May 16, 2024

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धर्म बिटिया की धूमधाम से शादी रचाई

विदिशा में श्री बाढ़वाले गणेश मंदिर में हुआ पाणिग्रहण

भोपाल 12 फरवरी(इ खबरटुडे) जानकी जयंती के शुभ अवसर पर आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और श्रीमती साधना सिंह की धर्म पुत्री सौभाग्यकांक्षिणी सोना का परिणय चिरंजीव त्रिलोकचंद्र के साथ विदिशा के श्री बाढ़वाले गणेश मंदिर में पूज्य महामण्लेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी महाराज, प्रसिद्ध गृहस्थ संत दद्दा जी पं. देवप्रभाकर शास्त्री एवं श्रेष्ठ संतजन की उपस्थिति में हुआ। बेटी के विवाह की खुशी और विदाई के पलों के साक्षी हजारों गणमान्य लोग बने।

महामण्लेश्वर स्वामी अवधेशानन्द जी तथा दद्दा जी ने इस विवाह को मुख्यमंत्री श्री चौहान का परमार्थमूलक कार्य बताया। संतों ने नव-दंपति को आशीर्वाद देते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान और श्रीमती साधना सिंह को भी साधुवाद दिया।

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विवाह उत्सव में संतजनों के आगमन को सौभाग्य का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनके आगमन से यह प्रसंग और भी श्रेष्ठ बन गया है। उन्होंने कहा कि बेटियाँ गंगा, गीता और गायत्री, सीता-सावित्री, दुर्गा और लक्ष्मी होती हैं। बेटियाँ सुखी हैं तो जगत सुखी रह सकता है। उन्होंने बताया कि इस धर्मपुत्री को आठ वर्ष की अवस्था में माँ सुंदरदेवी सेवा आश्रम में लाया गया था। अब यह बेटी बाईस वर्ष की हो गयी है। इस बेटी सहित अन्य सभी बेटियों को मेरी राजनीतिक व्यस्तता के चलते मेरी धर्मपत्नी ने माँ-बाप का लाड़-प्यार दिया। उन्होंने कहा कि मामा होने के नाते पूरे प्रदेश की बेटियाँ उनकी अपनी हैं पर उन सभी के माता-पिता हैं। आश्रम की बेटियों के माता-पिता नहीं होने से उनके माता-पिता-भाई हम लोग ही है। श्री चौहान ने कहा कि यह खुशी और आनन्द के साथ-साथ बेटी के विदा की वेला से कष्ट का भी अवसर है। बेटी को विदा होते देख मन भारी है। उन्होंने देशवासियों का आव्हान किया कि वे बेटियों को लाड़-प्यार से पाले और बेटा-बेटी में भेदभाव किये बगैर समान भाव से बढ़ने के अवसर दें।

बारात की अगवानी

श्रीमती साधना सिंह, श्री शिवराज सिंह चौहान ने ढोल-ढमाकों के साथ दोपहर में श्रीगणेश मंदिर पहुँची बारात की अगवानी की। उनके पुत्र श्री कार्तिकेय ने द्वारचार करते हुए वर श्री त्रिलोकचंद्र का टीका किया। धार्मिक विधि-विधान से सप्तपदी करते हुए विप्रजनों ने अग्नि के समक्ष सात फेरे लगवाये। इससे पहले श्री चौहान ने बारात आने से काफी पहले बारातियों तथा घरातियों की स्वागत की तैयारियों को स्वयं जगह-जगह जाकर पूरा करवाया। वे सबसे पहले साँची स्थित बौद्ध स्थान पर गये जहाँ बारात को ठहराया गया था। उन्होंने बारात के नाश्ते-भोजन आदि सभी प्रबंध की जानकारी ली। इसके बाद वे श्री बाढ़वाले गणेश जी मंदिर पहुँचे। उन्होंने मंदिर के दर्शन किये तथा मण्डप व्यवस्था को देखा। व्यवस्थाओं से संतुष्ट होने के बाद वे माँ सुन्दर देवी सेवा आश्रम पहुँचे। यहाँ बेटी सोना सहित आश्रम की अन्य बेटियों के साथ श्रीमती साधना सिंह पहले से उपस्थित थीं। चौहान दपंति बेटी सोना और उसकी सभी सहेलियों को आश्रम से लेकर विवाह-स्थल श्रीगणेश मंदिर पहुँचे।

बारातियों और अन्य सभी आगन्तुक मेहमानों के लिये स्वादिष्ट व्यंजन बनाये गये। मुख्यमंत्री ने विवाह को यज्ञ की संज्ञा देते हुए सभी से भोजन प्रसाद ग्रहण करने का आत्मीय आग्रह किया। विवाह समारोह में राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह भी व्यवस्थाएँ सम्हाले थे। मंत्री सर्वश्री सरताज सिंह, जयंत मलैया, उमाशंकर गुप्ता, भूपेन्द्र सिंह, दीपक जोशी, विधायक, जन-प्रतिनिधि भी विवाह-स्थल पर उपस्थित थे। विवाह-स्थल पर सारे समय शहनाई की सुमधुर मंगल ध्वनि गूँजती रही।

मुख्यमंत्री श्री चौहान और श्रीमती साधना सिंह ने पालक माता-पिता की भूमिका निभाते हुए सोना की शिक्षा-दीक्षा का ही प्रबंध ही नहीं किया बल्कि उसके वैवाहिक जीवन के लिये भी हर-संभव प्रयास किये। साधना सिंह ने सोना के विवाह की हर रस्म अपनी मौजूदगी में सम्पन्न करवाई।

माँ सुन्दरदेवी सेवा आश्रम में चौथे सदस्य के रूप में सन् 2000 में आई सोना मेहरा के लिये वर की तलाश का जिम्मा मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्रीमती साधना सिंह को ही सौंपा। श्रीमती साधना सिंह ने बुधनी में अपने परिचितों और सोना के रिश्तेदारों को वर की तलाश करने को कहा। बुधनी के बकतरा निवासी श्री रघुवीर मेहरा के पुत्र त्रिलोकचंद पर जाकर उनकी तलाश पूरी हुई। दूल्हा जेसेबी और पॉकलेन ऑपरेटर है और एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी में काम करता है। उसे करीब 10 हजार रुपये महीना पगार मिलती है। सोना आँगनवाड़ी में कार्यकर्ता है। माँ सुन्दरदेवी आश्रम की स्थापना मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विदिशा संसदीय क्षेत्र के सांसद रहते हुए की थी।

 

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