December 24, 2024

डॉ डी. एन.पचौरी
आज सुबह जब हमारे मित्र शर्मा जी मिले तो बहुत उदास थे । हमने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी कामवाली बाई काम छोड़कर चली गयी है । हमने समझाया कि और मिल जायेगी किन्तु उन्होंने कहा कि ऐसी बाई मिलना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है । ऐसी क्या ख़ास बात थी बाई में ? अब शर्मा जी ने जो बताया वो बाई की कहानी शर्मा जी की जुबानी सुनिए ।
लगभग दो वर्ष पहले की बात है एक दिन शाम को जब में आफिस से घर पहुंचा तो देखा कि मेरी पत्नी के पास एक अत्यंत खुबसूरत महिला बेठी थी । कितना हसीं चेहरा कितनी प्यारी आँखे या कुदरत ने बनाया होगा फुर्सत में तुझे मेरे यार जेसे गाने शायद इस जेसी औरत के लिए ही लिखा गया होगा । गोल चेहरा कजरारी आँखें सुन्दर नाक नक्स और गोरा रंग यदि उस महिला की तुलना फिल्म मदर इण्डिया की हीरोइन नर्गिस से की जाती तो ये बाई इक्कीस बैठती नकि उन्नीस । पता चला कि बाई काम मांग ने आई है । क्या कामवाली बाई इतनी सुन्दर होगी ये रहस्य मय प्रश्न था । ना करने का सवाल ही नहीं था बाई ने उसी दिन से घर का पूरा काम संभाल लिया । ठण्ड गर्मी बरसात आंधी तूफ़ान कुछ भी हो बाई सुबह ८ बजे आ जाती थी उसने दो साल में कभी छुट्टी नहीं ली और समय की इतनी पाबन्द कि घड़ी लेट हो जाय पर बाई कभी लेट नहीं होती थी । वह कौन थी ?कहाँ से आई थी ? कहाँ की रहने वाली थी ?यहां तक कि उसका नाम क्या था ?जब उससे उसका नाम पूछा तो उसने कह दिया कि आप केवल बाई कहकर पुकारिए और अपना नाम नहीं बताया । चूँकि वह बहुत सुन्दर थी इसलिय्रे हमने उसका नाम सुन्दरबाई रख लिया था । काम करने के बदले जो रुपये उसे दिए जाते थे उनके अलावा वह कुछ नहीं लेती थी यहाँ तक कि तीज त्यौहार पर भी कोई कपड़ा या उपहार उसे स्वीकार नहीं था ।
बाई मुझे झटके पर झटके दिए जा रही थी पहला झटका तो उसकी सुन्दरता को देखकर लगा था और दूसरा झटका जब लगा जब मुझे डाउट हुआ कि उसको अंगरेजी भाषा का ज्ञान है क्योंकि जबमैं टी वी परअंग्रेजी समाचार सुनता था तो सुन्दरबाई काम बंद करके समाचार सुनने लगती थी । एक दिन अंग्रेजी पेपर में मैंने कुछ इम्पोर्टेंट न्यूज अन्डर लाइन की थी किन्तु बच्चों ने पेपर कहीं इधर उधर कर दिया और आफिस जाते समय मुझे नहीं मिला । शाम को जब मैं लौटा तो देखा की वही पेपर मेरी टेबिल पर रखा था
मुझे आश्चर्य हुआ कि मेरी पत्नी को इतनी अंग्रेजी नहीं आती है तो फिर ये पेपर टेबिल पर कैसे आ गया ? बच्चो से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह पेपर सुन्दरबाई ने टेबल पर रखा है इससे कन्फर्म हो गया कि बाई को अंग्रेजी आती है । मैं रहस्य के सागर में गोते लगाने लगा कि जब ये बाई इतनी पढ़ी लिखी है तो कामवाली बाई क्यों बनी है ये तो किसी भी कार्यालय में कम से कम क्लर्क की नौकरी तो पा ही सकती है उसका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली है कि अच्छे कपड़े पहन ले तो किसी कॉलेज की प्रोफ़ेसर या प्रिंसिपल दिखे यह बड़ा रहस्य था की वो कामवाली बाई बनी हुई है क्यों?
एक दिन तो हद हो गयी बच्चे सुबह कम्पूटर पर गेम खेल रहे थे किसी कारण कम्पूटर में कोई खराबी आ गयी मैंने सोचा कि शाम को ऑफिस से लौटते समय किसी मकैनिक को ले कर आऊंगा किन्तु जब शाम को लोट कर देखा तो बच्चे कप्यूटर पर गेम खेल रहे थे मैंने पूछा की कप्यूटर किसने ठीक किया तो उत्तर मिला कि सुन्दरबाई ने । मेरी समझ में नहीं आया कि है भगवान ये औरत इंसान है या भुत,प्रेत, डायन,चुड़ेल क्या है? क्योंकि इंसान इतना पढ़ा लिखा हो तो घरेलू काम क्यों करेगी कही ये नागिन तो नहीं जो भेस बदल कर औरत के रूप में कार्य कर रही है क्योंकि वो काम करते-करते रुक जाती थी और शून्य में घुलती रहती थी जैसे किसी अद्रश्य शक्ति से बात कर रही हो फिल्मो में बताया जाता है कि नागिन औरत के रूप में हो किन्तु दर्पण में नागिन ही दिखती है इसलिए मैं बाई के पीछे उस कमरे में गया जहा वो अलमारी के पास पोता लगा रही थी तो अलमारी के काँच में हमने देखा कि बाई का प्रतिबिम्ब इंसान के रूप में ही था अब मैंने इस रहस्य को खोलने की ठान ली पत्नी को कहा की इससे पूछो की यह कौन है यह अपने बारे में सब बताये परेशानी यह थी कि कुछ भी यदि अधिक दबाव डाला जाता तो बाई काम छोड़कर जा सकती थी इसलिए यह निर्णय लिया गया कि बाई से उसके बारे में कुछ नहीं पूछा जाय । हम चुप रहे और इस प्रकार दो वर्ष बीत गए । कल हमारे मित्र त्यागी जी दिल्ली से हमसे मिलने आये । आज सुबह जब सुन्दरबाई प्रात ८बजे काम पर आई तो मिस्टर त्यागी को देख के चोंकी और बाई के चेहरे का रंग उड़ गया । त्यागी को भी जैसे करेंट लगा और वो बाई को देखता ही रह गया |सुन्दरबाई कुछ देर रुकी जैसे कुछ सोच रही हो फिर लौटकर चली गयी । एसा कभी नहीं हुआ था । हमने दस बजे तक इन्तजार किया किन्तु सुन्दरबाई लौटकर नहीं आई । त्यागी ने फिर बताया कि इसका नाम विमला है शादी के पहले इसका नाम विमला रस्तोगी था और ये हमारे साथ पढ़ती थी । इसके पिताजी मिस्टर रस्तोगी आयकर अधिकारी थे । अपने जमाने में विमला अत्यंत खुबसूरत थी जिसका इसे बहुत घमंड था । पैसे के गरूर और जवानी के सरुर में किसी को कुछ नहीं समझती थी । कार से उतर कर सीधी क्लास में जाती और कालेज का समय समाप्त होने पर अपने घर चली जाती न किसी से बात करती न कोई सहेली थी क्योंकि इसकी नजर में कोई उसके स्तर का नहीं था । एक लड़का विनोद ही विमला के पीछे पडा रहता था । विमला ने दो तीन बार उसे फटकार भी लगाई किन्तु उसने पीछा नहीं छोड़ा । किसी काम में लगातार लगे रहो तो सफलता एक न एक दिन मिल ही जाती है यहाँ भी यही हुआ धीरे धीरे विमला विनोद की और आकर्षित होने लगी फिर तो दोनों साथ साथ दिखने लगे । कभी लाइब्रेरी तो कभी केन्टीन कभी पार्क और कभी सिनेमा घर में । दोनों के प्यार के चर्चे पहले क्लास फिर कालेज और अंत में रस्तोगी साहब तक भी पहुँच गए । नतीजा ये कि परीक्षा के बाद विमला को दुसरे शहर उसके अंकल के यहाँ पहुंचा दिया गया ।
अंकल के यहाँ विमला को यूनिवर्सिटी में एम. ए. अंग्रेजी में एडमिशन दिलवा दिया गया। यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ सुहाने ने शादी नहीं की थी। क्योंकि स्वयं पी. एच. डी. करने और छात्रों को पी. एच. डी. कराने में शादी ब्याह का ख्याल ही नहीं आया पर ३७ वर्ष कहा निकल गये पता ही नहीं चला किन्तु जब विमला को देखा तो दिल के तार बज उठे। शायद ये बात सही है कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है, डॉ सुहाने विमला की और आकर्षित होने लगे। औरते आदमी की नज़र तुरंत पहचान लेती है। अतः विमला भी सुहाने सर को प्रेम करने लगी। दोनों लाइब्रेरी, केंटिन, पार्क सब जगह साथ-साथ नज़र आने लगे। दोनों के प्यार के चर्चे यूनिवर्सिटी केम्पस के बाहर पहुचने लगे और यह बात रस्तोघी साहब को पता लगी उन्होंने देर करना उचित नहीं समझा और विमला की समहति से डॉ सुहाने के साथ शादी का निर्णय ले लिया क्योंकि वे विनोद के मामले में परेशान हो चुके थे। डॉ सुहाने और विमला की शादी के बाद दोनों के चाँदी के दिन और सोने की राते बीतने लगी जिसका प्रतिफल एक कन्या रत्न के रूप में प्राप्त हुआ। एक वर्ष बाद सुहाने सर पुनः पठन पाठन में व्यस्त हो गए। विमला को अकेलापन खलने लगा। अब विमला को समझ में आया कि शादी समव्यस्को में होनी चाहिए जबकि डॉ सुहाने विमला से १५ वर्ष बड़े थे विमला सर की बेरुखी से परेशान थी ऐसे समय में बाज़ार में शोपिंग करते समय विमला को उसका पुराना प्रेमी विनोद मिल गया। जिस प्रकार मरुस्थल में पानी के प्यासे को कुछ बुँदे पानी मिल जाये ऐसा विमला को लगा और सुहाने सर की अनुपस्थिति में विनोद विमला के घर आने जाने लगा जब सुहाने सर को यह बात पता लगी तो दोनों में झगड़े होने लगे नतीजा यह हुआ की विमला ने घर छोड़ कर विनोद के साथ जाना उचित समझा। और वो विनोद के साथ भाग गयी प्रायः देखने में आता हे कि काम शक्ति के प्रबल आवेग में इन्सान मान आपमान, धर्म अधर्म, निति और अनीति, यश अपयश सब भूल जाता है और इस संसार चक्र को चलाने के लिए यह आवश्यक भी है रस्तोगी और सुहाने परिवार की प्रतिष्ठा को बुहत धक्का लगा। मिडिया ने इस बात को खूब उछाला। वर्षो तक दोनों का कोई पता नहीं लगा पर सुना जाता है कि विनोद ने विमला को साल भर ही छोड़ दिया था। तब से विमला का कोई पता नहीं था
मिस्टर त्यागी ने लगभग १०, १२ वर्षो के बाद आज विमला को देखा और हमने उनसे विमला की पूरी कहानी सुनी आश्चर्य की बात यह है की इतनी पड़ी लिखी औरत घरेलु बाई का काम क्यों कर रही है क्या वह आपने कर्मों का प्रायश्चित कर रही है या कोई और मज़बूरी है? यह रहस्य भी है। अब विमला कहा है क्या कर रही है कौन जाने!

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