पाकिस्तान में मतदान कल, सर्वे में नवाज शरीफ पर भारी पड़े इमरान
इस्लामाबाद,24 जुलाई(इ खबरटुडे)। पाकिस्तान में 25 जुलाई यानी कल बुधवार को मतदान होना है। सोमावार रात 12 बजते ही पाक में चुनाव प्रचार पूरी तरह से थम गया है। लेकिन पाकिस्तान में इस बार का चुनाव प्रचार कई मायनों में अलग रहा। जहां एक तरफ चुनाव प्रचार में फिल्मी हस्तियों के पोस्टर दिखे वहीं उनके गानों का भी खूब जलवा रहा। डीजे भी चुनाव प्रचार के दौरान काफी डिमांड में रहा। नेताओं ने डीजे और इन गानों से काफी भीड़ जुटाई। पार्टियों ने थीम सांग्स भी बनवाए। चुनाव प्रचार के दौरान बॉलीवुड गाना ‘मेरे रश्क-ए-कमर’ सबसे ज्यादा डिमांड में रहा।
नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल का थीम सांग वोट को इज्जत दो रहा। जबकि दिलों की धड़कन नवाज शरीफ भी काफी गूंजा। वहीं इमरान खान की पार्टी पीटीआई बनेगा नया पाकिस्तान भी काफी चर्चा में रहा। इमरान खान ने युवाओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बता दें कि 371,000 जवान पूरे देश में बूथों के अंदर और बाहर तैनात किए जा रहे हैं। इसकी सारी जिम्मेदारी सेना को मिली हुई है। चुनाव आयोग एक वोट पर 198 रुपये खर्च कर रहा है। इस चुनाव पर 44000 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपये खर्च हो रहे हैं। पिछले चुनाव से करीब 10% ज्यादा है। अभी तक आए ज्यादातर सर्वे में इमरान खान की पीटीआई और नवाज की पीएमएल (एन) के बीच कड़ा मुकाबला है। हालांकि पीटीआई को पीएमएल (एन) से 4% वोटों की बढ़त मिल रही है। बिलाबल भुट्टो के नेतृत्व वाली पीपीपी तीसरे नंबर पर है।
पाकिस्तान में मतदाताओं में बेहद कम उत्साह
पाकिस्तान में मतदाताओं में बेहद कम उत्साह और सुरक्षा की स्थिति तनावपूर्ण होने के बीच देश में बुधवार को होने वाले आम चुनाव के लिए दो महीने से चल रहा प्रचार का दौर सोमवार मध्यरात्रि को समाप्त हो गया। नियमों के मुताबिक, अब कोई भी उम्मीदवार या पार्टी नेता जनसभाओं या नुक्कड़ सभाओं को संबोधित नहीं कर सकेगा और ना ही रैली निकाल सकेगा।
इससे पहले पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा था कि नियमों के मुताबिक, प्रचार अभियान सोमवार मध्यरात्रि तक खत्म हो जाना चाहिए ताकि मतदाताओं को सोच-विचार का समय मिले और वे 25 जुलाई को होने वाले मतदान में हिस्सा लेने की तैयारी कर सकें।
चुनाव आयोग के मुताबिक इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया भी राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण और प्रकाशन से परहेज करेंगे। आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की जेल की सजा या एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
पाक में चुनावी तैयारियों के बीच यहां के अल्पसंख्यक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनकी बात को संसद तक कैसे पहुंचाई जाए। इसका सबसे बड़ा कारण है अल्पसंख्यकों को बहुत कम टिकट मिलना। इन्हें जो टिकट मिला है वह सिर्फ आरक्षित सीटों के कारण मिला है।
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदी मुसलमान शामिल हैं। पाक की कुल 20 करोड़ की आबादी में ये अल्पसंख्यक महज चार फीसदी हैं जबकि 15-20 फीसदी लोग शिया समुदाय के हैं। इनमें से महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय को सिर्फ आरक्षित सीटों पर टिकट दिया गया है। जबकि यहां भी ऐसे उम्मीदवारों को उतारा गया है जो किसी मुस्लिम के यहां काम करते हैं अथवा उन पर मुस्लिम पकड़ काफी अधिक है।
सच्चाई यह है कि 342 सीटों वाली नेशनल असेंबली और चार राज्यों की विधानसभा में मुट्ठी भर अल्पसंख्यक निर्दलीय प्रत्याशी के बतौर चुनाव लड़ रहे हैं। ये प्रत्याशी किसी पार्टी से नहीं जुड़ना तक नहीं चाहते हैं, क्योंकि उन्हें चिंता है कि देश के ऐसे कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े नेताओं का क्या होगा जिन्होंने नई पार्टी के नाम पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। सुन्नी चरमपंथियों का एक तबका इस चुनाव में काफी सक्रिय है जो पाक को शियाओं से आजाद करने की वकालत कर रहा है।
निडर होकर मतदान की मांग
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की मांग है कि सरकार कम से कम उन्हें इतनी सुरक्षा जरूर दिला दे कि वे निडर होकर मतदान कर सकें। एक ईसाई निर्दलीय उम्मीदवार शहजादा ने बताया कि वे चुनाव जीतकर अपने समुदाय का कुछ भला करना चाहती हैं जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और स्वच्छ पेयजल की समस्याएं अहम हैं। शियाओं की संसद में कोई निश्चित भागीदारी नहीं है। इस कारण उन्हें निर्दलीय रहकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। उनकी भी चिंता है कि शिया मतदाताओं को निडर होकर मतदान से रोका जाएगा। अहमदियों की हालत और भी खस्ता है।
हिंदुओं को कातर निगाहों से देखते हैं बहुसंख्यक
पाकिस्तान में हिंदुओं की कुल आबादी करीब 20 लाख है जिनमें अधिकांश गरीब तबके से हैं। यहां पर हिंदुओं की देश में दूसरी सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी है। इनका रहबर सिंध प्रांत में सबसे ज्यादा प्रभाव है। इन्हें भारत-पाक के बीच तनातनी का खामियाजा सबसे ज्यादा भुगतना पड़ता है और बहुसंख्यक समाज इन्हें कातर निगाहों से देखता है। वीरू कोहली नाम की एक महिला उम्मीदवार रहबर इलाके से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। उनका मानना है कि अगर वे जीत जाती हैं तो पाक संसद में हिंदुओं की बात सही तरह से उठा सकेंगी।
पाकिस्तान: पहली बार 125 ट्रांसजेंडर बने चुनाव पर्यवेक्षक
पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने जा रहे चुनाव में पहली बार 125 ट्रांसजेंडर चुनाव पर्यवेक्षक की भूमिका में होंगे। इस दौरान वे पारदर्शिता और निष्पक्षता पर कड़ी नजर रखेंगे। उन्हें इस काम के लिए एक एनजीओ (ट्रस्ट फॉर डेमोक्रेटिक एजूकेशन और एकाउटैबिलिटी) प्रशिक्षित किया है। इसका मकसद लोगों को लोकतांत्रिक अधिकार और जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करना है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ट्रांसजेंडर पर्यवेक्षकों को लाहौर, इस्लामाबाद, कराची और क्वेटा में चुनावी ड्यूटी लगाई जाएगी।