रामपाल केस: सिरसा सेंट्रल जेल में बनी अदालत, कुछ ही देर में शुरू होगी कार्यवाही
हरियाणा\हिसार,,29 अगस्त (इ खबर टुडे)। हरियाणा के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम संचालक संत रामपाल के खिलाफ चल रहे दो केसों में हिसार कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. दोपहर सवा दो बजे तक फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है. जज हरीश सिंह सिरसा जेल में बने कोर्ट रूम में सुनवाई करेंगे.
इस फैसले के मद्देनजर हिसार में धारा 144 लागू कर दी गई है. बीते बुधवार को संत रामपाल के खिलाफ दर्ज FIR नंबर 201, 426, 427 और 443 के तहत पेशी हुई थी. कोर्ट ने FIR नंबर 426 और 427 का फैसला सुरक्षित रख लिया था.
जानकारी के मुताबिक, रामपाल पर FIR नंबर 426 में सरकारी कार्य में बाधा डालने और 427 में आश्रम में जबरन लोगों को बंधक बनाने का केस दर्ज है. FIR नंबर 426 IPC की धारा 323 (1 साल कैद), धारा 353 (3 साल कैद), धारा 186 (3 साल कैद) और धारा 426 (3 माह कैद) के तहत दर्ज है. वहीं, FIR नंबर 427 धारा 147 (1 साल कैद), धारा 149 (1 साल कैद), धारा 188 (1 साल कैद) और धारा 342 (1 साल कैद) के तहत दर्ज है. इन दोनों मामलों में प्रीतम सिंह, राजेंद्र, रामफल, वीरेंद्र, पुरुषोत्तम, बलजीत, राजकपूर ढाका, राजकपूर और राजेंद्र को भी आरोपी बनाया गया है.
जेल में बंद रामपाल, हत्या का केस
बताते चलें कि कबीर पंथी विचारधारा के समर्थक संत रामपाल दास देशद्रोह के एक मामले में इन दिनों हिसार जेल में बंद हैं. हिसार के बरवाला में तीन साल पहले हुए विवाद के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे पहले साल 2006 में भी रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था. रामपाल स्वामी रामदेवानंद महाराज के शिष्य हैं.
आर्य समाज से झड़प में तीन की मौत
2009 में संत रामपाल को आश्रम वापस मिल गया. उनके खिलाफ आर्य समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. 12 मई, 2013 को नाराज आर्य समाजियों और संत रामपाल के समर्थकों में एक बार फिर झड़प हुई. इस हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए.
कोर्ट ने जारी किया गैर-जमानती वारंट
5 नवंबर को पंजाब-हरियाणा कोर्ट ने संत रामपाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. 10 नंवबर को संत रामपाल को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन संत के समर्थकों ने रामपाल को अस्वस्थ बताकर गिरफ्तारी का आदेश मानने से ही इनकार कर दिया. संत रामपाल कोर्ट में पेश नहीं हुए. इस मामले में हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार और प्रशासन को फटकार लगाई थी.