September 23, 2024

मोदी को मिला फिलिस्तीन का सर्वोच्च सम्मान, पीएम बोले- सवा सौ करोड़ भारतीयों की तरफ से शुक्रिया

नई दिल्ली,10 फरवरी (इ खबरटुडे)। नरेंद्र मोदी शनिवार को फिलिस्तीन की राजधानी रामल्ला पहुंचे। यहां उन्हें प्रेसिडेंशियल हेडक्वॉर्टर अल-मुक्ता में गार्ड ऑफ आॅनर दिया गया। इसके बाद पीएम ने फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासर अराफात को श्रद्धांजलि दी। मोदी ने फिलिस्तीन के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास से मुलाकात की। मोदी को फिलिस्तीन के सबसे बड़े सम्मान ग्रेंड कॉलर से नवाजा गया। मोदी 3 गल्फ देशों- फिलीस्तीन, यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई)और ओमान के दौरे पर हैं।

मैं भारत के लोगों की तरफ से शुक्रिया अदा करता हूं
मोदी ने कहा कि फिलिस्तीन ने जो मुझे सम्मान दिया है, ये फिलिस्तीन की दोस्ती का प्रतीक है। मैं सवा सौ करोड़ भारतीयों की तरफ से इसका शुक्रिया अदा करता हूं।भारत और फिलिस्तीन के रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं। भारत की विदेश नीति में फिलिस्तीन का स्थान टॉप पर है।”फिलिस्तीन के लोगों ने कठिन वक्त में जबर्दस्त साहस का परिचय दिया है। वहां अस्थिर हालात थे। वहां से आप जिन चुनौतियों से लड़कर आए हैं, वो काबिले तारीफ है। भारत, फिलिस्तीन में इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमैसी के निर्माण में सहयोग दे रहा है। मुझे खुशी है कि दोनों देशों के संबंध आगे बढ़ रहे हैं।मुझे ये एलान करते हुए खुशी हो रही है कि इस साल से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत 50 की जगह 100 स्टूडेंट आएंगे।”

मोदी की गजब की लीडरशिप
फिलिस्तीन द्वारा दिए ग्रेंड कॉलर सर्टिफिकेट में कहा गया, “मोदी की जबर्दस्त लीडरशिप से भारत की देश और विदेश में शोहरत बढ़ी। उनकी कोशिशों से भारत और फिलिस्तीन के ऐतिहासिक रिश्ते आगे बढ़े।आजादी को सपोर्ट करने के लिए फिलिस्तीन के लोगों की तरफ से हम भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। इसी से क्षेत्र में शांति कायम होगी।”

इसलिए मोदी का ये ऐतिहासिक दौरा
मोदी की 3 देशों की ये यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक है। वे यूएई में मंदिर का शिलान्यास करेंगे। इसके अलावा ओमान में 100 साल पुराने शिवालय में दर्शन करेंगे। साथ ही मस्जिद भी जाएंगे। मोदी इस यात्रा पर खाड़ी देशों के कई अहम समझौते करेंगे। रामल्ला दुनिया की सबसे विवादित जगह येरूशलम से महज 8 किमी. दूर है। पिछले साल अमेरिका ने येरूशलम को आधिकारिक तौर पर इजरायल की राजधानी घोषित किया था। जिसके बाद कई देशों ने अमेरिका के फैसले का विरोध किया था। भारत ने यूएन में इस मुद्दे पर फिलिस्तीन का साथ दिया था।

इजरायल और फिलिस्तीन: भारत के दोनों से बेहतर रिश्ते
मोदी फिलिस्तीन जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। वह पिछले साल जुलाई में इजरायल की यात्रा पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री भी थे। तब विदेश मामलों के जानकार कह रहे थे कि संभवत: भारत अपनी विदेश नीति बदल रहा है। इसलिए उसे अब फिलिस्तीन जैसे पुराने दोस्त की चिंता नहीं है। अब मोदी ने अपनी इस यात्रा से इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की है। उन्होंने विदेश नीति में भी सबको साध, सबका विकास फॉर्मूले को लागू किया है।

दोस्ती: भारत-फिलीस्तीन के रिश्ते 71 साल पुराने
भारत का फिलीस्तीन के विकास में तीन तरफा योगदान है। पहला, राजनीतिक समर्थन, दूसरा इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास और तीसरा आर्थिक सहयोग। इजरायल-फिलीस्तीन में तनाव के बीच भारत के रिश्ते फिलिस्तीन से हमेशा अच्छे रहे हैं। 1947 में भारत ने यूएन में फिलिस्तीन के विभाजन के खिलाफ वोटिंग की थी। 1988 में फिलिस्तीन को देश का दर्जा देने वाले देशों में भारत पहले नंबर था। 1996 में भारत ने गाजा में रिप्रेंजेटेटिव ऑफिस खोला। 2003 में इसे रामल्ला भेजा। 2015 में फिलिस्तीन के ध्वज को मान्यता दी।

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