मालवा के बेटे ने भरी उड़ान,संभाली वायुसेना की दूसरी सर्वोच्च कमान
म.प्र-छत्तीसगढ़ में सेना में इतने ऊंचे पद को पाने वाले पहले व्यक्ति
रतलाम-जावरा और उज्जैन से है गहरा नाता
रतलाम,2 अगस्त (इ खबरटुडे)। जावरा,रतलाम और उज्जैन की गलियों में 30-35 साल पहले देश सेवा के सपनों की उड़ान भरने वाले प्रदीप कुमार बापट ने देश की वायुसेना की द्वितीय सर्वोच्च कमान संभाली है। राष्ट्रपति और एयरचीफ मार्शल की उपस्थिति में श्री बापट ने नई दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय में एयरवाईस मार्शल के रूप में पद्भार ग्रहण किया। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से सेन्य सेवा में इतने ऊंचे ओहदे पर पहुंचने वाले वे पहले व्यक्ति हैं।
देश की आजादी के 12 साल बाद 1959 में मालवा में जन्में प्रदीप कुमार बापट के पिता पद्माकर बापूराव बापट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत थे। माता पुष्पादेवी बापट गृहिणी थी। माता-पिता का सपना था कि बेटा देश सेवा के क्षेत्र में जाए।
रतलाम और जावरा में प्रदीप कुमार 1959 से 1976 तक रहे। इस दौरान उन्होंने रतलाम, मंदसौर, जावरा में अपनी पहली से 11वीं (हायरसेकेंडरी)तक की पढ़ाई पूरी की। रतलाम में निवासरत श्री बापट के मित्र महेश मिश्रा तथा जावरा के केके वर्मा बचपन की यादों को ताजा करते हुए बताते हैं कि श्री बापट साथ में जावरा के महात्मा गांधी हाईस्कूल में पढ़ते थे। उसी दौरान से श्री बापट सेना में जाने के सपने देखते थे। 1977 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद श्री बापट उच्च अध्य्यन के लिए उज्जैन चले गए। उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज से स्नातक और विक्रम विश्व विद्यालय की प्राणीकि अध्ययन शाला से स्नातकोत्तर की डिग्री ली।
ऐसा रहा वायुसेना का सफर
श्री बापट ने स्नातकोत्तर के दौरान ही भारतीय रक्षा सेना की परीक्षा दी जिसमें सफल होने के बाद उन्होंने वायु सेना की प्रशासनिक शाखा (फाईटर कंट्रोलर ) 1983 बंैच में कमीशन प्राप्त किया। अपने सेवा काल के दौरान फार्चून आईएएफ के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर रहते हुए दक्षिण अफ्रीका एयरफोर्स के साथ ऐक्स गोल्डन ईगल में भी हिस्सा लिया। अपने 33 वर्ष के सेवाकाल के दौरान 2014 में राष्ट्रपति द्वारा उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया गया था। श्री बापट बेडमिंटन व साइकल पोलो के राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। रतलाम में उनके शिक्षक रहे एसके लेले, अफजल खान, मित्र प्रशांत पाठक, लखन सिंह ने बधाई दी।