निष्कासन और नोटिस में उलझे दल
भाजपा और कांग्रेस दोनों को अनुकूल समय का इंतजार
उज्जैन,6 अगस्त (इ खबरटुडे)। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस नगर निगम चुनाव में बागियों से परेशान है। इस परेशानी का कारण कुछ वार्डों में सीधे-सीधे दलों की ओर से अधिकृत उम्मीदवार का बागियों के समक्ष हल्का पड़ना है। इसे लेकर दोनों ही दल बागियों को निष्कासन और नोटिस पत्र देने में उलझी हुई है। इससे पूर्व दोनों ही दलों को अनुकूल समय का इंतजार है।
नगर निगम चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को उम्मीद के विपरीत बागियों का सामना करना पड़ रहा है। बागी भी कई दिग्गज सामने आ खड़े हुए हैं। जिन्हें कल तक दल ने पूरे समर्थन के साथ खड़ा किया वे आज दल के विरोध में खड़े हैं। इस स्थिति के चलते सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस दोनों को ही जूझना पड़ रहा है। भाजपा काफी हद तक डेमेज कंट्रोल करने में सफल रही है तो कांग्रेस भी इसी हालात में है लेकिन कुछ वार्डों में दोनों ही दलों को दल के बागियों से मात मिल रही है। इसी के चलते दोनों ही दलों में बागियों के निष्कासन और नोटिस देने की उलझनें चल रही हैं। इसके लिये इंतजार है तो अनुकूल समय का। दोनों ही दलों में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के प्रचार में आने का इंतजार किया जा रहा है। अगर बड़े नेता मैदान में आते हैं और बागियों को जैसे भी हो सामंजस्य बैठाकर बैठा दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में दल को निष्कासन और नोटिस की कवायद से मुक्ति मिल सकती है। यही स्थिति भाजपा में भी है। भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आने का इंतजार किया जा रहा है। सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री के आगमन पर बागियों को उनसे मिलवाकर पूरे मामले को ठंडा करने की कवायद की जा रही है। वैसे भाजपा को संकट में उसके ही जनप्रतिनिधियों ने डाला है।
कद काटने की राजनीति बनी मुसीबत
भाजपा में इस बार नगर निगम चुनाव के टिकट वितरण में कद काटने की राजनीति खेली गई। यही राजनीति अब मुसीबत का घर बन गई है। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव के दौरान जिन दिग्गज पार्षदों ने दावेदारी की थी, उनके राजनैतिक कद को छोटा करने के लिये सियासत खेली गई। इस सियासत से दल को बागियों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि उज्जैन उत्तर क्षेत्र के वार्ड क्र. 9 से जगदीश पांचाल ने भाजपा से बगावत करते हुए पत्नी को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में वे भाजपा प्रत्याशी पर कहीं भारी पड़ रहे हैं। पांचाल ने नेता पक्ष रहते हुए नगर निगम में टयूब लाइट कांड, ब्लीचिंग कांड, ट्रिपल एसएम आईडी घोटाला, बीपीएल खाद्यान्न पर्ची के लिये गरीबों के पक्ष में आंदोलन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर अपने ही दल के महापौर को कटघरे में खड़ा कर दिया था। इसे लेकर उनकी छबि उभरी थी। इसी के चलते उन्होंने विधानसभा टिकट की दावेदारी भी की थी। उत्तर क्षेत्र की उनकी यह दावेदारी पार्षद टिकट के दौरान उन्हें भारी पड़ी। कद काटने की सियासत उनके साथ खेली गई। इसी प्रकार वार्ड 49 में ऋतुबाला संतोष व्यास पार्षद रहीं। इस बार सीधे-सीधे उनके पति संतोष व्यास को टिकट देने की बजाय पार्टी ने सियासती दावपेंच के चलते उन्हें दरकिनार कर दिया। वार्ड क्र. 50 में प्रश्रय की राजनीति खेलते हुए दल के ही एक नेता को बगावत की स्थिति में ला दिया गया जो कि भाजपा प्रत्याशी के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं।
कांग्रेस भी जद्दोजहद की स्थिति में
कांग्रेस भी इस बार टिकट वितरण में काफी लेट हुई। यहां तक कि हालात विपरीत बनने लगे थे। वार्ड 54 में बाबूलाल वाघेला की पत्नी पार्षद थीं, पार्टी के निर्णय के अनुसार सीटिंग पार्षद को प्राथमिकता दी जाना थी। इसके बावजूद उन्हें दरकिनार किया गया। इसी प्रकार वार्ड क्र. 40 में आत्माराम मालवीय ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में शंख फूंक रखा है। ऐसे ही कुछ अन्य वार्डों में भी कांग्रेस अपनों से ही जूझ रही है, जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।