राग रतलामी/गैंग रेप कांड-बालिकाओं के लिए अब भी मौजूद है कई खतरें
-तुषार कोठारी
रतलाम। नाबालिग से गैंग रेप की खबरें रतलाम के बाशिन्दे जब टीवी पर देखते थे,तब शायद किसी ने यह सोचा भी नहीं होगा कि किसी दिन यही वाकया रतलाम में भी हो जाएगा। लेकिन ऐसा हो ही गया। यही नहीं,ये वाकया किसी दूर दराज के मोहल्ले में नहीं बल्कि शहर के राजमार्ग की हैसियत रखने वाले स्टेशन रोड पर बने होटल में हुआ। जांच आगे बढी तो अब ये भी पता चल चुका है कि आशीर्वाद होटल तो रतलाम पर बनी जब वी मेट की कहानी को सही साबित करने पर तुला था।
जबकि रतलाम की छबि खराब करने के मामले में जब वी मैट के निर्माता निर्देशक के खिलाफ रतलाम की अदालत में केस भी दायर किया गया था और निर्देशक ने अदालत में आकर माफी भी मांगी थी। बहरहाल,गैंग रेप के मामले में आरोपियों की गिरफतारी के बाद अब मामले का वैसे तो पटाक्षेप हो चुका है,लेकिन आशीर्वाद होटल से मिले सीसीटीवी फुटेज के हिसाब से अब भी कई सारे खतरे मौजूद है।
पहला सवाल तो यही है कि स्टेशन रोड जैसे इलाके में पिछले कई महीनों से इस तरह के काम हो रहे थे,तो पुलिस क्या कर रही थी? ये होटल तो थाने से आधे किमी की दूरी पर भी नहीं है। होटलों और लॉजों की नियमित रुप से चेकिंग करना पुलिस की ड्यूटी है और यह ड्यूटी हो भी रही थी। सवाल यह है कि जो कोई आशीर्वाद होटल की चैकिंग करने जाता था,उसे इसका अंदाजा नहीं हो पाता था कि वहां क्या चल रहा था? या पता चलने पर भी उसे चलने दिया जा रहा था?सवाल यह भी है कि जब नियमित चैकिंग की जा रही थी तो इस होटल की अनदेखी करने वाले के खिलाफ कार्यवाही कौन करेगा? क्या इसके लिए भी शिकायत का इंतजार किया जाएगा?
अब यह कैसे पता चलेगा कि सीसीटीवी फुटेज में मुंह पर कपडा बांधे जो तस्वीरें नजर आईं है,उनमें कितनी बालिकाएं है और कितनी लिव इन वाली या धन्धे वाली महिलाएं है? मुंह पर कपडा बान्धे दिखाई दे रही तस्वीरों के साथ जो लोग है,वो कौन है? बडे साहब ने खबरचियों से बात करने के दौरान कह दिया कि आजकल लिव इन कानूनी तौर पर मान्य है इसलिए बिना रिपोर्ट के पुलिस कुछ नहीं कर सकती? लेकिन नाबालिग बालिकाओं के लिए लिव इन मान्य नहीं है। कपडे के नीचे छुपे चेहरे को देखकर ही यह अंदाजा लग सकता है कि वह चेहरा किसी नाबालिग का है या बालिग का?
बडा सवाल यह भी है कि क्या शहर में यही एकमात्र होटल था,जो घंटो के हिसाब से कमरे किराये पर देता था। जानने वालों का कहना है कि कई सारे होटलों में यह सुविधा उपलब्ध है। महिलाओं को ना तो मुंह पर बंधा कपडा खोल कर चेहरा दिखाना जरुरी है और ना ही कमरे को दिनभर के लिए लेना। इतना ही नहीं,चौदह पन्द्रह साल के स्कूली छात्र को इस बात की जानकारी भी मिल जाती थी कि स्टेशन रोड पर ही ऐसी सुविधा उपलब्ध है। कुल मिलाकर खतरे अब भी मौजूद है। सीसीटीवी के फुटेज में जितने जोडें नजर आ रहे है,उनकी जांच होने तक तो खतरे मौजूद है ही।
मेले का झमेला
कालिका माता का नवरात्री मेला दूर दूर तक फेमस है। इसलिए इस मेले में धंधा करने दूर दूर से लोग आते है। निगम वालों के लिए भी यह कमाई का बडा मौका होता है,इसलिए मेले में आने वाले व्यापारियों से जमकर वसूली करना वे अपना परम धर्म मानते है। मेले में आने वाला व्यापारी निगम उंची दरों पर नीलामी बोलकर जैसे तैसे दुकान की जगह हासिल करता है और निगम वालों की भारी भरकम मांगों को भी इस उम्मीद में पूरा करता है कि मेले में ये सारे खर्चे निकाल कर कमाई तो हो ही जाएगी। खोमचे वाले,झूले चकरी वाले,सजावटी चीजों के व्यापारी,हर कोई इसी उम्मीद से आता है।
लेकिन इन उम्मीदों पर इस बार बारिश पानी फेर रही है। व्यवसायी फिर भी उम्मीद लगाए बैठे है कि बारिश थमेगी और मेला जमेगा। व्यवसाईयों को उम्मीद है इसलिए निगम वाले भी वसूली में कोई कमी करने को तैयार नहीं है। उनका दुखडा यह है कि भरपूर वसूली करने के बावजूद निगम वाले अपनी जिममेदारी निभाने को तैयार नहीं होते। बारिश की वजह से हर ओर कीचड है। मेले में दुकानें लगना है,लेकिन नगर निगम के अमले ने कीचड पर मुरम चूरी डालने की कोई जहमत नहीं उठाई। उनका सिर्फ इतना ही काम है कि नीलामी करके जगह बेच दो और जगह लेने वालों से वसूली कर लो। कीचड गंदगी का मामला दुकानदार खुद निपट लेगा।
झूले वाले कीचड के कारण झूले नहीं लगा पा रहे,लेकिन अब तक वहां कोई व्यवस्था नही की गई है। इस मामले में न तो निगम के बड़े साहब को कोई चिंता है और ना मैडम जी को। बड़े लोग तो मंचीय कार्यक्रमों का हिसाब लगाने में व्यस्त है।