राग रतलामी/ पचास मरीजों पर डेढ सौ डाक्टर,वे ही बन गए कोरोना वारियर
-तुषार कोठारी
रतलाम। लगता है कोरोना का कहर अब अपने आखरी दौर में पंहुच रहा है। शहर के छ: में से तीन कन्टेनमेन्ट इलाके मुक्त हो चुके है और बचे हुए तीन में से एक के जल्दी ही मुक्त होने की उम्मीद है। पिछले पचास दिनों के कोरोना काल में कई सारी अनोखी घटनाएं भी हुई। जिन्होने उंगली कटाई उन्हे शहीदों का दर्जा मिल गया,जो जूझते रहे ,वो सम्मान पाने के लिए तरसते रहे।
कोरोना के शुरुआती दिनों में जब इससे निपटने की तैयारियां चल रही थी,लोगों को बडी उम्मीद थी कि अब शहर में मेडीकल कालेज चल रहा है,इसलिए इससे निपटने के लिए बडे बडे विशेषज्ञ मौजूद है। सरकारी इंतजांिंमया ने भी मेडीकल कालेज में दो दो आइसोलेशन वार्ड बना कर रख दिए थे,ताकि जरुरत पडने पर कोरोना से पूरी ताकत से निपटा जा सकेगा। ये तो मां कालिका की कृपा थी कि कोरोना का ज्यादा कहर शहर पर टूटा नहीं और मेडीकल कालेज के आइसोलेशन वार्ड खाली ही रह गए।
पचास दिनों में कुल मिलाकर पचास भी ऐसे मरीज नहीं आए,जिन्हे आइसोलेशन में भर्ती करना पडा हो। पचास मरीजों की देखभाल के लिए कालेज के करीब डेढ सौ डाक्टर जुटे हुए थे। ये अलग बात है कि इनमें से वार्ड में जाकर मरीजों की पूछपरख किसी ने भी नहीं की होगी। लेकिन फिर भी वो कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर कहलाते है और उनका परिसर में मौजूद होना ही बडी बात होती है। शायद यही वजह थी कि ये तमाम डाक्टक कोरोना वारियर के तमगे लगाकर घूम रहे हैैं।
दूसरी तरफ सरकारी खैराती अस्पताल के चार दर्जन डाक्टर है,जो पांच सौ मरीजों को सम्हाल रहे है,लेकिन इसमें कोरोना वाला कोई नहीं। उन्हे कोई कोरोना वारियर कहने को तैयार नहीं। वैसे तो कोई भी मरीज सबसे पहले उन्ही के पास पंहुचता था। जब उन्हे लगता था कि ये कोरोना वाला हो सकता है तो वे उसे मेडीकल कालेज रवाना कर देते थे। इनका दुखडा यही है कि जिन्होने उंगली तक ठीक से नहीं कटवाई,उन्हे वारियर का दर्जा मिल रहा है और जो दिन रात जुटे हुए हैैं,उन्हे कोई पूछने तक को तैयार नहीं।
यही दुखडा उनका भी है,जो कन्टेनमेन्ट इलाकों में घर घर जाकर लोगों की स्क्रीनींग कर रहे थे। सबसे ज्यादा जोखिम उन्ही को था,लेकिन उन्हे ना तो सुरक्षा के पर्याप्त साधन दिए गए थे और ना ही सम्मान दिया जा रहा था। फिर भी नौकरी की खातिर उनकी मजबूरी थी,खतरनाक इलाकों में घूमने की। और वे इस मजबूरी को निभाए जा रहे हैैं।
कोरोना के जाने के बाद भी ये सवाल उठते रहेंगे। मेडीकल कालेज की बदौलत शहर में जो उम्मीदें जगी थी,दो साल होने को आए है,वे कहीं पूरी होती नजर नहीं आई है। कालेज के बडे वाले डाक्टरों ने सरकारी अस्पताल में अपनी सेवाएं देने की बताया निजी क्लीनीक खोलने और वहां पर मरीजों का इलाज करने में ही ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। कोरोना काल में भी उनका कोई खास फायदा शहर को नहीं मिल पाया है। अब जब कोरोना का खतरा टल जाएगा,तब इनका कोई फायदा आम लोगों को मिलेगा या नहीं,इसी पर लोगों की निगाहें टिकी है।
जल्दी जांच की सौगात से सुरक्षा
कोरोना से लडाई में पहला हथियार कोरोना की त्वरित जांच का था,जो कि अब तक रतलाम के पास नहीं था। कोरोना संदिग्धों के सैम्पल भेजने के बाद एक लम्बे इंतजार की मजबूरी थी। इसका एक बडा खतरा यह भी था कि पाजिटिव मरीज की सूचना मिलने में होने वाली देरी से संक्रमण अधिक फैल सकता था। लेकिन अब जल्दी जांच की सौगात शहर को मिल गई है। इस सौगात को दिलाने में शहर के विधायक जी ने बडी भूमिका निभाई तो सरकारी अफसरों ने भी अपना रोल सही तरीके से निभाया। इसी टीम वर्क का नतीजा है कि अब एक ही दिन में कोरोना की जांच रिपोर्ट मिलने लगेगी और कोरोना से निपटना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा।
देर से आए दुरुस्त आए….
देश में कई जगह कोरोना वारियर्स पर हमलों की खबरें आती रही है। रतलाम के लोग खुद को खुशकिस्मत समझ रहे थे कि कम से कम यहां के टोपीवाले,दूसरी जगहों जैसे जाहिल नहीं है। लेकिन आखिरकार यहां के कुछ टोपीवालों ने अपनी अदा दिखा ही दी और सोशल डिस्टेंसिंग करवा रहे एक वर्दी वाले की पिटाई कर दी। इस पिटाई का शिकार वर्दीवाले के साथ मौजूद एक वारियर भी बन गया। सूबे की सरकार के मुखिया ने बडे जोर शोर से कहा था कि जो भी कोरोना वारियर पर हमला करेगा उसे रासुका में बन्द कर दिया जाएगा। लेकिन यहां के साहब लोग कुछ अलग हिसाब लगा रहे थे। पहले तो मामले को रफा दफा करने की कोशिशें हुई लेकिन जब वर्दी वाले की पिटाई की खबरें बाहर फैली तो उन्होने पिटाई करने वालों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कर लिया। फिर जानकारी मिली कि वर्दी वाला भी सुरूर में था,तो उसका मेडीकल कराकर उसे सस्पैण्ड भी कर दिया,ताकि नाराजगी कुछ कम हो सके। लेकिन इस सारे झमेले में वे मामा की घोषणा को भूल ही गए। बाद में जब ये बातें जोर शोर से उठने लगी तो हमला करने वालों में से एक के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई। दो तीन गिरफ्तारियां भी कर ली गई। बातें फिर भी बन्द नहीं हुई तो एक और आरोपी पर रासुका लगा दी गई। फिलहाल मामला यहीं टिका हुआ है। तीन चार लोग पकडे जा चुके है और दो पर रासुका लग गई है। इसी को कहते है देर से आए दुरुस्त आए……।