नेता धर्म को जातिवाद से न बांटें – महंत नरेन्द्रगिरी
दो दिनों से संसद में चल रही बहस पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने जताई नाराजगी
उज्जैन,04 मार्च(इ खबरटुडे)।सिंहस्थ इंतजामों की व्यस्तता के बीच अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेन्द्रगिरी महाराज ने नेताओं को हिदायत दी है
कि वे धर्म के ज्ञान के बिना कोई बयानबाजी न करें और धर्म को जाति, वर्ण आधार पर बांटने का प्रयास नहीं करें। पिछले दो दिनों से संसद में नेताओं ने जो टिप्पणी की है तथा महिषासुर को दलितों का राजा कहा, वह उचित नहीं है।
कर्म ही मनुष्य को प्रधान बनाता है
महंतश्री ने कहा कि कर्म ही मनुष्य को प्रधान बनाता है, जिसका उदाहरण महर्षि वाल्मिकी, संत रविदास हैं। वहीं ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाले लंकापति रावण अपने कर्मों से राक्षस हुए। अत: देवताओं व दानव पर धर्म सम्मत टिप्पणी करने से पहले धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करें। वोट की राजनीति में देश की अखण्डता को खंडित न किया जाये।
शीघ्र ही एकजुट दिखेगी अखाड़ा परिषद
महंत नरेन्द्रगिरी महाराज ने कहा कि बहुमत के आधार पर वे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हैं और उन्होंने महानिर्वाणी अखाड़े, अटल अखाड़े की नाराजगी और वैष्णव अखाड़ों के समर्थन न मिलने पर कहा कि 14 मार्च को एक भण्डारा आयोजित किया जा रहा है जिसमें सभी प्रमुख 13 अखाड़ों के श्रीमहंतों-संतों को बुलाया जा रहा है। अखाड़ा परिषद भिन्न नहीं बल्कि एकजुट दिखेगी। वर्तमान विवाद को उन्होंने कहा कि आपस में बैठकर संत समन्वय स्थापित कर लेंगे।
पहले से बेहतर व्यवस्थाएं
महंत नरेन्द्रगिरी महाराज ने कहा कि पहले जब वे उज्जैन आये थे और अब जब उनका आगमन हुआ है तो यहां से सिंहस्थ व्यवस्थाओं में काफी कुछ परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लगता है कि बेहतर सिंहस्थ होगा।