November 15, 2024

विश्व में सबसे मजबूत है भारत की न्याय व्यवस्था

अधिवक्ता परिषद के कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश श्री चन्द्रावत ने कहा

रतलाम,8 अगस्त (इ खबरटुडे)। भारत के प्राचीन मनीषियों ने भारत में सुदृढ न्याय व्यवस्था का निर्माण किया था,लेकिन बाद में अंग्रेजों ने अपनी न्याय व्यवस्था को देश में लागू कर दिया। भारत की न्याय व्यवस्था विश्व की न्याय व्यवस्थाओं में सबसे मजबूत है। न्यायाधीश को सदैव निष्पक्ष रहना चाहिए।
यह बात विशेष सत्र न्यायाधीश एमएस चन्द्रावत ने शनिवार को अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद रतलाम द्वारा कनेरी रोड स्थित आम्रपाली में आयोजित भारतीय न्याय व्यवस्था-अतीत,वर्तमान,भविष्य विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रुप में कही। श्री चन्द्रावत ने कहा कि मनुस्मृति में सुदृढ सामाजिक न्याय व्यवस्था बताई गई है। प्रत्येक पीडीत व्यक्ति को त्वरित एवं सही न्याय मिलना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति में न्याय व्यवस्था कभी भी कमजोर नहीं रही है। हमने पूरे विश्व को राह दिखाई है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिवक्ता परिषद के प्रदेश मंत्री विक्रम दुबे ने की। विशेष अतिथि प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रकाशराव पंवार ने की। संचालन महामंत्री सतीश त्रिपाठी ने किया।

गरिमा बनाए रखे अभिभाषक

कार्यक्रम में प्रथम सत्र में अभिभाषक चन्द्रसिंह पंवार ने कहा कि अभिभाषक को अपना व्यवसाय गरिमापूर्वक करना चाहिए। अधिक अध्ययन कर न्याय दृष्टान्त न्यायाधीश को बताकर प्रकरण की पैरवी करना चाहिए। आधुनिक संसाधनों की जानकारी भी होना चाहिए। अभिभाषक  संघ के अध्यक्ष संजय पंवार ने कहा कि अभिभाषकों को सदैव कुछ नया सीखना चाहिए। सतत अध्ययन  ही एक अच्छे अधिवक्ता की पहचान है। अभिभाषक संघ के सचिव दीपक जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

संगठन की शक्ति एकता की पूंजी

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में अधिवक्ता परिषद की संभागीय बैठक हुई। इसमें उज्जैन,मन्दसौर,इन्दौर,देवास,महू इत्यादि स्थानों के अभिभाषक सम्मिलित हुए। बैठक में आरएसएस के विभाग प्रचारक योगेश शर्मा ने कहा कि संगठन की शक्ति एकता की पूंजी होती है।  हमें सदैव मिलकर एक दूसरे को समझकर कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम  को आरएसएस के विभाग संघचालक माधव काकाणी एवं अधिवक्ता परिषद के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य रुपसिंह राठौड ने भी सम्बोधित किया।

इन्होने किया स्वागत

प्रत्येक सत्र में मंचासीन अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष किशोर मण्डोरा,तुषार कोठारी,उदय कसेडिया,कमलेश भण्डारी,वीरेन्द्र कुलकर्णी,राकेश मेढा,विजय नागदिया,विस्मय चत्तर,पंकज बिलाला आदि ने किया।

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