April 24, 2024

न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं सकलेचा

निर्वाचन रद्द होने के बावजूद विधायक शब्द का उपयोग
चुनावी सभाओं में सफेद झूठ बोलने और झूठे आरोप लगाने के आरोप में अपनी विधायकी गंवा चुके पारस सकलेचा अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। निर्वाचन शू्न्य घोषित किए जाने के बाद वे स्वयं को पूर्व विधायक भी नहीं कह सकते,इसके बावजूद वे बेहिचक न्यायालय की अवमानना करते हुए स्वयं को विधायक बता रहे हैं।

पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को पराजित करने वाले पारस सकलेचा के निर्वाचन को हाईकोर्ट ने शून्य घोषित कर दिया है। हाईकोर्ट ने पारस सकलेचा को चुनावी सभाओं में झूठ बोलकर और झूठे आरोप लगाकर मतदाताओं को भ्रमित करने का दोषी माना है। विधायक का निर्वाचन शून्य घोषित किए जाने के साथ पारस सकलेचा विधायक नहीं रहे साथ ही वे स्वयं को पूर्व विधायक के रुप में भी प्रस्तुत नहीं कर सकते।
लगता है कि श्री सकलेचा को उच्च न्यायालय के इस फैसले से भी कोई नसीहत नहीं मिली। हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद उन्होने पूरी बेशर्मी के साथ नए सिरे से जनसम्पर्क प्रारंभ कर दिया। कुछ दिन तक जनसम्पर्क करने के बाद अब लगता है उनका हौंसला और बढ गया है। उन्होने स्वयं को विधायक भी बताना शुरु कर दिया है।
उनकी संस्था युवाम के सैंतीसवे स्थापना दिवस समारोह के सम्बन्ध में उन्होने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता का आयोजन रखा। इस प्रेसवार्ता के आमंत्रण पत्र,प्रदेश के विधायकों को मिलने वाले लेटर पैड पर ही बनाया गया है। इस निमंत्रण पत्र में श्री सकलेचा को न सिर्फ विधायक बताया गया है,बल्कि मध्यप्रदेश विधानसभा की प्राकल्लन समिति,कार्यमंत्रणा समिति,वाणिज्य,उद्योग एवं रोजगार,सार्वजनिक उपक्रम विभाग परामर्शदात्री समिति और चिकित्सा शिक्षा आयुष विभाग  परामर्शदात्री समिति का सदस्य भी बताया गया है। इतना ही नहीं इस निमंत्रण पत्र पर श्री सकलेचा का भोपाल स्थित पता भी विधायक विश्राम गृह का दर्शाया गया है और वहीं के टेलीफोन नम्बर भी दर्शाए गए है।
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के  बाद श्री सकलेचा ने उच्चतम न्यायालय की भी शरण ली। मजेदार बात यह है कि उच्चतम न्यायालय से उन्हे कोई राहत नहीं मिल सकी है। श्री सकलेचा मात्र उच्चतम न्यायालय में अपील प्रस्तुत कर देने भर से ही यह मान रहे है कि पूरा मामला रफा दफा हो गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि है कि उच्चतम न्यायालय से स्थगन नहीं मिलने की दशा में हाई कोर्ट का फैसला यथावत लागू है और ऐसी स्थिति में श्री सकलेचा द्वारा विधायक शब्द का उपयोग किया जाना सीधे सीधे न्यायालय की अवमानना का मामला है।
श्री सकलेचा अपने प्रचार के लिए इन्टरनेट का भी भरपूर उपयोग करते है। उन्होने फेसबुक पर भी अपनी प्रोफाईल बना रखी है। इस प्रोफाइल के माध्यम से भी वह विधायकी का भ्रम बनाए रखने के प्रयास में है। उनकी एक प्रोफाइल पर कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति विधानसभा में कोई प्रश्न उठाना चाहता है तो वह फेसबुक के माध्यम से अपना प्रश्न श्री सकलेचा तक भिजवा सकता है। इसका सीधा अर्थ यहीं है कि वे स्वयं को विधायक के रुप में प्रदर्शित कर रहे है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उनके द्वारा की जा रही न्यायालय की अवमानना की शिकायत भी न्यायालय को की जाएगी।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds