव्रूक्ति का सशक्त माध्यम हैं। इसके माध्यम से किसी बुराई या अव्यवस्था पर करारी चोट की जाती है। समाचार पत्र में व्यंग्य एवं कार्टून को प्रमुखता इसलिये दी जाती हैं कि इसके माध्यम से कही जाने वाली बात अप्रत्यक्ष होकर भी सीधे चोट करती है। समाचार पत्र में प्रकाशित होने वाले कार्टून सर्वाधिक पढ़े एवं प्रसन्न किये जाते है। कार्टून की प्रस्तुति में कला एवं विषय के प्रति गहन अध्ययन होना आवश्यक है। उक्त विचार जिला जन सम्पर्क कार्यालय एवं रतलाम प्रेस क्लब द्वारा कलेक्टोरेट सभाकक्ष में ”विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में व्यंग्य एवं कार्टून का महत्व व प्रभाव” विषय पर आयोजित मीडिया परिसंवाद में कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने व्यक्त किये। उन्होने कहा कि इस तरह के आयोजन से मीडिया के साथ परस्पर संवाद होता है और समाचार पत्र के विषय तथा प्रस्तुति के संबंध में चर्चा भी होती है।
कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने कहा कि वे दुनिया में सबसे कठिन विधा कार्टून के साथ व्यंग्य के मिश्रण को मानते है। व्यंग्य को प्रस्तुत करने के लिये गहन अध्ययन आवश्यक होता है। किसी भी छोटी सी बात को इस तरह प्रस्तुत किया जाता हैं जिससे सामने वाला प्रभावित हो जाता है। समाचार पत्रों में अभिव्यक्ति के कई प्रकार सामने आते है। परन्तु उनमें कार्टून एवं व्यंग्य प्रभावी माध्यम है। किसी भी विषय के बारे में अपनी राय कायम करना उसमें व्यंग्य ढुढना और कार्टून बनाना यह काफी कठिन कार्य है। उन्होने कहा कि हमारा लोकतंत्र सशक्त हैं और व्यंग्य के माध्यम से विचारों को अभिव्यक्त करने की आजादी इस बात की गवाही देती है।
पाठक पर पड़ता है सीधा प्रभाव
जिला पुलिस अधीक्षक अविनाश शर्मा ने संगोष्ठी में कहा कि समाचार पत्र को पढ़ते समय सबसे पहला ध्यान व्यंग्य चित्र की ओर जाता है। कार्टून एवं व्यंग्य में कही गई बात का पाठक पर सीधा प्रभाव पड़ता है। व्यंग्यकार का लक्ष्य होता है अपनी लेखनी के माध्यम से अव्यवस्था पर प्रहार करना और उसका यही प्रस्तुतीकरण पाठक को प्रभावित करता है। समाचार पत्र को खोलते ही उनकी पहली अभिलाषा होती हैं व्यंग्य चित्र (कार्टून) देखने की। समाज की आवाज इसके माध्यम से व्यक्त होती है। उन्होने कहा कि सफल एवं प्रभावी व्यंग्य वही होता हैं जो बरसो बरस दिलों में बना रहे। कई व्यंग्य एवं कार्टून आज भी हमारे मन पर अपना प्रभाव बनाये हुए हैं। यही उनकी सफलता है।
व्यंग्य अव्यवस्था की शल्य चिकित्सा करता हैं
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ व्यंग्यकार सत्यनारायण भटनागर ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यंग्य अव्यवस्था की शल्य चिकित्सा करता है। कार्टून एवं व्यंग्य समाज के प्रभावी व्यक्ति की कार्यशैली एवं उसके द्वारा उत्पन्न अव्यवस्था को उजागर करते हैं। इससे पढ़ने वाला समझ जाता हैं कि यह किसे ध्यान में रखकर लिखा गया है। मगर इसका संदेश व्यक्तिगत नहीं होकर समाजगत होता है। उन्होने कहा कि व्यंग्य कमजोर के पक्ष में खड़ा होता हैं और प्रभावी को उलाहना देता है। प्राचीन धर्म ग्रंथो एवं लोक कथाओं के उदाहरणों के माध्यम से उन्होने बताया कि व्यंग्य के माध्यम से बात कहने की परम्परा काफी पुरानी है। यदि व्यंग्य को ठीक तरह से समझ लिया जाये तो अव्यवस्था को व्यवस्था में बदलने में आसानी होती है। श्री भटनागर ने कहा कि व्यंग्य एवं कार्टून सिर्फ हसाने या किसी पर तानाकशी करने के लिये नहीं होते है बल्कि वे तो समाज में समरसस्ता का संदेश देते है। उन्होने कहा कि व्यंग्य में छिपासंदेश महत्वपूर्ण होता है। यह पाठक तक पहुॅच जाये तो ही व्यंग्य की सफलता मानी जाती है।
संगोष्ठी का आयोजन सुखद
संगोष्ठी में उपस्थित मीडियाकर्मीयों ने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कार्टून एवं व्यंग्य के महत्व पर केन्द्रित आयोजन को सुखद बताया। रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन ने कहा कि ऐसी संगोष्ठी से आपसी संवाद का सिलसिला आरम्भ होता है। रतलाम और प्रदेश में व्यंग्य लेखन की समृध्द परम्परा रही है। इसके माध्यम से प्रदेश के समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में व्यंग्य विधा को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता रहा है। आंचलिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष रमेश टांक ने संगोष्ठी के माध्यम से समाचार पत्र में प्रकाशित व्यंग्य सामग्री पर चर्चा को महत्वपूर्ण बताया। उन्होने कहा कि इस तरह के आयोजन निरंतर होना चाहिए। पर्यावरण डाइजेस्ट के सम्पादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने कहा कि व्यंग्य समाज के लिये शाश्वत संदेश देते है। उन्होने मध्यप्रदेश के व्यंग्य रचनाकारों की रचनाओं को प्रस्तुत करते हुए प्रदेश की व्यंग्य परम्परा से परिचित कराया। यू.एन.आई.वार्ता के संवाददाता तुषार कोठारी ने कहा कि व्यंग्य विधा पर संगोष्ठी होना इसलिये भी महत्वपूर्ण हैं क्योकि पाठक पर सर्वाधिक प्रभाव व्यंग्य एवं कार्टून ही छोड़ते है। ऐसे आयोजन का होना इस विधा को सम्बल प्रदान करने के समान है। नई दुनिया के संवाददाता नरेन्द्र जोशी ने कहा कि व्यंग्य के माध्यम से सभी समाचार पत्र ज्वलंत समस्याओं को प्रस्तुत करते है। यही कारण हैं कि व्यंग्य पाठक को सबसे अधिक प्रभावित कर अपनी छाप छोड़ते है।
प्रारम्भ में विषय प्रवर्तन करते हुए उप संचालक जन सम्पर्क क्रांतिदीप अलूने ने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन होना था जो जिले में आचार संहिता प्रभावशील होने के कारण नहीं हो सका था। आज के आयोजन को भारतीय प्रेस परिषद ने वरिष्ठ कार्टूनिस्ट आर.के.लक्ष्मण एवं राजेशपुरी की स्मृति को समर्पित किया है। इन दोनों महान विभूतियों द्वारा व्यंग्य विधा के क्षेत्र में किये गये कार्यो को स्मरण करने का आज हमें अवसर मिला है। इसके माध्यम से हम पत्रकारिता के मूल्यों एवं मापदण्डों पर विचार विमर्श करने के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में नये प्रतिमान स्थापित करने के संबंध में विचार विमर्श भी करें। संगोष्ठी की शुरूआत अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन कर की गई। संगोष्ठी का संचालन आशीष दशोत्तर ने किया एवं आभार उप संचालक क्रांतिदीप अलूने ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये। इस अवसर पर प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया के सम्पादक, संवाददाता, प्रतिनिधि एवं दैनिक, साप्ताहिक, मासिक समाचार पत्रों के गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।