December 25, 2024

जनहित याचिकाओं के इतिहास में रतलाम का महत्वपूर्ण स्थान- जिला अभिभाषक संघ के सेमिनार में संविधान और सायबर ला के विशेषज्ञ आराध्य सेठिया ने कहा

sethiya

रतलाम,6 जुलाई (इ खबरटुडे)। उच्चतम न्यायालय में जनहित के मामलों के लाए जाने का इतिहास रतलाम के जिक्र के बिना अधूरा है। रतलाम के श्री वरदीचंद पोरवाल द्वारा उच्चतम न्यायालय में नगर पालिका के विरुध्द लाए गए वाद में जो निर्णय आया,वह न्यायिक इतिहास की अभूतपूर्व घटना है। उक्त उद्गार संविधान और सायबर ला के विशेषज्ञ के रुप में ख्याति प्राप्त कर चुके युवा कानूनविद आराध्य सेठिया ने शुक्रवार को जिला अभिभाषक संघ द्वारा आयोजित सेमिनार में व्यक्त किए। सेमिनार में जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री शोभा पोरवाल,न्यायिक दंडाधिकारी राके श पाटीदार,जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष दशरथ पाटीदार,सचिव प्रकाश राव पंवार समेत बडी संख्या में अभिभाषक उपस्थित थे।
सेमिनार को संबोधित करते हुए श्री सेठिया ने कहा कि भारत के न्यायिक इतिहास में रतलाम के श्री वरदीचंद पोरवाल के प्रकरण का विशेष स्थान है। इस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने नगर पालिका द्वारा नाले नालियों की सफाई जैसे विषयों पर आदेश दिया था। इसके पहले तक जनहित याचिकाओं की कोई व्यवस्था नहीं थी,लेकिन इसी प्रकरण के बाद उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिकाओं को स्वीकार किए जाने का सिलसिला शुरु हुआ। श्री सेठिया ने कहा कि जनहित याचिकाओं के कारण देश की व्यवस्थाओं में कई सकारात्मक बदलाव आए है। उल्लेखनीय है कि जावरा निवासी आराध्य सेठिया ने अमेरिका की प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से एलएलएम की उपाधि प्राप्त की है और वे विश्व के कई देशों में विभिन्न न्यायिक विषयों पर व्याख्यान दे चुके है।

शुल्क का निर्धारण न्यायिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा- श्री पाटीदार

न्याय के लिए निर्धारित शुल्क का निर्धारण न्यायिक प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यदि उचित न्याय शुल्क अदा नहीं किया जाता हैं। तो न्याय में विलम्ब होता है। यह बात न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी राकेश पाटीदार ने शुक्रवार को जिला अभिभाषक संघ द्वारा “वाद मूल्याकंन व नियत न्याय शुल्क “ विषय पर वक्ता के रूप में कही। अभिभाषक संघ सभागृह में आयेजित कार्यशाला में श्री पाटीदार ने कहा कि वादों में न्यायालय शुल्क के मूल्य और अधिकारिता के प्रयोजन के लिए मूल्याकन एक ही होता है। वाद का उचित मूल्याकंन कर वाद प्रस्तुत करने पर ही वह न्यायालय में प्रचलन योग्य होता है। इसलिए वकालत के व्यवसाय में अभिभाषकों को सिविल मामलों में न्याय शुल्क का उचित निर्धारण कर अपने पक्षकार का पक्ष न्यायालय में रखना चाहिए।

प्रारम्भ में माँ सरस्वती के चित्र पर अतिथियों ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। अतिथियों का स्वागत अभिभाषक संघ अध्यक्ष दशरथ पाटीदार ने किया। अतिथि परिचय उपाध्यक्ष राजीव उबी ने दिया। संचालन सचिव प्रकाश राव पंवार ने किया। आभार सहसचिव विकास पुरोहित ने माना। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अभिभाषकगण उपस्थित थे।

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