November 15, 2024

पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी

नई दिल्ली,05 मार्च (इ खबरटुडे)। पुलवामा हमले के बाद भारत की एयर स्ट्राइक और भारत-पाक सीमा पर तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता भी बढ़ी है। मार्केट विशेषज्ञ और राजनीति के जानकार ऐसा मानना है कि पीएम की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही देश एक बार फिर से विशुद्ध राजनीतिक मुद्दे की तरफ लौट रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पर आतंकवाद और भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव जैसे मुद्दों को बीजेपी के नेता भी मान रहे हैं कि इससे उन्हें बढ़त मिली है। आर्थिक स्तर पर सरकार के सामने जो चुनौतियां हैं जैसे जीडीपी का घटना, बेरोजगारी बढ़ना, किसानों की समस्या जैसे मुद्दे फिलहाल पर्दे के पीछे चले गए हैं।

युद्ध और चुनाव का है कनेक्शन
भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक 3 बार युद्ध हुए हैं 1965 में, 1971 और 1999 में। 1965 युद्ध के 2 साल बाद हुए 1967 चुनाव में कांग्रेस की 361 सीटें घटकर 283 जरूर हुई। 1971 के युद्ध के 8 महीने बाद चुनाव हुए और इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई। इन तीन युद्धों में सिर्फ 1999 में करगिल में हुआ युद्ध ही था जिसके बाद हुए चुनावों में स्थिति बहुमत से थोड़ी अलग रही। करगिल युद्ध मई से जुलाई 1999 तक चला और इसके बाद हुए चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी के सीटों में कुछ खास इजाफा नहीं हुआ, लेकिन वोट फीसदी जरूर बढ़ा।

करगिल युद्ध से सीखने लायक कई सबक हैं
1999 में करगिल युद्ध के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी को 182 सीटें ही मिलीं। यह 1998 लोकसभा चुनावों के सीट संख्या के हिसाब से बराबर थी। हालांकि, वोट फीसदी में 1.84% की वृद्धि जरूर हुई। इसका सामान्य अर्थ यह लिया जा सकता है कि वोट फीसदी में हुआ इजाफा करगिल युद्ध में विजय के कारण वाजपेयी सरकार की ओर सकारात्मक अंदाज में बदला था।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 1999 में लगा था झटका
दिलचस्प बात यह है कि करगिल युद्ध में बीजेपी का कुल वोट शेयर बढ़ा, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह 9% तक जरूर घट गया। 1998 के चुनावों में बीजेपी को जहां 57 लोकसभा सीटें मिली थीं, वह घटकर 29 तक ही रह गया। बीजेपी को कुछ दूसरे बड़े राज्यों जैसे पंजाब में भी सीटों का नुकसान झेलना पड़ा था। इन दोनों ही बड़े प्रदेशों में 2 महीने चले युद्ध और विजय की भावना का कुछ खास सकारात्मक असर नहीं पड़ा। इसका यह अर्थ निकाला जा सकता है कि इन दोनों राज्यों में करगिल युद्ध विजय कोई मायने नहीं रहा।

करगिल युद्ध विजय और बीजेपी के प्रदर्शन का दूसरा पक्ष भी
करगिल युद्ध विजय का प्रभाव जनमानस पर नहीं पड़ने की बात से भी सभी विश्लेषक पूरी तरह सहमत नहीं है। इस तर्क के विरोध में दूसरा तर्क है कि करगिल युद्ध के दौरान वाजपेयी सरकार कोई स्थिर सरकार नहीं थी बल्कि उसे जोड़-तोड़ की कामचलाऊ सरकार कहा जा रहा था। इसके बावजूद कोई खास उपलब्धि नहीं होने के बाद भी 1999 चुनावों में बीजेपी की सीटें कम नहीं हुई, यह अपने आप में एक बड़ा संकेत है। दूसरी ओर कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बीजेपी की सीटें कम नहीं हुईं और वह उस वक्त तक में बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। इस प्रदर्शन का बड़ा क्रेडिट शानदार वक्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को भी जाता है। कुछ राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि कांग्रेस अपनी राजनीति में ही उलझी थी और पार्टी के बागी नेताओं से जूझ रही थी।

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