मन की बात में हुनर हाट से लेकर ISRO के युविका कार्यक्रम तक बोले प्रधानमंत्री
नई दिल्ली 23 फरवरी( इ खबर टुडे)। मन की बात कार्यक्रम के आरम्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक भारत की विशालता और विविधता को नमन करना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। मेरा सौभाग्य है कि मन की बात कार्यक्रम के जरिये मुझे कच्छ से लेकर कोहिमा, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के सभी नागरिकों को एक बार फिर से नमस्कार करने का मौका मिला है। आप सबको नमस्कार। हमारे देश की विशालता और विविधता, इसको याद करना, इसको नमन करना, हर भारतीय को गर्व से भर देता है।
प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित हुनर हाट में विभिन्न राज्यों के हस्तशिल्प कला,वस्तुएं, खानपान, संगीत वाद्य यंत्र और कारीगरों-शिल्पकारों के हुनर की प्रशंसा करते हुए अपने अनुभव साझा किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक अनोखी थी और इनके पीछे शिल्पकारों की साधना, लगन और अपने हुनर के प्रति प्रेम की कहानियां भी बहुत ही प्रेरणादायक होती हैं। हुनर हाट, मेले आदि के आयोजन भारत की विविध रंगी संस्कृति, खानपान और शिल्पकला आदि को जानने और अनुभव करने के अवसर होते हैं। ये आयोजन ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को जी-भर जीने का अवसर बन जाते हैं।
हुनर हाट में एक दिव्यांग महिला की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ। उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो फुटपाथ पर अपनी पेंटिंग बेचती थी लेकिन हुनर हाट से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया। आज वो न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि उन्होंने अपना घर भी खरीद लिया है। हुनर हाट में मुझे कई और कारीगरों और शिल्पकारों से मिलने का मौका। हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में करीब 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। पिछले 3 वर्षों में हुनर हाट से करीब 3 लाख कारीगरों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं।
बच्चों में साइंस और टेक्नोलॉजी को लेकर बढ़ी रुचि
इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है जितना जाने उतना कम है। हमारी बायोडायवर्सिटी भी पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना है, संरक्षित रखना है, और एक्सप्लोर भी करना है। मेरे प्यारे युवा साथियो, इन दिनों हमारे देश के बच्चों में, युवाओं में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है। अंतरिक्ष में रिकॉर्ड सैटेलाइट का प्रक्षेपण, नए-नए रिकॉर्ड, नए-नए मिशन हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं।
बच्चों के, युवाओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए उनमें साइंटिफिक टैंपर को बढ़ाने के लिए एक और व्यवस्था शुरु की गई है। अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले रॉकेट लांचिंग को सामने बैठकर देख सकते हैं। हाल ही में इसे सबके लिए खोल दिया गया है। विजिटर गैलरी बनाई गई है जिसमें 10 हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। जब मैं चंद्रयान-2 के समय बेंगलुरु में था, तो, मैंने देखा था कि वहाँ उपस्थित बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। मुझे बताया गया है कि कई स्कूल अपने विद्यार्थियों को रॉकेट लॉन्चिंग दिखाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए टूर पर भी ले जा रहे हैं। मैं सभी स्कूलों के प्रिंसिपल और शिक्षकों से आग्रह करूंगा कि आने वाले समय में वे इसका लाभ जरुर उठाएं।
इसरो के युविका कार्यक्रम का उठाएं लाभ
साथियों, मैं आपको एक और रोमांचक जानकारी देना चाहता हूं। मैंने Namo App पर झारखंड के धनबाद के रहने वाले पारस का कमेंट पढ़ा। पारस चाहते हैं कि मैं ISRO के ‘युविका’ प्रोग्राम के बारे में युवा-साथियों को बताऊं। युवाओं को साइंस से जोड़ने के लिए ‘युविका’, ISRO का एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। साल 2019 में यह कार्यक्रम स्कूली छात्रों के लिए लॉन्च किया गया था। ‘युविका’ का मतलब है- “युवा विज्ञानी कार्यक्रम” (YUva Vigyani Karyakram)। मेरे युवा साथियों, मैं आपके लिए बताता हूं, वेबसाइट का नाम लिख लीजिए और जरुर आज ही http://yuvika.isro.gov.in पर विजिट कीजिए।
लद्दाख की वादियां बनी ऐतिहासिक घटना की गवाह
पीएम मोदी ने कहा- मेरे प्यारे देशवासियों, 31 जनवरी 2020 को लद्दाख की खूबसूरत वादियां, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनी। लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोची एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना के AN-32 विमान ने जब उड़ान भरी तो एक नया इतिहास बन गया। लेह के जिस हवाई अड्डे पर इस विमान ने उड़ान भरी, वह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित एयरपोर्ट में से एक है। खास बात ये है कि बायो जेट फ्यूल (Bio-jet fuel) को नॉन इडिबल ट्री बोर्न ऑयल से तैयार किया गया है। इसे भारत के विभिन्न आदिवासी इलाकों से खरीदा जाता है।
इन प्रयासों से न केवल कार्बन के उत्सर्जन में भी कमी आएगी, बल्कि कच्चे-तेल के आयात पर भी भारत की निर्भरता कम हो सकती है। मैं इस बड़े कार्य में जुड़े सभी लोगो को बधाई देता हूं। विशेष रूप से CSIR, Indian Institute of Petroleum, Dehradun के वैज्ञानिकों को, जिन्होनें बायो फ्यूल से विमान उड़ाने की तकनीक को संभव कर दिया। उनका ये प्रयास, मेक इन इंडिया को भी सशक्त करता है।
महिलाओं ने बदली तस्वीर
मेरे प्यारे देशवासियों, हमारा नया भारत, अब पुराने ढर्रे से चलने को तैयार नहीं है। खासतौर पर, न्यू इंडिया की हमारी बहनें और माताएं, तो आगे बढ़कर उन चुनौतियों को अपने हाथों में ले रही हैं, जिनसे पूरे समाज में, एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
बिहार के पूर्णिया की कहानी, देश-भर के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है। ये, वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है। साथियों, पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून (Cocoon) तैयार करती थीं, जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था। आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल दी। इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, मलबरी-उत्पादन समूह बनाए।
आपको जान करकर हैरानी होगी कि पहले जिस कोकून को बेचकर मामूली रकम मिलती थी, वहीं अब, उससे बनी साड़ियां हजारों रुपयों में बिक रही हैं। आदर्श जीविका महिला मलबरी उत्पादन समूह’ की दीदीयों ने जो कमाल किए हैं, उसका असर अब कई गावों में देखने को मिल रहा है। पूर्णिया के कई गावों के किसान दीदीयां, अब न केवल साड़ियां तैयार करवा रही हैं, बल्कि बड़े मेलों में, अपने स्टाल लगा कर बेच भी रही हैं I एक उदाहरण कि आज की महिलाएं नई शक्ति, नई सोच के साथ किस तरह नए लक्ष्यों को प्राप्त कर रही हैं।
हमारी बेटियों की उद्यमशीलता, उनका साहस, हर किसी के लिए गर्व की बात है। मैं आपके साथ 12 साल की बेटी काम्या कार्तिकेयन की उपलब्धि की चर्चा जरुर करना चाहूंगा। काम्या ने सिर्फ बारह साल की उम्र में ही माउंट एकांकगुआ को फतेह करने का कारनामा कर दिखाया है। हर भारतीय को ये बात छू जाएगी कि जब इस महीने की शुरुआत में काम्या ने चोटी को फतेह किया और सबसे पहले, वहां हमारा तिरंगा फहराया। मुझे यह भी बताया गया है कि देश को गौरवान्वित करने वाली काम्या, एक नए मिशन पर है, जिसका नाम है ‘मिश साहस’। इसके तहत वो सभी महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतेह करने में जुटी है। मैं काम्या को ‘मिशन साहस’ के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं। वैसे, काम्या की उपलब्धि सभी को फिट रहने के लिए भी प्रेरित करती है।
105 साल की भागीरथी अम्मा की कहानी सुनाई
आप जब, 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा की सफलता की कहानी सुनेंगे तो और हैरान हो जाएंगे। 10 साल की उम्र में उनकी पढ़ाई छूट गई थी। पहले पिता की मौत हो गई, फिर कम उम्र में शादी होने के बाद पति की भी मौत हो गई। मगर, अब इस उम्र में उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और चौथी कक्षा की परीक्षा 75 फीसद अंकों से पास की।भागीरथी अम्मा जैसे लोग, इस देश की ताकत हैं। प्रेरणा की एक बहुत बड़ी स्रोत हैं। मैं आज विशेष-रूप से भागीरथी अम्मा को प्रणाम करता हूं। साथियों, अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं, तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी, कभी मरना नहीं चाहिए।