रतलाम जिले के 265 गांवों के पानी में फ्लोराईड की मात्रा काफी अधिक, पीने योग्य नहीं रहा पानी
रतलाम,11 अप्रैल (इ खबरटुडे)। जिले के वनवासी अंचल बाजना और सैलाना के करीब 265 गांवों के जलस्त्रोतों में फ्लोराईड की मात्रा अधिकतम स्वीकार्य सीमा से कई गुना अधिक पाई गई है। इन गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है। जिले के करीब सात सौ हैण्डपंप्स से निकलने वाला पानी प्रदूषित पाया गया है और इन्हे अनुपयोगी घोषित कर दिया गया है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में भी रतलाम को नाईट्रेट और आयरन की अधिकता वाले क्षेत्र में रखा गया है।
केन्द्रीय भूजल बोर्ड के जिले के रतलाम,पिपलौदा,जावरा तथा आलोट विकासखण्डों को अतिदोहित क्षेत्र घोषित किया है तथा इन विकासखण्डों में नलकूप खनन को पूर्णत: प्रतिबन्धित कर दिया गया है। जिले के औसत भूजल स्तर में भी निरन्तर गिरावट दर्ज की जा रही है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी द्वारा पिछले करीब एक दशक से फ्लोराईड प्रभावित गांवों की सतत मानिटरिंग की जा रही है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा पानी में फ्लोराईड की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा 1.5 मिग्रा प्रति लीटर निर्धारित की गई है,लेकिन बाजना और सैलाना के 265 गांवों के अनेक जलस्त्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा 8 से 9 मिग्रा प्रति लीटर पाई गई है। इस लिहाज से इन जलस्त्रोतों का पानी किसी भी सूरत में पीने योग्य नहीं है। इस पानी के उपयोग से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जिले के करीब सात सौ हैण्डपंप्स को अनुपयोगी घोषित किया गया है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के प्रमुख रसायनज्ञ (चीफ केमिस्ट) लोकेश डायमा के मुताबिक जिले के जलस्त्रोतों का विभाग द्वारा सतत परीक्षण किया जाता है। बाजना और सैलाना के फ्लोराइड प्रभावित ग्रामों की विगत दस वर्षों से सतत मानिटरिंग की जा रही है। विभाग की प्रयोगशाला में परीक्षण के उपरान्त सात सौ हैण्डपंप अनुपयोगी घोषित किए गए है।
27 गांव हुए समस्यामुक्त
चीफ केमिस्ट लोकेश डायमा के मुताबिक फ्लोराईड प्रभावित गांवों की समस्या को हल करने के लिए 27 गांवों की 44 बसाहटों के लिए ग्रुप वाटर सप्लाय स्कीम प्रारंभ की गई है,जिससे इन बसाहटों को अब पूरी तरह शुध्द पानी मिलने लगा है। इस योजना के तहत नायन नरसिंह पाडामें माही नदी पर बान्ध बनाकर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट प्रारंभ किया गया है,जिससे अब ग्रामवासियों को पूरी तरह शुध्द पानी मिलने लगा है। इसी प्रकार प्रभावित क्षेत्रों में 90 ईडीएफ (इलेक्ट्रोलिटी डीप फ्लोरिटेशन) प्लान्ट लगाए गए है। प्रत्येक प्लान्ट पर लगभग साढे नौ लाख की लागत आई है। इनमें से अस्सी प्लान्ट प्रारंभ हो चुके है,जबकि शेष दस प्लान्ट्स का काम अंतिम चरण में है। जिन स्थानों पर इडीएफ प्लान्ट लगाए गए है,वहां भी अब पूरी तरह शुध्द पानी मिलने लगा है।
माझोलिया योजना की स्वीकृती का इन्तजार
फ्लोराईड की समस्या से जूझ रहे 134 गांवों के लिए पीएचई द्वारा माझोलिया समूह पैदल योजना बनाई गई थी। 108 करोड रु. लागत २की यह योजना अक्टूबर 2015 में बनाई गई थी। लेकिन यह योजना अब भी लम्बित पडी है। यदि यह योजना स्वीकृत हो जाती तो फ्लोराईड की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती। लेकिन शासन ने अब तक इस योजना को मंजूरी नहीं दी है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के कार्यपालन यंत्री केपी वर्मा ने बताया कि वर्ष 2015 में बनाई गई माझोलिया योजना में माही नदी पर बान्ध बनाकर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट स्थापित करने की योजना थी। शासन ने उक्त योजना जल निगम को सौंप दी है। यह योजना चूंकि वर्ष 2015 में बनाई गई थी,तब इसकी लागत 108 करोड रु. आंकी गई थी,लेकिन अब इसकी लागत बढ जाएगी।
334 गांव जुडे नल जल योजना से
श्री वर्मा ने बताया कि अब तक जिले के 310 गांवों में नल जल योजनाएं जल रही है। इन गांवों में ग्रामवासियों को नलोंके माध्यम से शुध्द पेयजल वितरित किया जा रहा है। वर्ष 2018 में जिले के प्रत्येक विकासखण्ड के चार चार गांवों के लिए नल जल योजनाएं स्वीकृत की गई है। इन योजनाओं के टेण्डर भी हो चुके है और आगमी कुछ माहों में 24 और गांवों में ग्रामवासियों को नलों से पेयजल मिलने लगेगा। इस तरह जिले के कुल 334 गांव नल जल योजना से जुड चुके है।