..लेकिन इनको नहीं आयेगी शर्म कभी भी
प्रकाश भटनागर
भारत द्वारा अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल से एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराए जाने की उपलब्धि एक ऐसा सौभाग्य है, जिसे दुर्भाग्य से विखंडित और विभाजित करने के जतन तुरंत शुरू हो गये हैं। राहुल गांधी तंज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी बधाई दे रहे हैं।गांधी की पार्टी के रणदीप सिंह सुरजेवाला इतिहास के एक छोर तक गये और समय के गलीचे को लपेटते हुए इसका श्रेय देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को देकर फिर वर्तमान में लौट आये। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह मानो दस्त लगने की स्थिति के शिकार होकर भड़भड़ाते हुए इस बात से नाराज हैं कि मोदी ने इसका श्रेय लेने की पहल क्यों कर दी। भाजपा खेमे में उत्साह का माहौल है कि राहुल गांधी की न्याय योजना को सियासी अंतरिक्ष की किसी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित होने से पहले ही लाइव सैटेलाइट वाली उपलब्धि से मार गिराये जाने का बंदोबस्त कर लिया गया है।
सबसे पहले तो इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ को हार्दिक बधाई। क्योंकि आसमानी सफलता के एक अहम क्षेत्र में देश को चौथी पायदान तक पहुंचा देने का श्रेय सीधा-सीधा उसके खाते में जाता है। लेकिन बधाई या श्रेय के तो मोदी भी हकदार हैं। ऐसे फैसले देश में बिना राजनीतिक नेतृत्व की मर्जी के तो नहीं होते हैं। इस उपलब्धि पर यकीनन कांग्रेस का भी हक बनता है। क्योंकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय ही इस योजना को मूर्त रूप प्रदान किया गया। लेकिन इस मिशन को हरी झंडी तो मोदी ने ही दी है। लिहाजा होना यह चाहिए कि देश आज के दिन की इस उपलब्धि को किसी राष्ट्रीय पर्व की खुशी की तरह साझा करे। इसका राजनीतिकरण न होने दे। यह होना बहुत जरूरी है। वरना, आप गुरूवार के विदेशी अखबार पढ़ लीजिए। एक खास विचारधारा को प्रमोट करने वाले अखबारनवीस डीआरडीओ की इस सफलता की बजाय इस बात को सुर्खियों में जगह देंगे कि जिस देश ने यह सफलता हासिल करने का दावा किया है, उस देश में ही इसे लेकर विरोधी दावे और कटाक्ष किए जा रहे हैं, वह भी प्रमुख विपक्षी दल की ओर से। आम चुनाव के इस माहौल में अच्छा होता इस उपलब्धि से देश को सूचित करने का काम डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के ही हवाले कर दिया जाता। लेकिन अगर मोदी श्रेय लेने की कोशिश करेंगे तो फिर विपक्ष वहीं आचरण करेगा जो कर रहा है।
न तो डीआरडीओ किसी राजनीतिक दल का झंडा या विचारधारा की किताब लेकर चलती है और न ही इस देश की महान सेना का चरित्र इस तरह का रहा है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। तीनों ही संस्थाओं को केवल और केवल अपने वतन से मतलब है। लेकिन ऐसे महान तथा निर्विवाद संगठनों की गतिविधियों को भी राजनीतिक चोला पहचाने की कोशिश की जाए तो इस पर खामोश रहना कठिन होना चाहिए। मोदी यदि इस कामयाबी पर सियासी लाभ लेने की अनुचित कोशिश कर रहे हैं तो राहुल गांधी भी इसकी बधाई के साथ विश्व रंगमंच दिवस का पुछल्ला जोड़कर राजनीतिक रंगमंच पर किसी भांड की तरह का आचरण करते ही दिख रहे हैं। आचरण के लिहाज से गिरगिटों की समूची प्रजाति को बदरंग करने में सक्षम आम आदमी पार्टी का तो खैर क्या कहना! डर तो यह है कि कहीं ममता बनर्जी एंड कंपनी इस बात का सबूत मांगने के लिए न पिल पड़ें कि वाकई हमारे पास कोई ऐसी एंटी सैटेलाइट मिसाइल है, जिसने सही में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है।
इस सफलता पर डीआरडीओ के वैज्ञानिक भले ही आरम्भ में निहाल हो गये हों, लेकिन अब तो उन्हें भी यह डर सता रहा होगा कि किसी भी समय उन पर इस काम के जरिए मोदी सरकार के चुनावी एजेंडे को पूरा करने की तोहमत न लगा दी जाए। क्योंकि जो लोग अपने राजनीतिक हितों की खातिर देश की सेना को नहीं बख्श रहे, जिन्हें चुनाव आयोग को लेकर भी तमाम आशंकाएं हैं और जो फिर भी मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाने की बेशर्मी दिखा रहे हैं, उनसे तो फिर किसी भी हद तक जाकर अमर्यादित आचरण करने की आशंका जतायी ही जा सकती है। देश के सौभाग्य के इस तरह से सामूहिक चीरहरण को देखकर दुख होता है, क्रोध आता है, लेकिन इन आचरणकर्ताओ को न शर्म आयी थी, न आयी है और न ही उसके आने की कोई उम्मीद है। चुनाव के माहौल में देश की एक बड़ी उपलब्धि बेवजह राजनीति का शिकार हो रही है। लानत!