मनुष्य को कर्मप्रधान होना चाहिए
जन्मदिवस समारोह में प्रो.हाशमी ने कहा
रतलाम,13 जनवरी(इ खबरटुडे)। विख्यात साहित्यकार एवं चिंतक प्रो.अजहर हाशमी का 64 वां जन्मदिवस महाविद्यालय विद्यार्थी परिवार द्वारा सोमवार को प्रेसक्लब भवन में समारोह पूर्वक मनाया गया। इस मौके पर उपस्थित अतिथियों,गणमान्य नागरिकों व विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने श्री हाशमी का अभिनन्दन किया। अपने अभिनन्दन के प्रत्युत्तर में श्री हाशमी ने कहा कि मनुष्य को जीवन में कर्मप्रधान होना चाहिए।
अपने स्वागत के प्रत्युत्तर में प्रो.हाशमी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सभी बातें कर्म के बाद आती है। मनुष्य को विश्वास,दया,करुणा,संवेदना,समर्पण,
कत्र्तव्य,आत्मविश्वास जैसे तत्वों पर अपने आपको केन्द्रित करना चाहिए। वो परेशान हो,सोचता रहे,हार जाए,दुखी हो,पस्त हो,वह इन्सान नहीं। सबसे हटकर आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षी होकर जीतने का कर्म करना ही सबसे बडा धर्म है।
समारोह के मुख्य अतिथि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओमप्रकाश शर्मा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी न्यायाधीश का अधिक बोलना विवाद को जन्म दे सकता है,न्यायाधीश का काम न्याय करना है। लेकिन हाशमी जी प्राध्यापक रहे है। उनका बोलना समाज के लिए लाभकारक है। उनके बोलने से विद्यार्थियों को मार्गदर्शन मिलता है,जनमानस को आगे बढने का मार्ग मिलता है। ऐसे मार्गदर्शन समाज को नई सोच और विकास की नई ईबारत लिखते है। श्री शर्मा ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि समाज को हाशमी जी का मार्गदर्शन मिलता रहेगा।
समारोह के विशेष अतिथी डीआईजी सतीश सक्सेना ने कहा कि हाशमी जी असाधारण और विश्वविख्यात होने के बावजूद आम व्यक्ति के लिए उपलब्ध है। सभी लोगों से इनका दिल का नाता है। सभी उनका सम्मान करते है। उनकी सहजता और सरलता हर किसी का दिल जीत लेती है। प्रो.हाशमी सूफी साहित्य,चिंतन के क्षेत्र के महापुरुष है,फिर भी अत्यन्त साधारण व्यक्ति के समान जीते है। उनकी यह विलक्षणता सभी के लिए प्रेरणादायी है। समारोह की अध्यक्षता प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश मूणत ने की। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय विद्यार्थी परिवार के अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी,हेमन्त भट्ट समेत अनेक पत्रकारों ने किया। समारोह का संचालन श्वेता नागर ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ.प्रवीणा दवेसर ने किया।