November 9, 2024

रेडक्रास चुनाव से पहले नहीं बाद में उभरी गुटबाजी

पदाधिकारी चयन में गुल खिलाएगी गुटबाजी

रतलाम,3 अगस्त(इ खबरटुडे)। रेडक्रास चुनाव से पहले गुटबाजी की अटकलें तो सटीक नहीं बैठी,लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए भाजपा की गुटबाजी उभर कर सामने आ गई। भाजपा समर्थित सेवा पैनल के नौ में से छ:जीते हुए सदस्य परिणाम आने के फौरन बाद शहर विधायक को धन्यवाद देने जा पंहुचे। राजनीतिक हलकों में अब अनुमान लगाए जा रहे है कि पदाधिकारी चयन में अच्छी खासी खींचतान देखने को मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि हिम्मत कोठारी समर्थक महेन्द्र गादिया लम्बे समय से रेडक्रास चेयरमेन के प्रतिष्ठापूर्ण पद पर आसीन है। इस बार जब चुनाव की घोषणा हुई और उसके बाद चली सरगर्मियों में यह अनुमान लगाए गए थे कि रेडक्रास चुनाव में शहर विधायक उद्योगपति चैतन्य काश्यप अपने समर्थकों की पैनल उतारेंगे। काश्यप समर्थक मनोहर पोरवाल समेत अन्य कई नेता इस दिशा में सक्रिय हो गए थे। लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आए,यह गुटबाजी गायब होती गई और कोठारी व काश्यप समर्थकों ने मिलकर एक ही सेवा पैनल चुनाव में उतार दी।
चुनाव के पहले दबी हुई गुटबाजी चुनाव परिणाम आते ही सामने आ गई। चुनाव परिणाम आते ही सेवा पैनल के जीते हुए नौ सदस्यों में से छ: सदस्य सीधे शहर विधायक के निवास पर जा पंहुचे,जबकि तीन सदस्य पूर्व चेयरमेन महेन्द्र गादिया,शरद जोशी और सुलोचना शर्मा विधायक के निवास पर नहीं पंहुचे।
रेडक्रास के विजयी सदस्यों के विधायक निवास पर पंहुचने के बाद अब इस बात के कयास लगाए जा रहे है कि रेडक्रास पदाधिकारी चुनाव में भाजपा की गुटबाजी का पूरा असर देखने को मिलेगा। दस में से छ: सदस्य अगर विधायक को धन्यवाद देने पंहुचे है,तो विधायक खेमा निश्चित तौर पर पदाधिकारी निर्वाचन में जोर आजमाइश करेगा।
मजेदार तथ्य यह भी है कि विधायक के निवास पर पंहुचने वाले सदस्यों में से जहां एक कांग्रेस से जुडे सदस्य है,वहीं एक सदस्य को कट्टर कोठारी समर्थक माना जाता है। ऐसी स्थिति में पदाधिकारी निर्वाचन में किसी उलटफेर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
हांलाकि पूर्व चेयरमेन महेन्द्र गादिया के समर्थक इस बात को लेकर निश्चिन्त है कि श्री गादिया ही दोबारा चेयरमेन बनाए जाएंगे। इस खेमे के लोगों को भरोसा है कि पदाधिकारी निर्वाचन के दौरान निर्वाचित सदस्य महेन्द्र गादिया के ही पक्ष में मतदान करेंगे। जबकि दूसरा पहलू यह है कि अब तक की घटनाएं बताती है कि शहर विधायक का खेमा हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को आतुर रहता है। नौ में से छ: निर्वाचित सदस्यों के साथ में आने के बाद यह तय है कि विधायक खेमा चेयरमेन के निर्वाचन में अपने समर्थक को जरुर उतारेगा और ऐसी स्थिति मे भाजपा की गुटबाजी की दरार और अधिक चौडी होगी।

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