राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिये आदर्श आचरण संहिता
उज्जैन 22 अक्टूबर। विधानसभा निर्वाचन 2013 के लिये निर्वाचन आयोग द्वारा सम्बन्धित विधानसभा क्षेत्रों में 04 अक्टूबर 2013 से आदर्श आचरण संहिता लागू कर दी गई है। आदर्श आचरण संहिता राज्य शासन, राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के लिये लागू हो गई है।
निर्वाचन काल में आदर्श साधारण आचरण
चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई आदर्श आचरण संहिता के अनुसार पालन किये जाने वाले साधारण आचरण में किसी दल या अभ्यर्थी को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये, जो विभिन्न जातियों व धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच विद्यमान मतभेदों को बढ़ावा दे या घृणा की भावना उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे। जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाये, तब वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पूर्ववृत्त और कार्य तक ही सीमित होना चाहिये। यह भी आवश्यक है कि व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना नहीं की जानी चाहिये, जिसका सम्बन्ध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो। दलों या उनके कार्यकर्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिये, जो ऐसे आरोपों पर जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो या तोड़-मरोड़ कर कही गई बातों पर आधारित हो।
सभी दलों व अभ्यर्थियों को मत प्राप्त करने के लिये जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई नहीं देना चाहिये। मस्जि़दों, गिरजाघरों, मन्दिरों या पूजा के अन्य स्थानों का निर्वाचन प्रचार के लिये मंच के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिये। सभी दलों व अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यों से ईमानदारी के साथ बचना चाहिये, जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध हैं। जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को अभित्रस्त करना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के भीतर संयाचना करना, मतदान की समाप्ति के लिये नियत समय को खत्म होने वाली 48 घंटे की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं करना और मतदाताओं को सवारी से मतदान केन्द्र तक ले जाना व वापस लाना आदि शामिल है।
सभी राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों को इस बात का प्रयास करना चाहिये कि वे प्रत्येक व्यक्ति के शान्तिपूर्ण और विघ्नरहित घरेलू जिंदगी के अधिकार का आदर करें, चाहे वे उसके राजनैतिक विचारों या कार्यों के कितने ही विरूद्ध क्यो न हो, व्यक्तियों के विचारों या कार्यों का विरोध करने के लिये उनके घरों के सामने प्रदर्शन आयोजित करने या धरना देने के तरीकों का
सहारा किसी भी परिस्थिति में नहीं लेना चाहिये। किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को ध्वज दण्ड बनाने, ध्वज टांगने, सूचनाएं चिपकाने, नारे लिखने आदि के लिये किसी व्यक्ति की भूमि, भवन, अहाते, दीवार आदि का उसकी अनुमति के बिना उपयोग करने की अनुमति अपने अनुयायियों को नहीं देना चाहिये।
राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित सभाओं, जुलुसों आदि में बाधाएं उत्पन्न न करें या उन्हें भंग न करें। एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ता या शुभचिंतकों को दूसरे राजनैतिक दल द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभाओं में मौखिक रूप से या लिखित रूप से प्रश्न पूछकर या अपने दल के पर्चे वितरित करके गड़बड़ी पैदा नहीं करना चाहिये। किसी दल द्वारा जुलूस उन स्थानों से होकर नहीं ले जाना चाहिये, जिन स्थानों पर दूसरे दल द्वारा सभाएं की जा रही हों। एक दल द्वारा निकाले गये पोस्टर दूसरे दल के कार्यकर्ता द्वारा हटाये नहीं जाना चाहिये।
सभाएं आयोजित करने के बारे में आदर्श आचरण संहिता
चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचरण संहिता के तहत निर्देश दिये गये हैं कि दल या अभ्यर्थी को किसी प्रस्तावित सभा के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को उपयुक्त समय पर सूचना दे देनी चाहिये, ताकि वे यातायात को नियंत्रित करने और शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिये आवश्यक इंतजाम कर सके। दल या अभ्यर्थी को उस दशा में पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि उस स्थान पर जहाँ सभा करने का प्रस्ताव है, कोई निर्बंधात्मक या प्रतिबंधात्मक आदेश लागू तो नहीं है, यदि ऐसे आदेश लागू हों तो उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिये। यदि ऐसे आदेशों से कोई छूट अपेक्षित हो तो उनके लिये समय से आवेदन करना चाहिये और छूट प्राप्त कर लेना चाहिये।
यदि किसी प्रस्तावित सभा के सम्बन्ध में लाऊड स्पीकरों के उपयोग या किसी अन्य सुविधा के लिये अनुज्ञा या अनुज्ञप्ति प्राप्त करनी हो, तो दल या अभ्यर्थी को सम्बन्धित प्राधिकारी के पास काफी पहले आवेदन करना चाहिये और ऐसी अनुज्ञा प्राप्त कर लेनी चाहिये। किसी सभा के आयोजकों के लिये अनिवार्य है कि वे सभा में विघ्न डालने वाले या अव्यवस्था फैलाने का प्रयत्न करने वाले व्यक्तियों से निपटने के लिये पुलिस की सहायता प्राप्त करे। आयोजक स्वयं ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही न करे।
जुलूसों का आयोजन
जुलूसों का आयोजन करने वाले दलों को आदर्श आचरण संहिता के अनुसार यह बात तय कर लेनी चाहिये कि जुलूस किस समय और किस स्थान से शुरू होगा और किस मार्ग से जायेगा तथा किस स्थान पर समाप्त होगा। सामान्यत: ऐसे कार्यक्रमों में फेदबदल नहीं करना चाहिये। आयोजकों को जुलूस के कार्यक्रम के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को अग्रिम सूचना दे देना चाहिये। साथ ही आयोजकों को यह पता कर लेना चाहिये कि जिन इलाकों से जुलूस होकर गुजरता है उनमें कोई प्रतिबंधात्मक आदेश तो लागू नहीं है। जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष छूट न दे दी जाये, तब तक उन प्रतिबंधों का पालन करना चाहिये तथा यातायात के नियमों का भी पालन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिये।
आयोजकों को चाहिये कि जुलूस का इंतजाम इस तरह से किया जाये कि यातायात में कोई रूकावट या बाधा उत्पन्न न हो। यदि जुलूस लम्बा हो तो उसे उपयुक्त लम्बाई वाले टुकड़ों में संगठित किया जाना चाहिये, ताकि अन्तरालों पर होते हुए यातायात के लिये समय-समय पर रास्ता दिया जा सके। जुलूसों की व्यवस्था सड़क के दायीं ओर रखी जाये तथा पुलिस के निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिये। दो या दो से अधिक राजनैतिक दलों या अभ्यर्थीयों ने लगभग एक ही समय पर उसी रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव किया है तो आयोजकों को चाहिये कि वे समय से काफी पूर्व आपस में सम्पर्क स्थापित करें और ऐसी योजनाएं बनायें कि जुलूसों में टकराव न हो व यातायात में बाधा न पहुँचे। जुलूस में शामिल लोगों द्वारा ऐसी चीजें लेकर चलने के विषय में, जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा विशेष रूप से उत्तेजना के क्षणों में उपयोग किया जा सकता हो, को अधिक से अधिक नियंत्रण करना चाहिये। किसी भी राजनैतिक दल द्वारा या अभ्यर्थी को अन्य राजनैतिक दलों के सदस्यों या नेताओं के पुतले लेकर चलने, उनको सार्वजनिक स्थानों पर जलाने या इसी प्रकार के अन्य प्रदर्शनों का समर्थन नहीं करना चाहिये।
मतदान दिवस के दिन पालन की जाने वाली आचरण संहिता
सभी राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को चाहिये कि वे मतदान दिवस के दिन यह सुनिश्चित करने के लिये कि मतदान शान्तिपूर्ण और सुव्यवस्थित ढंग से हो, मतदाताओं को इस बात की पूर्ण स्वतंत्रता हो कि वे बिना किसी परेशानी व बाधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें, निर्वाचन कत्र्तव्य पर लगे हुए अधिकारियों के साथ सहयोग करें। सभी दल अपने प्राधिकृत कार्यकर्ताओं को उपयुक्त बिल्ले या पहचान-पत्र वितरित करें। इस बात से सहमत हो कि मतदाताओं की उनके द्वारा दी गई पहचान पर्चियाँ सादे कागज पर होगी और उन पर कोई प्रतीक चिन्ह, अभ्यर्थी का नाम या दल का नाम नहीं होगा। मतदान के दिन और उसके पूर्व 24 घंटों के दौरान किसी को शराब पेश या वितरित न की जाये। राजनैतिक दलों और अभ्यर्थीयों के द्वारा मतदान केन्द्रों के निकट लगाये गये केम्पों के नजदीक अनावश्यक भीड़ इकट्ठी न होने दें। यह भी सुनिश्चित किया जाये कि अभ्यर्थियों के कैम्प साधारण हो, उन पर कोई पोस्टर झण्डे, प्रतीक या अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित न की जाये। कैम्पों में खाद्य पदार्थ पेश न किये जायें व भीड़ न लगायी जाये। मतदान के दिन वाहन चलाने पर लगाये जाने वाले निर्बन्धनों का पालन करने में प्राधिकारियों के साथ सहयोग करें। मतदान केन्द्र में मतदाताओं के सिवाय कोई भी व्यक्ति निर्वाचन आयोग द्वारा दिये गये विधिमान्य पास के बिना मतदान केन्द्रों में प्रवेश नहीं करेंगे। निर्वाचन आयोग प्रेक्षकों की नियुक्ति कर रहा है। यदि निर्वाचनों के संचालन में अभ्यर्थी या उनके अभिकर्ता को कोई विशेष शिकायत या समस्या हो तो वे उसकी सूचना प्रेक्षक को दे सकते हैं।
सत्ताधारी दल के लिये आदर्श आचरण संहिता
निर्वाचन आयोग द्वारा सत्ताधारी दल के लिये जारी की गई आदर्श आचरण संहिता के तहत सत्ताधारी दल को चाहे वह केन्द्र में हो या सम्बन्धित राज्य या राज्यों में हों, यह सुनिश्चित करना चाहिये कि यह शिकायत करने का मौका न दिया जाये कि उस दल ने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजन के लिये अपने सरकारी पद का प्रयोग किया है। विशेष रूप से मंत्रियों को अपने शासकीय दौरों को निर्वाचन से सबन्धित प्रचार कार्य के साथ नहीं जोड़ना चाहिये। निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुए शासकीय मशीनरी अथवा कर्मियों का प्रयोग नहीं करना चाहिये। सरकारी विमानों, गाडि़यों सहित सरकारी वाहनों, मशीनरी और कर्मिकों का सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिये प्रयोग नहीं किया जायेगा। सत्ताधारी दल को चाहिये कि वह सार्वजनिक स्थान जैसे मैदान इत्यादि पर निर्वाचन सभाएं आयोजित करने और निर्वाचन के सम्बन्ध में हवाई उड़ानों के लिये हेलिपेडों का इस्तेमाल करने के लिये अपना एकाधिकार न जमायें। ऐसे स्थानों का प्रयोग दूसरे दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्हीं शर्तों पर करने दिया जाये, जिन शर्तों पर सत्ताधारी दल उनका प्रयोग करता है।
सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिये अन्य दलों और अभ्यर्थियों को ही अनुमति दी जायेगी किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रोपेगंडा के लिये सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से प्रयोग नहीं करेगा या उसे प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
निर्वाचन अवधि के दौरान राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्षपातपूर्ण व्याप्ती के लिये सरकारी खर्चे से समाचार-पत्रों में या अन्य माध्यमों में ऐसे विज्ञापन का जारी किया जाना तथा सरकारी जन माध्यमों का दुरूपयोग कत्र्तव्यनिष्ठ होकर बिल्कुल बन्द रहना चाहिये, जिनमें सत्ताधारी दल के हितों को अग्रसर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियाँ दिखाई गई हो। मंत्रियों व अन्य प्राधिकारियों को उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये गये हैं स्वेच्छानुदान निधि में से अनुदानों अथवा अदायगियों की स्वीकृति नहीं देना चाहिये। मंत्री और अन्य अधिकारी किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंजूरी या वचन देने की घोषणा नहीं करेंगे और किसी प्रकार की परियोजना अथवा स्कीमों के लिये आधारशिलाएं आदि नहीं रखेंगे। सड़कों के निर्माण का कोई वचन नहीं देंगे, पीने के पानी की सुविधाएं आदि नहीं देंगे। शासन सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति नहीं की जायेगी। केन्द्रीय या राज्य सरकार के मंत्री अभ्यर्थी या मतदाता अथवा प्राधिकृत अभिकर्ता अपनी हैसियत को छोड़कर किसी भी मतदान केन्द्र या गणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे।