पत्रकारों की समस्याओं को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने सौंपा ज्ञापन
भोपाल/रतलाम,१ मई (इ खबरटुडे)। मई दिवस के मौके पर पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की विभिन्न जिला ईकाईयों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टरों को सौंपे गए। इस अवसर पर बडी संख्या में पत्रकार,फोटोजर्नलिस्ट व इलैक्ट्रानिक मीडीया के साथियों ने उपस्थिति दर्ज कराई।
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के विगत दिनों सम्पन्न प्रांतीय सम्मेलन में सर्वानुमति से यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण के लिए सभी जिला मुख्यालयों से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ज्ञापन प्रेषित किए जाए। इसी तारतम्य में रतलाम जिला ईकाई द्वारा जिलाध्यक्ष भुवनेश पण्डित के नेतृत्व में पत्रकारों के दल ने कलेक्टोरेट पंहुचकर कलेक्टर राजेन्द्र शर्मा को ज्ञापन सौंपा।
इस अवसर पर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य व प्रेस क्लब अध्यक्ष उमेश मिश्र, तुषार कोठारी,जिलाध्यक्ष भुवनेश पण्डित,महासचिव सुरेन्द्र जैन,नरेन्द्र जोशी,किशोर जोशी,सुधीर जैन,सौरभ कोठारी,डीएन पंचोली,मुकेश गौस्वामी,हेमेन्द्र उपाध्याय,दिलजीतसिंह,स्वदेश शर्मा,जीतेन्द्र सौलंकी समेत अनेक पत्रकार व फोटोग्राफर उपस्थित थे। कलेक्टर राजेन्द्र शर्मा ने पत्रकारों की मांगे मुख्यमंत्री तक पंहुचाने का भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री के नाम भोपाल कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव को वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की भोपाल ईकाई ने प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा के नेत्रत्व में 16 सूत्रीय ज्ञापन सौपा। इस अवसर प्रांतीय उपाध्यक्ष सतीश सक्सेना,राजेन्द्र श्रीवास्तव,एम परवेज,जवाहर सिंह,राधेश्याम मालवीय,गिरराज किशोर वर्मा,इमरान खान,राहुल माहेश्वरी,रियाज मोहम्मद,ललित शारदा सहित वड़ी तादाद में पत्रकार शामिल थे।
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को दिये गये ज्ञापन में 16 मांगो को शामिल किया गया है
समस्त शासकीय सर्किट व रेस्ट हाउस में पत्रकारों के विश्राम हेतु नि:शुल्क व्यवस्था की जाए।शासकीय चिकित्सालयों में पत्रकारों एवं उनके परिजनों के इलाज हेतु नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था की जाए, यदि चिकित्सालय में दवाईयां उपलब्ध न हों तो स्थानीय खरीदी कर उपलब्ध कराई जाएं।म.प्र. शासन से अनुबंधित बसों में पत्रकारों को नि:शुल्क परिवहन हेतु आदेश पारित करें।समस्त पत्रकारों को टोल-टेक्स फ्री करने हेतु आदेश पारित करें।म.प्र. शासन के गृह-विभाग के आदेशानुसार पत्रकारों से संबंधित मामलों की जांच पुलिस अधीक्षक या उप पुलिस महानिरीक्षक से ही कराई जाएं। म.प्र. के जनसम्पर्क विभाग द्वारा कराए जा रहे बीमा से प्रत्यक्षरूप से पत्रकारों को कोई लाभ नहीं मिलता, अत: इस बीमा की शर्तों में परिवर्तन किया जाए। जिला एवं तहसील स्तर पर कार्यरत पत्रकारों के बच्चों की शिक्षा की नि:शुल्क या रियायती दरों पर व्यवस्था की जाए, संबंधित संस्थान चाहे शासकीय हो या गैर-शासकीय। जो पाक्षिक एवं मासिक पत्र-पत्रिकाएं नियमित प्रकाशित हो रही हैं, उनके संपादक/मालिक अथवा उनके द्वारा नियुक्त किए गए संवाददाताओं को अधिमान्यता दी जाए।वाहनों पर प्रेस लिखकर गैर-पत्रकारों द्वारा प्रेस-शब्द का जो दुरुपयोग किया जा रहा है, पुलिस तथा प्रशासन द्वारा इस पर तुरन्त रोक लगाई जाए।सरकार की विभिन्न समितियों में जिले स्तर तक के पत्रकारों को लिया जाये।छोटे समाचार पत्र जो नियमित प्रकाशित होते है उन्हें नियमित विज्ञापन दिये जाये।पत्रकार कल्याण कोष से जिले व तहसील के पत्रकारों को बीमारी पर आर्थिक मदद दी जाये।अधिमान्यता नियमों में समय सीमा तय की जाये।अधिमान्यता समिति एवं पत्रकार कल्याण में ट्रेड यूनियन में पंजीकृत पत्रकार संगठन के सदस्यों को लिया जाये एवं घोषणा शीघ्र की जाये। स्वतंत्र पत्रकारों के अधिमान्यता के लिये लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण किया जाये। पत्रकारों के आवास के लिये जिलों में शासकीय भूमि न्यूनतम दर पर दी जाये।