मांस विक्रय दुकानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए कलेक्टर को सिंहस्थ के ठीक चार दिन पहले याद आई
उज्जैन,17अप्रैल (इ खबरटुडे)।मेला शुरू होने से ठीक चार दिन पहले कलेक्टर को याद आई कि मांस विक्रय दुकानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। 2004 के सिंहस्थ से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने उज्जैन को पवित्र धार्मिक नगरी घोषित करने का साहस दिखाया था।
इसे पवित्र नगरी घोषित कराने के एक सूत्रीय अभियान को जारी रखने और सरकार को इसके लिए बाध्य करने का श्रेय ब्रह्मलीन संत प्रतीतराम रामस्नेही को जाता है।
याद भी तब आई जब हिंदूवादी संगठनों के साथ ही कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आंदोलन पर उतारु हो गई
आज न सिर्फ सरकार पवित्र धार्मिक नगरी के 2004 की घोषणा को भुला चुकी है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महामंत्री भी सीएम से अपनी ट्यूनिंग न बिगड़ जाए इस भय से सिंहस्थ पूर्व मांस विक्रय एवं मेला अवधि तक शराब बंदी जैसे धार्मिक भावना से जुड़े मुद्दे को भुला चुके हैं। अचानक जिला प्रशासन को एक मांह पांच दिन के लिए मांस विक्रय प्रतिबंधित करने का फरमान जारी करने की याद भी तब आई जब हिंदूवादी संगठनों के साथ ही कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आंदोलन पर उतारु हो गई।
इससे पहले महाकाल मंदिर के बाहर धरने पर बैठे संतों ने भी मांस विक्रय, शराब विक्रय पर प्रतिबंध की मांग की थी। ऐसे सारे आंदोलन के बाद भी जिला कलेक्टर को सनातन धर्म की आस्था पर ऐन मेला अवधि में प्रहार की गंभीरता समझ नहीं आई। शनिवार को जब सीएम उज्जैन में थे और अखाड़े-अखाड़े घूम रहे थे तब जिला प्रशासन ने सीएम को खुश करने के लिए आधा-अधूरा आदेश जारी कर दिया।
प्रतिबंध लगाए जाने पर चोरी-छिपे नकली शराब बिकने का खतरा-आबकारी विभाग
शराब विक्रय पर प्रतिबंध न लगाने के कारण गिनाने वाले आबकारी विभाग का यह बेहूदा तर्क है कि प्रतिबंध लगाए जाने पर चोरी-छिपे नकली शराब बिकने का खतरा बढ़ जाएगा। उज्जैन शहरी सीमा के बाहर के ढाबों-होटलों आदि के संचालक मनमाने दाम पर शराब बेचेंगे, सरकार को नुकसान और इन लोगों को मुनाफा होगा। शहर के सामान्यजन भी जानते हैं कि जब तक आरटीओ की सांठगांठ न हो।
प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को सबक सिखाना कोई बड़ी बात नहीं
उज्जैन-इंदौर के बीच बसें चलाने वाले ओवरलोडिंग नहीं कर सकते, परमिट की शर्तों का उल्लंघन भी परिवहन विभाग अधिकारियों के संरक्षण से ही हो सकता है। इसी तरह शहर में अवैध शराब की बिक्री से लेकर परमिट के खिलाफ जाकर शराब परोसने वाले ढाबे हों या होटलें आबकारी से सेटिंग बिना मनमानी नहीं कर सकते। शराब विक्रय पर प्रतिबंध लगाने में कन्नी काट रहा आबकारी विभाग अपने अमले को ईमानदारी से कार्य करने को कहे तो इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को सबक सिखाना कोई बड़ी बात नहीं है।