November 14, 2024

बुजुर्ग महिला कठघरे तक जाने में असहाय थीं, जज ने बरामदे में लगा दिया कोर्ट

होशंगाबाद ,19जनवरी(इ खबरटुडे)। जिला न्यायालय में सोमवार शाम को 4.30 बजे लोग आश्चर्य से जेएमएफसी (न्यायायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी) मयंक शुक्ला को देख रहे थे। दरअसल जेएमएफसी मयंक शुक्ला ने कमरे में लगने वाला कोर्ट खुले बरामदे में लगा दिया।

लगभग आधे घंटे के लिए यह कोर्ट खुले में लगना होशंगाबाद न्यायालय के लिए एक नायाब नजारा था। न्यायाधीश के इस कदम के पीछे एक मानवीय पहलू है। दरअसल, न्यायाधीश ने असहाय बुजुर्ग महिला की मदद के लिए ऐसा किया।
मालूम हो कि चोरी के एक मामले में फरियादी बुजुर्ग महिला के साक्ष्य बयान न्यायालय में होना थे। अंकिता नगर निवासी 90 वर्षीय काशी बाई रेलवे की रिटायर्ड कर्मचारी हैं। वे बीस साल से पलंग पर हैं। बुजुर्ग महिला इस स्थिति में नहीं थी कि वह स्वयं चलकर न्यायालय के अंदर पहुंचे और कटघरे में खड़ी होकर अपने बयान दर्ज करा सके। बुजुर्ग महिला की उम्र और शारीरिक स्थिति को देखने के बाद न्यायाधीश ने न्यायालय के बाहर स्वयं जाकर बुजुर्ग के बयान लेने का निर्णय लिया।
ऐसे खुले में लगा जेएमएफसी कोर्ट
काशी मामले में अपने बयाने देने शाम 4.15 बजे न्यायालय परिसर पहुंची, जहां उनके वकील संजीव बग्गन ने चर्चा। काशी बाई की शारीरिक स्थिति की जानकारी श्री बग्गन ने जेएमएफसी श्री शुक्ला दी। अपने काम में व्यस्त श्री शुक्ला ने वकील श्री बग्गन से जानकारी लेने के बाद साक्षी बयान अपनी कोर्ट के बाहर लेने का निर्णय लिया। उन्होंने कोर्ट के बाहर बरामदे में ही कुसी टेबिल लगवाई। काशीबाई सीढ़ियां चढ़ने में अक्षम थी, न्यायाधीश ने तुरंत ही काशीबाई के लिए कुर्सी मुहैया कराई।
जब काशीबाई ने जज से पूछा- काय साहब अब तो नहीं आना पड़ेगा कोर्ट
काय साहब, अब दोबारा कोर्ट तो आना नहीं पड़ेगा। शरीर में इतनी ताकत नहीं है कि दोबारा आ सकूं। काशी बाई ने अपने सहज अंदाज में जैसे परेशानी जेएमएफसी श्री शुक्ला को बताई तो उन्होंने काशीबाई को आश्वासन दिया कि उन्हें दोबारा कोर्ट आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जज से इतना सुनते ही काशीबाई ने हाथ उठाकर उन्हें दुआ दी। बयान होने के बाद जज श्री शुक्ला कोर्ट के अंदर चले गए।
बुजुर्ग महिला की शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे सीढ़ियां चढ़ सकें। साक्षी बयान लेने जरूरी थे। इसलिए मैंने खुद बाहर आकर उनके बयान लिए हैं। न्याय जल्दी हो सके इसलिए ऐसे कदम उठाए जाते हैं।

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