November 26, 2024

लहसन किसानों के संरक्षण के लिये नाफेड के माध्यम से खरीदी करें केन्द्र सरका

किसान नेता बंशीलाल गूर्जर ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र

मन्दसौर,11 मार्च (इ खबरटुडे)। लहसन की खरीगी शासकीय स्तर पर नाफेड के माध्यम से की जाना चाहिए। यह मांग प्रदेश के किसान नेता बंशीलाल गूर्जर ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर की है। उन्होने कहा कि पिछले दो वर्षो से लहसन उत्पादक किसान बरबादी के कगार पर है व केन्द्र सरकार सो रही है। किसानों की लहसन फसल बिक्री में किसानों को 1200 रू0 प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा हैं। किसानों को नुकसान से बचाने के लिये केन्द्र सरकार को नाफेड के माध्यम से खरीदी प्रारंभ कर किसानों का संरक्षण करना चाहिये।

श्री गुर्जर ने कहा की कृषि परम्परागत घाटे का धन्धा है व किसान कृषि को घाटे के धन्धे के रूप में ही पीड़ियों से करता चला आ रहा हैं। किसानों की फसल पककर किसानों के घर में आते समय भाव लागत से नीचे चले जाते है। ऐसी स्थिति में किसानों को सरकारों के संरक्षण की आवश्यकता पड़ती। जब फसलों के भाव लागत से नीचे आ जाते है तो खाद्यान्नों व दलहनों में जैसे सरकारी खरीद व्यवस्था है, वैसी सभी फसलों में होना चाहिये। श्री गुर्जर ने कहा कि विगत दो वर्षो से लहसन जो कि मसाला फसल में आती है की दुर्गति हो रही हैं। वर्तमान में लहसन के औसत भाव 800 रू0 क्विंटल है। जबकि लहसन की लागत 2000 रू0  क्विंटल है किसान को 1200 रू0 क्विंटल का नुकसान हो रहा हैं। किसान कर्ज चुकाने के लिये फसल को बेचने को मजबुर हैं।

उन्होने कहा कि जब प्याज के भाव बढ़ जाते है तो केन्द्र सरकार चिन्तित हो जाती हैं व दिल्ली सरकार किसानों की फसलों को ज्यादा दाम पर नही बिकने देने की बात करते हुऐं दिल्ली में सस्ते प्याज बिकवाने की व्यवस्था करती है। केन्द्र सरकार निर्यात प्रतिबंधित कर आयात करना प्रारम्भ कर देती हैं। सरकारें उपभोक्ताओं की चिन्ता कर किसानों की चिन्ता नही करती हैं। यह दुर्भाग्य की बात हैं।

अभी लहसन की आवके भरपुर हो रही है। भाव नदारद है, किसान मजबुर है व केन्द्र सरकार व उसके उपक्रम सो रहे है। बाजार विशेषज्ञों का अनुमान कहता है कि अप्रेल तक लहसन के भाव भी सुधरेंगे व निर्यात की भी संभावनाऐं हैं। अन्य प्रदेशों में भी कम बुवाई का अनुमान है। उपज की कमी रहेगी ऐसे में बाजार विशेषज्ञ भाव बढ़ने के अनुमान लगा रहे हैं। ऐसे में जब तक भाव लागत से कम है। किसानों को संरक्षण की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार से हम मांग करते हैं कि नाफेड के माध्यम से लहसन खरीदी प्रारम्भ कर वर्तमान संकट से किसानों को बचाया जाए।

 

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