पश्चिम बंगाल: बीजेपी प्रतिनिधिमंडल करेगा घटनास्थल का दौरा, राष्ट्रपति शासन लगने की आशंका बढ़ी
नई दिल्ली,10जून (इ खबरटुडे)। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा पिछले चौबीस घंटे में चार लोगों की जान ले चुकी है। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाये हैं। भाजपा का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद निकाली जा रही ‘अभिनंदन यात्राओं’ में लोगों को शामिल होने से रोकने के लिए हिंसा कर दहशत फैलाई जा रही है।वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने बाहरी लोगों के द्वारा बंगाल में हिंसा कर माहौल खराब करने का आरोप लगाया है। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ पार्टी का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल चौबीस परगना जाएगा और वहां हो रही हिंसा पर अपनी रिपोर्ट पार्टी को सौंपेगा। पार्टी ने अपने बंगाल यूनिट के कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त रूप से ‘सावधान’ रहने की हिदायत भी दी है। इस बीच गृहमंत्री अमित भाई शाह बंगाल की स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं। बताया जाता है कि वे इस स्थिति पर बंगाल के गवर्नर के सम्पर्क में हैं।
क्या प. बंगाल में लगेगा अनुच्छेद 356?
राजनीतिक हिंसाओं के बीच बंगाल की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। भाजपा का आरोप है कि अब तक उसके सौ के लगभग कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है। तो क्या बंगाल अब राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के प्रयोग की तरफ आगे बढ़ रहा है? भाजपा नेता भास्कर घोष ने अमर उजाला से कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद बिगड़ चुकी है। राज्य सरकार कानून-व्यवस्था संभालने में पूरी तरह असक्षम साबित हुई है।
असलियत यह है कि राज्य सरकार की शह पर टीएमसी के कार्यकर्ताओं के द्वारा ही हिंसा हो रही है। राज्यपाल को इस स्थिति में संज्ञान लेना चाहिए और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजनी चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि केंद्र स्थिति को देखते हुए बंगाल के लोगों के हित में एक बेहतर निर्णय लेगा। भास्कर घोष के मुताबिक़, दार्जिलिंग सहित अनेक स्थानीय निकायों के लोग पूरी-पूरी यूनिट के साथ बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। अपनी खिसकती जमीन देख ममता बनर्जी घबरा गई हैं, इसलिए वे हिंसा के जरिये लोगों को डराकर भाजपा में आने से रोकना चाहती हैं।
हालांकि, बंगाल भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में कभी भी राष्ट्रपति शासन लगवाने की कोशिश नहीं करेगी, क्योंकि इससे ममता बनर्जी को ‘विक्टिम कार्ड’ खेलने यानी सहानुभूति हासिल करने का मौका मिलेगा। नेता के मुताबिक़, जनता यह बहुत अच्छी तरह से जानती है कि ये हिंसाएं कौन करवा रहा है? यही कारण है कि ममता बनर्जी लगातार अलोकप्रिय हो रही हैं और इसका दुष्परिणाम उन्हें विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। ऐसे में भाजपा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की ‘राजनीतिक गलती’ नहीं करेगी, हालांकि यह सब राज्य के हालात पर निर्भर करेगा।