मजदूर से बांसकला की मास्टर ट्रेनर बनीं कमला वंशकार
छतरपुर ,23 फरवरी (इ खबरटुडे)। कभी पति के साथ मजदूरी कर बच्चों का पालन-पोषण करने वाली छतरपुर जिले के लवकुश नगर विकासखण्ड के ग्राम हिनौता की कमला वंशकार आज लक्ष्मी तेजस्विनी स्व-सहायता समूह की मास्टर ट्रेनर हैं। ग्रामीण महिलाओं को बांस शिल्पकला द्वारा बांस से बैलगाड़ी,चाय की ट्रे, गुलदस्ता कप-प्लेट आदि बनाना सीखाती हैं। बांस से बनाये अपने उत्पाद को दिल्ली,भोपाल,इंदौर,रायपुर और जयपुर में होने वाले हाट-बाजारों में जाकर बेचती भी हैं।
कमला बताती हैं कि उन्हें प्रतिवर्ष 80 हजार रूपये से भी अधिक की आय इस कारोबार से हो रही है। परिवार में बच्चे को हॉस्टल में रखकर पढ़ा रही हैं। स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर आजीविका चलाने में सक्षम बन गई हैं। कमला को प्रशिक्षण एवं समूह से जुड़ने के पूर्व इतना सम्मान कभी नहीं मिला, जितना प्रशिक्षक बनने पर मिल रहा है।
कमला वंशकार अपनी पुरानी जिन्दगी से सबक लेकर ही आगे बढ़ी हैं। वह बताती हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब रहा करती थी। समाज में सम्मान भी नहीं था क्योंकि मजदूर थे हम। एक दिन कमला ने स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से बांस द्वारा निर्मित सजावट के खेल-खिलौने बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर गरीबी से बाहर निकलने की ठानी।
लक्ष्मी तेजस्विनी समूह से जुड़ने पर कमला को क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र नौगांव द्वारा बांस बर्तन का 7 दिनों का प्रशिक्षण दिलवाया गया। कमला ने बांस निर्माण कला की बारीकियों को सीखा और समझा। आरसेटी योजना के अन्तर्गत उन्हें 25 हजार रूपये का लोन भी मिला। बांस से बने उत्पादों को हाट-बाजारों में बेचने से उन्हें अब 5 से 10 हजार रूपये तक की मासिक आय प्राप्त होने लेगी।
कमला अब अन्य जगहों पर जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दे रहीं है। कमला के पति भी उनका साथ दे रहे हैं। मजदरी करने वाली कमला भी अब बांसकला की मास्टर ट्रेनर बन गयी हैं।