फिर से कांग्रेस में आए पारस सकलेचा ने कहा मै दलबदलू नहीं,शहर विधायक पर किया हमला
रतलाम,13 मार्च (इ खबरटुडे)। कई बार दलबदल कर एक बार फिर से कांग्रेस में शामिल हुए पारस सकलेचा ने स्वयं को दलबदलू बताए जाने पर एतराज जताया है। उन्होने कहा कि वे दलबदलू नहीं है,क्योंकि वे सत्तापक्ष में नहीं बल्कि विपक्षी पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होने कहा कि दलबदलू तो वे लोग है,जो बरसों तक कांग्रेस का गुणगान करते रहे और जैसे ही भाजपा सत्ता में आई भाजपा में शामिल हो गए।कांग्रेस में शामिल होने के बाद पत्रकारों से रुबरु हुए पारस सकलेचा पत्रकारों के कई सवालों पर असहज हुए। हांलाकि उनके साथ शहर के कई कांग्रेस नेताओं ने भी मंच साझा किया,लेकिन उनके चेहरों पर नाराजगी साफ झलक रही थी।
प्रेसवार्ता के दौरान श्री सकलेचा ने स्वयं को आरटीआई एक्टिविस्ट और भाजपा सरकार के कथित घोटालों के खिलाफ संघर्ष करने वाला व्यक्ति बताया। यह पूछे जाने पर कि अब वे कितने समय तक कांग्रेस में रहेंगे,श्री सकलेचा ने कहा कि वे सत्ता का लाभ लेने के लिए नहीं बल्कि समस्याओं के विरुध्द संघर्ष करने के लिए कांग्रेस में आए है।यह पूछे जाने पर कि अगर उन्हे विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला तो क्या वे कांग्रेस में बने रहेंगे,श्री सकलेचा ने कहा कि उन्होने कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार किया है और नेतृत्व जो आदेश देगा उसका वे पालन करेगें।
कांग्रेस का गुणगाण करते रहे और बाद में सत्ता बदलते ही सत्ताधारी पार्टी में चले गए
पत्रकार वार्ता में श्री सकलेचा ने अपने ऊपर लग रहे दलबदल के आरोप का भी आगे बढकर जबाव दिया। उन्होने कहा कि जब से वे कांग्रेस में आए है, उन पर दलबदल के आरोप लग रहे है, लेकिन मैं दलबदलु नहीं हूं। यदि मैं किसी स्वार्थ, लोभ, आर्थिक हित के लिए सत्ताधारी पार्टी के साथ जाता तो दलबदलू होता, जबकि मैं तो विपक्ष में गया,यह दलबदल नहीं बल्कि क्रांति है। श्री सकलेजा ने कहा दलबदलु तो वे लोग है जो बीस सालों तक कांग्रेस में रहे और कांग्रेस का गुणगाण करते रहे और बाद में सत्ता बदलते ही अपने उद्योग-धंधो को बचाने और बढाने के लिए सत्ताधारी पार्टी में चले गए।
शहर विधायक पर साधा जमकर निशाना
सिंहस्थ के समय दुसरे शहरों से विकास कार्यो के प्रस्ताव गए और वहां करोड़ों के काम हुए भी, लेकिन रतलाम से कोई प्रस्ताव नहीं गया। राजनैतिक स्वार्थ के चलते 136 करोड़ की सीवरेज योजना को भी उन्होने रोकने का आरोप लगाया। सकलेचा ने कहा कि पिछले चार वर्षो में शहर के ओद्योगीक विकास के क्षैत्र में एक प्रतिशत भी काम नहीं हुआ। अल्कोहल प्लांट की जमीन लघु उद्योगो को मिलना था वह भी नहीं मिली।
शहर स्मार्ट सिटी में शामिल नहीं हो पाया। रोजगार भी कम हुआ। उन्होने बाजना बस स्टैण्ड फोरलेन के मुद्दे पर कहा कि भाजपा के लोग ही आपस में लड़ रहे है। 80 फीट और 104 फीट के फोरलेन को लेकर लड़ाई हो रही है। जबकि शहर में कोई भी निर्माण कार्य कराना निगम का कार्य है, पहले वहां या जिला योजना समिति की बैठक में प्रस्ताव पास होना चाहिए , लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक व्यक्ति सभी निर्णय ले रहा है। गीता मंदिर रोड जहां यातायात का अत्यधिक दबाव है वहां 60 फीट में फोरलेन बन गया, क्यों कि वहां उनके हित है और बाजना बस स्टैण्ड पर 104 फिट की बात कही जा रही है। उन्होने इशारों-इशारों में शहर विधायक पर निगम में हस्तक्षेप का भी आरोप लगाया और यह भी बताने से नहीं चुके कि वे महापौर होते तो विधायक की हि मत की वो नगर निगम में हस्तक्षेप कर दे।
पत्रकारों से चर्चा के अवसर पर जिला प्रभारी धीरुभाई पटेल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनोद मिश्रा, शांतिलाल वर्मा,जेम्स चाको, महेन्द्र कटारिया, सुजीत उपाध्याय, निमीष व्यास, जोएब आरिफ, राजीव रावत, अदिती दवेसर, यास्मिन शैरानी,बबीता नागर, रजनीकांत व्यास आदि मौजुद थे।