रसोई घर बनाये न की घर में किचन- गुरुवर शांतानंद जी महाराज
भगवान श्रीचन्द्र मंदिर में आरती के साथ दो दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव का समापन
उज्जैन,20 जुलाई(इ खबरटुडे)। कभी रसोई घर को चोका कहा जाता था। जहाँ चार बातों पर विचार किया जाता था। ये चार बातें हैं। कब, कितना, कैसे व क्या। मतलब, कब खाना, कितना खाना, कैसे खाना और क्या खाना। जिस चैके को रसोई घर कहा जाता था। आज वो किचन हो गया है। रसोई घर और किचन में अंतर है। जहाँ रस बरसे वह रसोई है तथा जहाँ किच-किच हो वह किचन है। इसलिए रसोई घर बनाये न की घर में किचन। ये बात गुरुवर महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंद जी महाराज ने बुधवार सुबह अपने देश-विदेश के भक्तों से कही।
नृसिंह घाट के समीप भगवान श्रीचन्द्र मंदिर, स्वामी संतदास उदासीन आश्रम में दो दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव का समापन बुधवार सुबह 9 बजे हुआ। सर्वप्रथम भगवान श्रीचन्द्र की भव्य आरती की गई। इसके बाद मलेसिया, जोहान्सवर्ग, नागपुर, मुम्बई, इंदौर, भोपाल, भुवनेस्वर, इटारसी, अहमदाबाद, आडंद, नडियाद सहित अन्य शहरों से आये भक्तों ने वर्तमान पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंद जी महाराज का पूजन कर आशीर्वाद लिया और चरण वंदन कर अपने-अपने घरों के लिए प्रस्थान किया। विदाई देते वक्त गुरुवर शांतानंद जी महाराज ने भक्तों को घर-परिवार जोड़े रखने के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण आशीर्वाद वचन सुनाये और उनसे अगले गुरुपूर्णिमा के पहले घर में किचन हटा कर रसोई घर स्थापित करने का वचन लिया।
गौरतलब है कि स्वामी शांतानंद जी के सानिध्य में श्रीचन्द्र मंदिर में दो दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव के दौरान सोमवार को गीता ज्ञान सत्संग व मंगलवार को 100 पौधे रोपकर प्रकति का चरण वंदन कर गुरुपूर्णिमा पर्व की शुरुवात की गई। तत्पश्चात दिन भर भजन कीर्तन, पाद पूजन, भंडारा सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किये गए थे।
निर्वाणी अखाड़े में हुआ गुरूपूजन
महाकाल मंदिर स्थित निर्वाणी अखाड़े में गुरूपूर्णिमा के अवसर पर परमहंस डाॅ. अवधेशपुरीजी महाराज द्वारा गुरू प्रकाशपुरीजी महाराज का चरणवंदन कर गुरूपूजन किया गया। विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से महाराज के शिष्यों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मनीष शर्मा, कैलाश केवट सहित भक्त मौजूद थे।