November 17, 2024

पवन ऊर्जा में वृध्दि के लिए किसानों पर हो रहा है अत्याचार,कई किसानों पर मामले दर्ज

रतलाम,12 फरवरी (इ खबरटुडे)। प्रदेश में वैकल्पिक या नवकरणीय उर्जा का उत्पादन बढाने के लिए राज्य शासन द्वारा पवन उर्जा परियोजना नीति 2012 लागू कर निवेशकों को कई तरह की सुविधाएं दी जा रही है। इन सुविधाओं के लालच में कई कंपनियां इस काम में लग गई है,लेकिन पवन उर्जा के नए बन रहे संयत्रों का विकास  अन्नदाता किसानों पर असीमित अत्याचारों के रुप में सामने आ रहा है। जिले के कई किसानों पर आपराधिक मामले लाद दिए गए है।
रतलाम शहर से निकलते ही जिले के जिस हिस्से में जाईए,हर ओर बिजली बनाने वाले विशालकाय पंखे नजर आने लगे है। पिछले  करीब एक दशक में जिले के बाजना व सैलाना जैसे छोटी पहाडियों वाले आदिवासी क्षेत्रों से लगाकर जावरा और पिपलौदा के मैदानी इलाकों तक सैंकडों की तादाद में पवन चक्कियां नजर आने लगी है। निश्चित तौर पर इन पवनचक्कियों की वजह से विद्युत उत्पादन के मामले में जिला अव्वल नम्बर  पर आ गया है। लेकिन पवन उर्जा नीति 2012 लागू होने के बाद आई नई कंपनियों ने सारे परिदृश्य को बदल कर रख दिया है।
जिले के ग्रामीण अंचलों में बसे किसानों के लिए शुरुआती दौर में आई पवन उर्जा उत्पादक कंपनियां किसी वरदान की तरह थी,जिनकी वजह से किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा था। बाजना और सैलाना के पहाडी इलाकों की बंजर भूमि को शुरुआती दौर की कंपनियों ने किसानों से उंचे दामों पर लेकर वहां अपने संयत्र स्थापित किए थे। लेकिन वर्तमान समय में आई कंपनियां जावरा और पिपलौदा के उर्वर इलाकों में हरे भरे खेतों के बीच अपने संयत्र स्थापित कर रही है। इन संयंत्रों की स्थापना के लिए ये कंपनियां किसानों पर किसी भी तरह का अत्याचार करने से भी नहीं चूक रही।
नवकरणीय उर्जा का उत्पादन विकास से जुडा एक अहम मसला है। इसलिए राज्य शासन द्वारा इसके उत्पादन पर कई तरह की सुविधाएं उत्पादकों को प्रदान की जा रही है। राज्य शासन द्वारा जिला प्रशासन को भी इन परियोजनाओं को पूरा सहयोग देने  के निर्देश दिए गए हैं। इन्ही निर्देशों की आड में ये कंपनियां मनमानी पर उतर आई है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक,इन कंपनियों को शासकीय नियमों व प्रक्रियाओं के तहत ही अपने संयत्र स्थापित करना है,लेकिन चूंकि नवकरणीय उर्जा राज्य शासन की प्राथमिकता पर है,इसलिए विंड पावर कंपनियां कायदे कानूनों को ताक पर रखने में बिलकुल भी नहीं हिकिचाती। संयत्र स्थापित करने के लिए पत्थर या मुरम की आवश्यकता हो या संयत्र तक जाने के लिए रास्ते की जरुरत हो, कंपनियों के लोग किसी नियम कानून को मानने को तैयार ही नहीं है।

सरकारी जमीन पर बिना अनुमति क्रैशर प्लान्ट

पवन उर्जा संयत्र की स्थापना के लिए वे जहां मर्जी आती है,वहीं से खुदाई करके मुरम या पत्थर प्राप्त कर लेते है। इसके लिए शासन को रायल्टी चुकाने या अनुमति लेने जैसी कोई आवश्यकता उन्हे महसूस ही नहीं होती। सरकारी मशीनरी भी इन अनियमितताओं पर आंखे मूंदे रहती है। यहां तक कि कुछ कंपनियों ने तो संयत्रों के निर्माण में लगने वाली मुरम और गिट्टी के लिए सरकारी जमीनों पर बिना किसी अनुमति के क्रैशर प्लान्ट तक स्थापित कर लिए है। लेकिन प्रशासन के अधिकारी इस ओर ध्यान देने को ही तैयार नहीं।

निजी जमीनों पर दादागिरी से कब्जा

सरकारी जमीन पर बिना अनुमति प्लान्ट स्थापित करने में तो केवल सरकारी तंत्र की अनदेखी ही पर्याप्त है। लेकिन कंपनियों के लोग इतने दुस्साहसी हो गए है कि वे अपने संयंत्र तक जाने के लिए किसी किसान के स्वामित्व वाले खेत में बिना उसकी अनुमति के रास्ता भी बना लेते है। पिपलौदा जावरा क्षेत्र में कई एसे मामले सामने आ चुके है,जिनमें गरीब किसानों की जमीनें इन कंपनियों ने रास्ता बनाने के नाम पर दादागिरी से हडप ली है। कंपनियों की दादागिरी के खिलाफ किसानों द्वारा पुलिस थाने या प्रशासन को की गई शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। ग्राम बोदीना के कृषक छोगालाल पाटीदार के खेत में कंपनी द्वारा जबर्दस्ती रास्ता बना दिया गया। जब उन्होने पुलिस को शिकायत की,तो पुलिस ने कंपनी के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाया किसान को ही धमकाया। मजबूरन उन्हे न्यायायलय की शरण लेना पडी,जहां से उन्हे कंपनी के खिलाफ स्थगन मिल गया। बाद में कंपनी के दबाव व प्रभाव के चलते उन्हे कंपनी से समझौता करना पडा। इसी गांव के भेरुलाल पाटीदार को भी इसी समस्या से जूझना पडा। ग्राम आम्बा के कई किसानों को तो विंड कंपनियों की दादागिरी की खिलाफत करने के एवज में झूठे मुकदमें दर्ज कर जेल भेज दिया गया। वे कई दिनों तक जेल में रहे। जिले में अत्याचार की ऐसी एक दो नहीं  सैकडों कहानियां है। हाल  ही में ग्राम धामनोद की अंगूरबाला पति रामप्रसाद पाटीदार नेक्कलेक्टर को जनसुनवाई में शिकायत देकर बताया कि उसके निजी खेत में क्षेमा पावर और गमेशा कंपनी का काम करने वाले ठेकेदार ने बिना उनसे पूछे बिजली के छ: पोल गाड कर जमीन पर कब्जा कर लिया है। विंड कंपनियों के अत्याचारों पीडीत लोगों ने कुछ संगठनों की मदद से विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन भी दिए,लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
हाल ही में गऊ रक्षा हिन्दू दल के नेतृत्व में सीधे प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया। इस ज्ञापन में क्षेमा पावर कंपनी,गमेशा कंपनी व अन्य कंपनियों द्वारा की जा रही गडबडियों की विस्तार से जानकारी दी गई है।

नियमों का खुला उल्लंघन

नवकरणीय उर्जा के उत्पादन को बढाने के लिए क्षेमा पावर और गमेशा जैसी कंपनियों द्वारा कई तरह के नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।  ये कंपनियां गांवों के बाहर स्थित गोचर एवं चारागाह की भूमियों का बिना अनुमति के अपने निजी लाभ के लिए उपयोग कर रही है,जिससे पशुओं के चरने की समस्या हो गई है। ये कंपनियां व उनके ठेकेदार अपने निजी कार्य के लिए सरकारी जलाशयों और नलकूपों का भी बिना अनुमति दोहन कर रहे है,जिससे पानी की किल्लत होने लगी है। विन्ड पावर प्रोजेक्ट के लिए बिना अनुमति के बडी संख्या में हरे पेडों को काटा जा रहा है।
नवकरणीय ऊ र्जा के संयत्रों की बढती संख्या को सरकारी पैमानों पर भले ही विकास की उपलब्धि बताया जा रहा है,लेकिन वास्तविकता यह भी है कि यह विकास किसानों के नुकसान की कीमत पर हो रहा है। अन्नदाता किसान पर बडे पैमाने पर हो रहे अत्याचारों के चलते ग्रामीण इलाकों में तीव्र असंतोष पनपने लगा है। अब तक इसको लेकर कई प्रदर्शन ज्ञापन इत्यादि हो चुके है,लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस तीव्र असंतोष का अब तक आकलन नहीं कर पा रहे है। यह असंतोष यदि इसी तरह पनपता रहा तो किसी दिन किसी बडे हंगामें से इंकार नहीं किया जा सकता।

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