April 29, 2024

पार्षद से लेकर विधायक तक सभी चाहते है तरण ताल के शुल्क में कमी,महापौर है कि राजी नहीं

रतलाम,26 अप्रैल (इ खबरटुडे)। राज्य शासन ने ढाई करोड रु. खर्च कर शहर को तरण ताल की सौगात दी थी,लेकिन महापौर की हठधर्मिता के चलते यह सौगात आम लोगों की पंहुच से बाहर हो गई है। इ खबरटुडे द्वारा यह मामला प्रकाश में लाए जाने के बाद अब शहर विधायक से लेकर कई पार्षद तक चाहते है कि स्विमिंग पुल का शुल्क कम किया जाए,लेकिन महापौर है कि राजी ही नहीं है। महापौर के रवैये से ऐसा लगता है कि जैसे कि यह स्विमिंग पुल उनकी निजी राशि से बना है और वे इससे मोटी कमाई करना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम द्वारा स्विमिंग पुल का शुल्क बीस रु. से बढाकर सीधे साठ रु. कर दिया गया है। शुल्क में दो सौ प्रतिशत की वृध्दि के बावजूद स्विमिंग पुल में सुविधाएं नदारद है। यह शुल्क इतना अधिक है कि मध्यमवर्गीय परिवारों के लोग इसका उपयोग कर ही नहीं सकते। गर्मी की छुट्टियों में तैराकी का सबसे ज्यादा आनन्द बच्चे लेते है,लेकिन शुल्क वृध्दि के चलते शहर के हजारों बच्चे शासन द्वारा दी गई सौगात का लुत्फ उठाने से वंचित किए जा रहे है।

निगम के मूर्खतापूर्ण तर्क

स्विमिंग पुल के संचालन को लेकर नगर निगम नेतृत्व द्वारा मूर्खतापूर्ण तर्क दिए जाते रहे हैं। स्विमिंग पुल के रखरखाव का खर्च नहीं निकलने का तर्क देकर शुल्क में दो सौ प्रतिशत की वृध्दि की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि स्विङ्क्षमग पुल में आने वालों की संख्या में चार गुना से अधिक कमी हो गई। नतीजा यह निकला कि कम शुल्क से निगम को जो आय हो रही थी,शुल्क बढाने से वह आय भी कम हो गई। इतना ही नहीं शुल्क वृध्दि के बावजूद निगम ने मासिक या त्रैमासिक सदस्यता जैसी कोई व्यवस्था ही शुरु नहीं की। निगम के पास इसके लिए कोई तर्क भी नहीं है। रखरखाव का खर्च नहीं निकलने का रोना रोने वाली नगर निगम की हालत यह है कि जिस स्विमिंग पुल की क्षमता ९० व्यक्तियों की है,उसमें केवल तीस व्यक्तियों को अनुमति दी जाती है। इसका अर्थ यह है कि निगम को होने वाली आय में पहले ही दो गुना की कमी कर ली गई है। संख्या कम करने के पीछे का कारण भी बडा अनोखा है। स्विमिंग पुल निर्माण के बाद शुरुआती दौर में यहां एक दुर्घटना में एक युवक की मृत्यु हो गई थी। इस दुर्घटना के के लिए जिम्मेदार लापरवाह कर्मचारियों पर कार्यवाही करने की बजाय निगम के नेतृत्व ने संख्या कम करने का ही निर्णय ले लिया। यह ठीक ऐसा है,जैसे फोर लेन पर हो रही दुर्घटनाओं के कारण फोरलेन पर वाहन चलाना ही रोक दिया जाए।

शासन की राशि की बरबादी

शहर में स्विमिंग पुल की मांग बरसों से की जा रही थी। नागरिकों की मांग पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ढाई करोड की लागत से सर्वसुविधा युक्त तरणताल बनाने की घोषणा की थी। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ही इसका उद्घाटन भी किया था। लेकिन उन्हे भी इस बात का अंदाजा नहीं होगा,कि जनसामान्य से कटे निगम नेतृत्व की नासमझी के कारण शासन की इस बहुमूल्य धरोहर का कचरा हो जाएगा। पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा के कार्यकाल में तो तरण ताल व्यवस्थित ढंग से चलता रहा,लेकिन वर्तमान महापौर के नेतृत्व में अब यह बरबादी की कगार पर पंहुचता जा रहा है। निगम ने इसे ठेके पर देने की योजना बनाई,लेकिन यह योजना भी पूरी तरह अव्यावहारिक होने से कोई भी ठेका लेने के लिए तैयार नहीं हुआ। निगम ने ठेके की न्यूनतम राशि चौबीस लाख रु. वार्षिक रखी थी। आमतौर पर स्विमिंग पुल गर्मियों के दिनों में ही चलता है। ऐसे में मात्र तीन महीने के लिए चौबीस लाख रु.देकर स्विमिंगपुल का ठेका कौन ले सकता है? स्विमिंग पुल में सोना बाथ,स्टीम बाथ,जिम और केन्टीन जैसी सुविधाएं भी बनाई गई है,लेकिन निगम के अक्षम नेतृत्व के चलते स्विमिंग पुल में ये सुविधाएं प्रारंभ ही नहीं की जा सकी।

जनप्रतिनिधियों की पहल से बढी उम्मीद

स्विमिंग पुल की अव्यवस्था और बदहाली को लेकर इ खबरटुडे द्वारा प्रारंभ की गई मुहिम के दौरान अनेक जनप्रतिनिधियों ने खुल कर शुल्क वृध्दि की आलोचना की। पूर्व महापौर शैलेन्द्र डागा,म.प्र.वित्त आयोग के चैयरमेन वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी,पार्षद और एमआईसी सदस्य प्रेम उपाध्याय,रेखा जौहरी आदि अनेक जन प्रतिनिधियों ने तरणताल का शुल्क तत्काल कम करने की मांग उठाई। हाल ही में शहर विधायक चैतन्य काश्यप ने भी इस सम्बन्ध में निगम आयुक्त को पत्र लिख कर शुल्क कम करने का सुझाव दिया है। विधायक श्री काश्यप ने अपने पत्र ने अन्य शहरों के तरणताल शुल्क का हवाला देते हुए कहा है कि उज्जैन,इन्दौर इत्यादि सभी शहरों में तरणताल का शुल्क रतलाम की तुलना में अत्यन्त कम है। शहर विधायक ने मासिक पास की व्यवस्था प्रारंभ करने का भी सुझाव दिया है। पूर्व महापौर,पार्षद और विधायक जैसे महत्वपूर्ण जनप्रतिनिधियों की मांग के बाद उम्मीद की जा सकती है कि महापौर स्विमिंगपुल को आय का साधन बनाने की बजाय नागरिकों को सुविधा उपलब्ध कराने के बारे में विचार करेंगी और शहर के बच्चों को शासन की सौगात का लाभ मिल सकेगा।

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