May 19, 2024

पर्यावरण के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगे,प्राणवायु अभियान को अपनाया गया प्रदेश स्तर पर

रतलाम 28 अप्रैल (इ खबरटुडे)। कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर के पौधों की शत प्रतिशत उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के जजबे के सकारात्मक परिणाम पर्यावरण के क्षेत्र में आगामी समय में देखने को मिलेगे। उनके द्वारा की गई अनुठी पहल जिसके अंतर्गत चिन्हाकिंत स्थानों पर, एक निश्चित दूरी पर, निश्चित प्रकार के पौधां को लगाने और उनकी सुरक्षा के लिये पौध रक्षकों की नियुक्ति कर उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिये चलाये गये ‘‘प्राणवायु अभियान’’ को प्रदेश शासन द्वारा अपना लिया गया है।

गत दिनों महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत किये जाने वाले वृक्षारोपण संबंधी नवीन निर्देश विकास आयुक्त कार्यालय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी किये गये। नवीन निर्देशों के मुताबिक अब पूरे प्रदेश में सड़क किनारे सामुदायिक स्थल, सार्वजनिक परिसरों और नहरों के किनारे एक गुणक एक मीटर के गढ्डे खोदे जाकर निश्चित दूरी पर आम, ईमली, जामुन, करंज, अर्जुन इत्यादि प्रजातियों के पौधे लगाये जायेगे। रोपित किये जाने वाले पौधे दो वर्ष या उससे अधिक उम्र के ही रहेगे। इनकी शासकीय या मान्यता प्राप्त नर्सरियों से ही व्यवस्था की जायेगी। पौधों की सुरक्षा पौध रक्षको के द्वारा किये जाने के प्रावधान भी किये गये।

विकास आयुक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग राधेश्याम जुलानिया ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पौधां रोपण परियोजना बनाने और उनके क्रियान्वयन के नवीन निर्देश जारी किये है। पौधां रोपण परियोजना ग्राम पंचायतवार तैयार की जायेगी। परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी राज्य आजीविका मिशन/तेजस्वनी के तहत गठित ग्राम की वन समिति या स्वयं सहायता समूह होगी। क्षेत्र में सक्रिय गैर शासकीय संस्था अथवा ग्राम पंचायत भी क्रियान्वयन एजेंसी रह सकेगी। परियोजना की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति देने के लिये ग्राम पंचायतों को अधिकार दिये गये है। पौधां रोपण कार्य योजना सड़को के किनारे, सार्वजनिक एवं समुदायिक परिसरों के लिये पाॅच-पाॅच वर्ष की बनायी जायेगी। विकास आयुक्त श्री जुलानिया ने बारिश के पूर्व सभी ग्राम पंचायतों में पौधां रोपण परियोजनाओं को तैयार कर कार्यवाही करने के निर्देश दिये है।

सहायक उद्यानिकी अधिकारी, जिला पंचायत रतलाम पवन कुमार अहिरवाल ने जानकारी देते हुए बताया हैं कि पौध रक्षकों को पौधों की निंदाई, गुडाई, सुरक्षा के लिये ट्री गार्ड, कंटिली झाड़ियों की बागड़ लगाना, पौधों को नियमित रूप से पानी देना और पौधों के मर जाने पर उनके स्थान पर दूसरे पौधे लगाने जैसी जिम्मेदारियाॅ भी नवीन निर्देशानुसार सौपी जायेगी। उन्होने बताया हैं कि ग्राम में अथवा ग्राम के सामुदायिक परिसरों, स्कूल, छात्रावास, सार्वजनिक भवन, मुक्तिधाम आदि में सफाई के लिये अंशकालीन मानदेय पर कार्यरत अथवा जाॅबकार्डधारी को पौध रक्षक बनाने में सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिये गये है। पौधों की सुरक्षा के लिये मानक पौधों की संख्या को युनिट मानकर प्रति युनिट एक पौध रक्षक की व्यवस्था की जायेगी। सड़क किनारे दो सौ पौधे प्रति किलोमीटर, सामुदायिक कार्यो में 625 पौधे प्रति हेक्टेयर, सार्वजनिक परिसरों में दौ सौ पौधे प्रति ग्राम और चार सौ पौधे प्रति किलोमीटर पौधां रोपण के लिये मानक संख्या तय की गई है।

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