May 20, 2024

राग रतलामी- कोरोना के खतरे से ज्यादा डरावना है कोरोना अस्पताल में चौदह दिन बन्द रहने का डर

-तुषार कोठारी

रतलाम। कोरोना का डर लोगों में अब कम होता जा रहा है। वैसे तो हर दिन पाजिटिव मिलने वालों की तादाद बढती जा रही है। एक दिन में पाजिटिव मिलने का आंकडा दो दर्जन तक जा पंहुचा है,लेकिन इसके बावजूद भी डर खत्म होने की वजह यह है कि ठीक होने वालों की तादाद भी बढती जा रही है। धीरे धीरे लोगों को समझ में आने लगा है कि कोरोना से ज्यादा खतरा उन्ही को है,जो उम्रदराज होकर कई सारी दूसरी अलामतों से घिरे हुए है। लेकिन अब लोगों को एक नया डर सताने लगा है। नया डर कोरोना के इलाज के दौरान आने वाली दिक्कतों का है।
कोरोना का डर तो कम हो गया है,लेकिन कोरोना अस्पताल से जो किस्से बाहर आ रहे है, वो कोरोना के कहर से ज्यादा डरावने हैं। इंतजामियां तो हर दिन कोरोना से ठीक होकर आने वालों के फोटो जारी करता है। इंतजामियां के अफसर मरीजों के ठीक होकर लौटने के वक्त कोरोना के लिए बनाए गए अस्पताल में पंहुचते हैं और वहां मौजूद तमाम लोग तालियां बजाकर ठीक होने वालों का स्वागत करते है। तमाम खबरची भी वहां मौजूद रहते हैं। खबरची फोटो विडीयो भी बनाते हैं और ठीक होकर जाने वालों से बात भी करते है। जो ठीक होकर जा रहा होता है,इंतजामों की तारीफ के पुल बान्धता हुआ जाता है।
लेकिन असल किस्से इससे ठीक अलग है। कोरोना अस्पताल से लौट कर आए एक मरीज का तो यहां तक कहना है कि अगर वह कुछ घण्टे और वहां रह जाता तो उसकी मौत तय थी। कोरोना की चपेट में आए इस व्यवसायी को कोरोना अस्पताल में ले जाया गया था। उसे सांस लेने में कुछ समस्या आ रही थी। व्यवसायी दो दिन तक वहां रहा,इस दौरान उसे देखने कोई डाक्टर नहीं पंहुचा। मरीज को लगा कि वह जेल में बन्द कर दिया गया है। ना तो परिवार के किसी सदस्य को उससे मिलने दिया जा रहा था,ना ही बाहर सम्पर्क करने दिया जा रहा था। चूंकि मरीज प्रभावशाली व्यक्ति था,इसलिए किसी तरह उसने बाहर सम्पर्क बनाया और अपने प्रभाव का उपयोग कर इस जेलनुमा अस्पताल से निकल कर इन्दौर के निजी अस्पताल जाने में सफल हो गया। निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रहने के बाद उसकी हालत नियंत्रण में आई और अब वह रतलाम में है। उसी कोरोना योध्दा का कहना है कि चाहे कुछ हो जाए,कोरोना के सरकारी अस्पताल में नहीं जाना चाहिए।
यह तो उस व्यक्ति की कहानी है,जो रसूख वाला था। लेकिन जो आम आदमी कोरोना अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है,उसकी स्थिति तो और भी बुरी है। उसे ना तो मोबाइल ले जाने की अनुमति है और ना ही अन्य किसी उपकरण लैपटाप आदि को साथ रखने की इजाजत है। परिवार के लोगों से मिलना तो दूर बात तक नहीं करने दिया जाता। परिवार को लोगों को मरीज की स्थिति बताने वाला भी कोई नहीं है। अस्पताल एक ऐसी जेल में बदल गया है,जहांं किसी की कोई सुनवाई नहीं। कोरोना के मरीज को अगर कोई दूसरी समस्या हो गई,तो उसका इलाज करने वाला कोई नहीं है। किसी कोरोना मरीज को कोरोना काल में अगर ब्लड प्रैशर या शुगर बढने जैसी कोई समस्या हो जाती है,तो भगवान ही उसका मालिक है। कोरोना के रहते दूसरी बिमारियों के इलाज का कोई प्रावधान ही नहीं रखा गया है।
गनीमत यही है कि जितने कोरोना मरीज वहां ले जाए जा रहे हैं उनमें से ज्यादातर बिना लक्षण वाले संक्रमित है,जिन्हे कोई तकलीफ नहीं हो रही है। उन्हे चौदह दिन की जेल काटना है,जो कि वे जैसे तैसे काटकर बाहर निकलने की राह देखते है। और जिस दिन वे बाहर आते है,वे इस बात की खुशी मना रहे होते है कि चलो जेल से छुटकारा मिला। इसी खुशी में वे कैमरों के सामने,अफसरों का लिहाज करते हुए इंतजामों की तारीफ कर देते है। लेकिन कुछ दिन गुजरने के बाद जब वो हकीकत बयान करते है,तो वही सब सामने आता है,जो पहले लिखा जा चुका है।
बहरहाल कोरोना योध्दा कहे जा रहे इन कोरोना संक्रमितों की हिम्मत की दाद दी जाना चाहिए,इसलिए नहीं कि वे कोरोना को मात देकर आए है,क्योंकि यह तो अब सामान्य बात हो गई है। उनकी हिम्मत की दाद इसलिए दी जाना चाहिए क्योंकि वे अस्पताल के नाम पर बदइंतजामी से भरी एक जेल काटकर बाहर निकल रहे है।

सूना रहा स्वतंत्रता पर्व…….

आजादी की सालगिरह,पन्द्रह अगस्त का दिन आया और चला भी गया। पिछले बहत्तर सालों मे स्वतंत्रता पर्व कभी भी इतना सूना नहीं रहा। पता ही नहीं चला कि स्वतंत्रता पर्व मनाया गया। पहले के सालों में इस दिन सुबह से चौराहों चौराहों पर देशभक्ति गीत बजने लगते थे और सुबह से ही पता चल जाता था कि आज आजादी की सालगिरह मनाई जा रही है। शहर के कई चौराहों पर ध्वजारोहण होता था,तिरंगा रैलियों में शहर के युवा हर सडक़ पर धूम मचा दिया करते थे। लेकिन इस बार ना तो कहीं देशभक्ति के गीत सुनाई दिए और ना हीं किसी सार्वजनिक स्थान पर ध्वजारोहण किया गया। सिर्फ टीवी पर स्वतंत्रता दिवस मनता हुआ नजर आया।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds