October 5, 2024

पटाखा लायसेंस के लिये आवेदन आमंत्रित

बगैर लायसेंस के अतिशबाजी व्यवसाय दण्डनीय अपराध

रतलाम 06 अक्टूबर(इ खबरटुडे)।कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी बी.चन्द्रशेखर ने दीपावली पर्व पर अतिशबाजी का व्यवसाय करने के इच्छुक व्यक्तियों से लायसेंस प्राप्ति के लिये आवेदन पत्र आमंत्रित किये है। आवेदन पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि 21 अक्टूबर 2015 नियत की गई है। आवेदकों को अपने-अपने आवेदन पत्र स्वीकृति हेतु रतलाम शहर के लिये एसडीएम शहर को, रतलाम तहसील के लिये एसडीएम ग्रामीण को, जावरा एवं पिपलौदा क्षेत्र के लिये एसडीएम जावरा को, आलोट एवं ताल क्षेत्र के लिये एसडीएम आलोट को तथा सैलाना, रावटी एवं बाजना क्षेत्र के लिये एसडीएम सैलाना को अपने आवेदन पत्र प्रस्तुत करने होगें।

कलेक्टर ने स्पष्ट किया हैं कि लायसेंसधारी को केवल उसी स्थान पर अतिशबाजी का व्यवसाय करने की अनुमति होगी जो स्थान संबंधित एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारी द्वारा नगर पालिक निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के परार्मश के उपरांत सुरक्षा की दृष्टि से नियत किये जायेगे। नियत स्थान के अतिरिक्त अपनी स्वेच्छा से नगर के भीड़ वाले क्षेत्र में पटाखों का उपयोग एवं विक्रय न हो और हाट ठेलो पर दुकान लगाने की दशा में लायसेंस निरस्त कर दिया जायेगा। उन्होने बताया हैं कि लायसेंसधारी को आग से सुरक्षा के लिये रेत एवं पानी की समुचित व्यवस्था स्वयं करना होगी। नियत मानक के पटाखों का ही उपयोग एवं विक्रय हो सकेगा तथा प्रदूषण फैलाने वाले और अधिक आवाज वाले बम,राकेट आदि घातक पटाखों का उपयोग एवं विक्रय पर पाबंदी रहेगी।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने सभी विक्रेताओं को पाबंद किया हैं कि वे स्फोटक नियंत्रण अंतर्गत 2013 में शासन के द्वारा जारी नवीन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करेगें। बिना लायसेंस प्राप्ति के अतिशबाजी का व्यवसाय करना दण्डनीय है। सभी लायसेंस स्वीकृति उपरांत ही व्यवसाय करना सुनिश्चित करें।
रतलाम,जावरा, आलोट एवं पिपलौदा जल अभाव ग्रस्त घोषित 
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी बी.चन्द्रशेखर ने जिले के चार विकासखण्डों को जल अभाव ग्रस्त घोषित किया है। इनमें रतलाम, जावरा, आलोट एवं पिपलौदा विकासखण्ड सम्मिलित है। कलेक्टर ने जिले के चार अतिधोहित विकासखण्डों में पेयजल परिरक्षण अधिनियम का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश दिये है।उन्होने बताया कि इन विकासखण्डों में उपलब्ध जल का नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों के दैनादिनी, घरेलू उपयोग हेतु एवं पशुधन के लिये जल का आवश्यकता अनुसार उपयोग हो सकेगा। इसके अतिरिक्त अन्य कार्यो में उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

 

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