मध्यप्रदेश में ही पराया हुआ मालवी गेहूं, पैदावार घटकर हुई आधी
इंदौर 6 जुलाई (इ खबरटुडे)। सरकारी बेरुखी और किसानों को उनकी उपज का उचित मोल न मिल पाने के चलते मध्यप्रदेश की परंपरागत पहचान से जुड़ा ‘मालवी’ (ड्यूरम) गेहूं प्रदेश में ही पराया होता जा रहा है। पोषक खूबियों से भरे इस गेहूं की पैदावार में साल 2011-12 सत्र में पिछले मौसम के मुकाबले करीब 50 फीसद की गिरावट का अनुमान है।भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईएआरआई) के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख डॉ. अखिलेशनंदन मिश्र ने बताया, ‘ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में साल 2011-12 सत्र के दौरान करीब 127 लाख टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन इसमें मालवी गेहूं की हिस्सेदारी केवल 10 लाख टन के आस-पास होने का अनुमान है।’
उन्होंने एक अनुमान के हवाले से बताया कि पिछले सत्र के दौरान प्रदेश में करीब 20 लाख टन मालवी गेहूं की पैदावार हुई थी।
कृषि के जानकारों के मुताबिक, एक जमाने में सूबे के कुल गेहूं रकबे में ड्यूरम प्रजाति का हिस्सा 70 प्रतिशत तक था। मगर अस्सी के दशक के बाद यह प्रजाति प्रदेश के खेतों से ओझल होने लगी।