May 20, 2024

राग रतलामी- चुनावी शोर थमने के बाद अब रतलाम लौट आएगें लम्बे समय से नदारद रहे पंजा पार्टी के नेता, पुराने खबरचियों को मिला खुशी का मौका

-तुषार कोठारी

रतलाम। सूबे की सरकार बनाने के लिए हो रहे चुनाव का शोर शाम को खत्म हो जाएगा। रतलाम की पंजा पार्टी के कई सारे नेता पिछले कई दिनों से अलग अलग चुनावक्षेत्रों में पंहुचे हुए हैैं। इनमें से कुछ को चुनाव लडकर जीतने का तजुर्बा है,लेकिन कई ऐसे भी है जिन्हे सिर्फ चुनाव हारने का ही तजुर्बा है। ऐसे सारे नेता,अब शहर को लौटने लगेंगे। पंजा पार्टी वाले बताते है कि कुछ नेता नजदीक के बदनावर में ड्यूटी दे रहे हैैं,तो कुछ सुवासरा में किला लडा रहे हैैं। कुछेक सांवेर पंहुचे हुए है। इन नेताओं को वहां क्या जिम्मेदारी दी गई है ये यहां किसी को ठीक से मालूम नहीं है,लेकिन जो ड्यूटी दे रहे हैैं वो तो यही जता रहे हैैं कि पूरे चुनाव का बोझ उन्ही के कन्धों पर है। जिन्हे जीतने का तजुर्बा है,वो तो ठीक, हारने का तजुर्बा रखने वाले भी खुद को कम नहीं आंक रहे। जिससे भी बात करो,यही कह रहा है कि उसकी कोशिशों से पंजा पार्टी की जीत पक्की हो गई हैै। ये तमाम नेता कभी सोशल मीडीया के जरिये और कभी अखबारों के जरिये अपने आपको महत्वपूर्ण नेता की तरह प्रोजेक्ट कर रहे हैैं। अलग अलग इलाकों में पंहुचे हुए पंजा पार्टी के सारे नेता शनिवार को बदनावर पंहुच गए थे। जैसे ही उन्हे खबर लगी कि वहां दिग्गी राजा पंहुचने वाले है,सारे के सारे फौरन बदनावर पंहुच गए,ताकि दिग्गी राजा की नजर में आ सके।
हांलाकि सियासत को समझने वाले जानते है कि वहां के नतीजों से रतलामी नेताओं की सियासत पर कोई बडा फर्क नहीं पडेगा। ना तो इनके सिरों पर जीत का सेहरा बन्धने वाला है,ना ही हारने की स्थिति में इन पर कोई ठीकरा फूटने वाला हे। लेकिन जब तक वो वहां है,अपने इलाके में तो यही बताते रहेंगे कि तमाम जिम्मेदारी उन्ही की है। पिछले हफ्ते पन्द्रह दिनों से अलग अलग इलाकों में गए हुए पंजा पार्टी नेताओं के शहर में लौटने के बाद शहर की सियासत में भी कोई बदलाव आने की फिलहाल उम्मीद कम ही है,क्योंकि चुनाव के नतीजे आने के बाद अगले चुनाव का एलान होने तक उनके पास कोई खास कांम नहीं रहने वाला। उनके पास सिर्फ चुनाव के किस्से होंगे,जो वो अपने साथियों को सुनाएंगे। अगर कहीं कोई जीत गया,तो फिर वे खुद ही अपने सिर पर जीत का सेहरा बान्ध लेंगे। इस मामले में फूल छाप के नेता आमतौर पर बेअसर रहे। इक्के दुक्के नेताओं को छोड कर तमाम नेता यहीं मौजूद है और वे यहींं रह कर फूल छाप की जीत के दावे कर रहे हैैं।

पुराने खबरचियों के लिए खुशी का मौका

शहर के पुराने खबरची बेहद खुश है। पिछले हफ्ते का आखरी दिन पुराने खबरचियों के लिए बडा शानदार गुजरा। तमाम पुराने खबरचियों को मंच पर बुला बुला कर शाल श्रीफल और सम्मान पत्र दिए गए। इनमें से कई तो लम्बे समय से घरों से निकल ही नहीं पाए थे। लोग उन्हे भूलने लगे थे। गुजरते वक्त ने उन्हे हाशिये पर डाल दिया था। लेकिन आखिर वक्त बदला और उन्हे जलसे मेंं जाकर सम्मानित होने का मौका मिल पाया। ये अलग बात है कि सम्मान करने वाले भी उन्ही की बिरादरी के थे। किसी दूसरी बिरादरी ने शायद इसकी जरुरत नही समझंी होगी। वहां मौजूद तमाम लोग भी एक ही बिरादरी के थे, और जो इस बिरादरी के नहीं थे,वे मंच पर जलसे के मेहमान के तौर पर मौजूद थे। आयोजकों ने भी बडी समझदारी से कोविड प्रोटोकाल के बहाने सभी की कुर्सियां दूर दूर लगवाई थी,ताकि वे लोग आपस में इजहारे खयालात ना कर सके। जलसे में कई मजेदार बातें हुई। मंच के सामने मौजूद कुछ पुराने खबरचियों ने अपनी आदत के मुताबिक अलग दिखने के चक्कर में मंच संचालक के साथ टोका टोकी की। संचालक को कहा गया कि वे ज्यादा ज्ञान ना झाडें,क्योंकि वे सब पहले से ज्ञानी है। मंचासीन मेहमानों को खबरचियों का ऐसा जलसा भी शायद पहली बार देखने को मिला था। इसलिए उन्हे लगा कि आयोजकों ने मेंढकों को तौलने जैसा असंभव काम कर दिखाया है। ऐसे जलसे में कुछेक लोग ऐसे जरुर निकल आते हैैं जो बेवजह नाराजगी जाहिर कर अपने आपकों अलग से दिखाना चाहते हैैं। ऐसे ही एक खबरची ने नाराजगी दिखाते हुए जलसे से रवाना होने का एलान कर दिया। लेकिन बाद में पता चला कि नाराज खबरची एक पेड के पीछे छुप छुप कर जलसा ही देख रहा था। एक खबरची इसलिए नाराज हो गया कि भीतर जाने से पहले सबकी जांच की जा रही थी। जब उस खबरची की जांच की जाने लगी तो वह नाराज हो गया। ऐसी तमाम मजेदार बातों के साथ खबरचियों का जलसा पूरा हुआ। जलसे का असर अब तक नजर आ रहा है। फेसबुक व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म्स पर खबरची अपनी अपनी फोटू लगाकर लोगों को बता रहे हैैं कि उन्हे सम्मानित किया गया है। कुल मिलाकर कोरोना के इस डिप्रेशन वाले वक्त में खबरचियों की संस्था ने डिप्रेशन में जा रहे कई खबरचियों को अगले कई दिनों तक खुश रहने की व्यवस्था करवा दी है और इसके लिए वे वाकई बधाई के हकदार है।

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